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कुढ़नी उपचुनाव: 2015 के नतीजों को दोहराने की कोशिश में BJP तो JDU भी दिखा रहा दम

बिहार में एक और उप चुनाव (Another By Election In Bihar) हो रहे हैं. कुढ़नी उपचुनाव होने वाले हैं. मुजफ्फरपुर में नेताओं का जमावड़ा लगा है. भाजपा और जदयू जोर आजमाइश कर रही है. जदयू के समक्ष जहां खोई हुई जमीन वापस लेने की चुनौती है तो वहीं, भाजपा अपनी ताकत को बरकरार रखना चाहेगी. 2015 के तर्ज पर भाजपा एक बार फिर विरोधियों को चित्त करने की तैयारी में है. पढ़ें पूरी खबर...

भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल
भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल
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Published : Nov 20, 2022, 10:46 PM IST

पटना: 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ी थी. लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई थी. कुछ समय बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kuamr) ने एक बार फिर पाला बदला और वह महागठबंधन के हिस्सा हो गए. पाला बदलने के बाद सीएम नीतीश कुमार पहली बार जनता की अदालत में जा रहे हैं और मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर उनके फैसले की अग्नि परीक्षा है. अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराने के लिए जेडीयू ने राजद से सीट ली है. कुढ़नी विधानसभा सीट पर जनता का फैसला भी दिलचस्प (Kurhni By Election Became Interesting) रहा है. 2015 में भाजपा के केदार गुप्ता ने जहां महागठबंधन के उम्मीदवार को चुनाव हराया था वहीं 2020 में राजद के उम्मीदवार ने एनडीए को चुनाव हराया.

ये भी पढ़ें- कुढ़नी विधानसभा उपचुनावः राजद से सीट झटकने में कामयाब हुए नीतीश के फैसले का होगा लिटमस टेस्ट

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी : 2015 में भाजपा के केदार गुप्ता को 73227 वोट मिले थे तो जदयू के मनोज कुशवाहा को 61657 मत मिले थे. मतों का अंतर 11570 था. 42.33% वोट बीजेपी को मिला था जबकि जदयू को 36% वोट हासिल हुआ था. 2015 के चुनाव में भी महागठबंधन के साथ 6 घटक दल थे. समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल सेकुलर, भारतीय राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी जनता पार्टी राष्ट्रीय का नाम सूची में शामिल था. 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एकजुट था. नीतीश कुमार का भाजपा के साथ गठबंधन था. भाजपा के केदार गुप्ता राजद के अनिल सहनी से 800 वोटों से चुनाव हार गए थे. अनिल सहनी की सदस्यता रद्द हो गई फिर उपचुनाव की नौबत आ गई. भाजपा ने फिर से केदार गुप्ता पर ही दांव लगाया है. पार्टी ने केदार गुप्ता को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. पार्टी के तमाम बड़े नेता मुजफ्फरपुर में कैंप कर रहे हैं.

'2015 के चुनाव में हम कुढ़नी सीट पर महागठबंधन के खिलाफ लड़े थे और हमारे प्रत्याशी बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. नीतीश कुमार के साथ जब हम लड़े तो वहां चुनाव हार गए. एक बार फिर हम नीतीश कुमार से अलग हैं और पिछले दो विधानसभा चुनाव में हमारे वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है. कुढ़नी में भी हमारी जीत पक्की है.' - प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

'बीजेपी को सिर्फ जीत याद रहती है. 2020 के चुनाव में हमारे खिलाफ होकर चुनाव लड़े थे और उन्हें हार मिली थी. इस बार भी बीजेपी को हम शिकस्त देने में कामयाब होंगे.' - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता


'भाजपा और जदयू दोनों के लिए कुढ़नी उपचुनाव महत्वपूर्ण है. बीजेपी सीट जीतकर जहां यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि जदयू से अलग होने के बाद हमारी ताकत लगातार बढ़ रही है तो जदयू यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में हम इतने कमजोर नहीं है. जितना हमें आका जा रहा है. मुकेश साहनी और ओवैसी की पार्टी की मौजूदगी ने कुढ़नी उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है.' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पटना: 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू साथ लड़ी थी. लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई थी. कुछ समय बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kuamr) ने एक बार फिर पाला बदला और वह महागठबंधन के हिस्सा हो गए. पाला बदलने के बाद सीएम नीतीश कुमार पहली बार जनता की अदालत में जा रहे हैं और मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर उनके फैसले की अग्नि परीक्षा है. अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराने के लिए जेडीयू ने राजद से सीट ली है. कुढ़नी विधानसभा सीट पर जनता का फैसला भी दिलचस्प (Kurhni By Election Became Interesting) रहा है. 2015 में भाजपा के केदार गुप्ता ने जहां महागठबंधन के उम्मीदवार को चुनाव हराया था वहीं 2020 में राजद के उम्मीदवार ने एनडीए को चुनाव हराया.

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कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव पर सबकी निगाहें टिकी : 2015 में भाजपा के केदार गुप्ता को 73227 वोट मिले थे तो जदयू के मनोज कुशवाहा को 61657 मत मिले थे. मतों का अंतर 11570 था. 42.33% वोट बीजेपी को मिला था जबकि जदयू को 36% वोट हासिल हुआ था. 2015 के चुनाव में भी महागठबंधन के साथ 6 घटक दल थे. समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल सेकुलर, भारतीय राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी जनता पार्टी राष्ट्रीय का नाम सूची में शामिल था. 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन एकजुट था. नीतीश कुमार का भाजपा के साथ गठबंधन था. भाजपा के केदार गुप्ता राजद के अनिल सहनी से 800 वोटों से चुनाव हार गए थे. अनिल सहनी की सदस्यता रद्द हो गई फिर उपचुनाव की नौबत आ गई. भाजपा ने फिर से केदार गुप्ता पर ही दांव लगाया है. पार्टी ने केदार गुप्ता को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. पार्टी के तमाम बड़े नेता मुजफ्फरपुर में कैंप कर रहे हैं.

'2015 के चुनाव में हम कुढ़नी सीट पर महागठबंधन के खिलाफ लड़े थे और हमारे प्रत्याशी बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. नीतीश कुमार के साथ जब हम लड़े तो वहां चुनाव हार गए. एक बार फिर हम नीतीश कुमार से अलग हैं और पिछले दो विधानसभा चुनाव में हमारे वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है. कुढ़नी में भी हमारी जीत पक्की है.' - प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

'बीजेपी को सिर्फ जीत याद रहती है. 2020 के चुनाव में हमारे खिलाफ होकर चुनाव लड़े थे और उन्हें हार मिली थी. इस बार भी बीजेपी को हम शिकस्त देने में कामयाब होंगे.' - एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता


'भाजपा और जदयू दोनों के लिए कुढ़नी उपचुनाव महत्वपूर्ण है. बीजेपी सीट जीतकर जहां यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि जदयू से अलग होने के बाद हमारी ताकत लगातार बढ़ रही है तो जदयू यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि बिहार की राजनीति में हम इतने कमजोर नहीं है. जितना हमें आका जा रहा है. मुकेश साहनी और ओवैसी की पार्टी की मौजूदगी ने कुढ़नी उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है.' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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