पटना: कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट (kusheshwarsthan By-Election ) एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि यहां जदयू विधायक शशिभूषण हजारी (Shashi Bhushan Hajari) के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है. पिछली बार वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के शशिभूषण हजारी ने कांग्रेस के डॉ अशोक कुमार को 7222 वोटों से हराया था. इस बार मुकाबला कुछ ज्यादा रोचक हो गया है, क्योंकि महागठबंधन से कांग्रेस के अलावा राजद ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है. वहीं चिराग पासवान ने भी उम्मीदवार देकर जदयू के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.
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लगातार तीन बार जदयू विधायक रहने और सत्ताधारी पार्टी का होने के बावजूद शशिभूषण हजारी पर इस क्षेत्र के विकास की अनदेखी का आरोप लगता रहा है. इस बार उनकी मौत के बाद उनके बेटे को टिकट देकर जदयू ने सिंपैथी वोट के जरिए जीत की उम्मीद लगा रखी है, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है.
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साल में 6 महीने बाढ़ में डूबे रहने वाले कुशेश्वरस्थान में गरीबी के साथ-साथ पलायन बड़ा मुद्दा है. बाढ़ की वजह से हर साल फसल की बर्बादी होती है. कुशेश्वरस्थान में पक्षी विहार होने के बावजूद, पर्यटन स्थल विकसित नहीं हो पाना भी लोगों को यहां खासा नाराज कर रहा है. यही वजह है कि हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुशेश्वरस्थान के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और कई घोषणाएं की थी.
विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो वर्ष 2010 में परिसीमन के बाद कुशेश्वरस्थान अलग विधानसभा सीट के रूप में चिन्हित हुई. तब लोजपा प्रत्याशी रामचंद्र पासवान को हराकर शशिभूषण हजारी पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने थे. दूसरी बार वर्ष 2015 में वह भाजपा को छोड़ जदयू में शामिल हुए. महागठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में शशिभूषण हजारी ने लोजपा के धनंजय कुमार को 18000 वोट से हराया था.
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वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जीत दर्ज करने वाले शशिभूषण हजारी की मौत इस वर्ष बीमारी की वजह से हो गई. जदयू ने उनके बेटे अमन हजारी को इस बार मैदान में उतारा है, जबकि राजद ने गणेश भारती को टिकट दिया है. कांग्रेस ने अशोक राम के बेटे अनिकेत कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं चिराग पासवान ने अंजू देवी को इस बार यहां से मैदान में उतारा है.
करीब ढाई लाख वोटर्स कुशेश्वरस्थान में हैं. वर्ष 2020 में यहां विधानसभा चुनाव में 54.42% वोटिंग हुई थी, जिसमें से 39.55% वोट जदयू प्रत्याशी को मिले थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी को 34.26% वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर लोजपा रही थी, जिसे करीब 10% वोट मिले थे.
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इस बार राजद और कांग्रेस के अलग-अलग प्रत्याशी देने की वजह से यहां मुकाबला अत्यंत दिलचस्प हो गया है. पासवान के बाद यादव वोटर भी यहां अच्छी खासी संख्या में हैं. करीब 24 फ़ीसदी आबादी यहां यादव वोटर्स की है जो विधानसभा चुनाव में राजद की उपस्थिति को लेकर चुनाव परिणाम पर बड़ा फर्क डाल सकते हैं.
इस बार के चुनाव में जहां जीत को लेकर एनडीए नेता पूरी तरह आश्वसत हैं. दूसरी तरफ राजद नेता भी इस बार अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि पिछले चुनाव में जब महागठबंधन एक साथ था, तब तो वह अपनी हार नहीं टाल सके.
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"इस बार तो राजद और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में अमन हजारी काफी आसानी से जीत दर्ज करेंगे. यहां एक तरफा मुकाबला है. एनडीए के पक्ष में परिणाम आएंगे. परिसीमन के बाद समीकरण बदला है और कुशेश्वरस्थान में एक तरफा मुकाबला है."-प्रेम रंजन पटेल, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
दूसरी तरफ राजद विधायक और पार्टी के प्रवक्ता रामानुज प्रसाद ने कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव में आखिरी चरण के मतदान से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो नाटक किया था, उसे अब जनता पूरी तरह समझ चुकी है.
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"इस बार जनता नीतीश को सबक सिखाएगी और राजद प्रत्याशी की जीत तय है. इस बार हमारी पार्टी जरूर जीतेगी. सीएम तो रोने लगे थे कि हमारा अंतिम चुनाव है इसलिए जीत गए लेकिन अब जनता इनके नाटक को समझ चुकी है."- रामानुज प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता एवं विधायक, राजद
वही कांग्रेस और तेज प्रताप की नाराजगी को लेकर रामानुज प्रसाद ने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का हक है. लेकिन जनता सब कुछ जानती है और वह राजद उम्मीदवार को इस बार कुशेश्वरस्थान से जिताएगी. इधर कांग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्र ने दावा किया है कि पार्टी ने क्षेत्र में सबसे युवा और योग्य अतिरेक कुमार को मैदान में उतारा है, जो युवाओं की पहली पसंद हैं. कांग्रेस एमएलसी ने कहा कि निश्चित तौर पर कांग्रेस के प्रत्याशी को इस चुनाव में जीत हासिल होगी.
बता दें कि कुशेश्वरस्थान कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है. यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक राम चुनाव लड़ते रहे हैं. हालांकि पिछले कई चुनावों से वे लगातार हार रहे हैं. 2020 में यह सीट के हिस्से गई थी, लेकिन इस बार आरजेडी ने अपना प्रत्याशी खड़ा कर दिया है. जिस वजह से महागठबंधन में फूट पड़ गया है और दोनों दलों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. यहां 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे.