पटनाः बिहार विधानसभा में स्पीकर (speaker bihar assembly) के पद पर आरजेडी सदस्य अवध बिहारी चौधरी को चुन लिया गया है. सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने दोनों नए अध्यक्ष का हाथ पकड़कर कुर्सी तक पहुंचाया और बैठाकर सदन की मर्यादाओं के तहत निर्वहन किया. तो आइये जानते हैं कौन हैं अवध बिहारी चौधरी बिहार विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं...
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1985 में सीवान सीट से बने थे पहली बार विधायकः अवध बिहारी चौधरी का जन्म 17 अगस्त 1954 को सिवान के पटवा में एक किसान परिवार में हुआ था. वे छह बार विधायक रहे हैं. इनके पास चार दशक का सियासी अनुभव है. जमीन से जुड़े हुए नेता हैं और सियासी संघर्ष से अपनी राजनीतिक जगह बनाई है. अवध बिहार आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते हैं. इसके अलावा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी इनके अच्छे संबंध है. जमीन से जुड़े हुए नेता हैं काफी संघर्ष के बाद राजनीतिक में अपनी जगह बनाई है. कहा जाता है कि अवध बिहार चौधरी को सियासी बुलंदी पर लाने वाले सिवान से दिवंगत सांसद शहाबुद्दीन की भी भूमिका रही है. अवध बिहार चौधरी जनता दल के टिकट पर पहली बार 1985 में सीवान सीट से विधायक बने थे, बाद में जब लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी बनाई तो उनके साथ हो लिए. इसके बाद साल 2005 तक लगातार सीवान से विधायक रहे. इस दौरान वह सरकार में मंत्री भी रहे है और कई विभागों की जिम्मेदारी संभाली.
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2014 में थामा था जेडीयू का दामनः 2015 में बिहार की सत्ता बदली और उसके बाद अवध बिहार को लगातार हार का मुंह देखना पड़ा. अवध बिहारी चौधरी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद आरजेडी का दामन छोड़कर जेडीयू का हाथ थाम लिया. लेकिन जेडीयू ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीवान सीट से अवध बिहारी चौधरी को टिकट ना देकर बबलू चौहान को दिया गया. तब अवध बिहारी ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. इसके बाद 2017 में जेडीयू छोड़कर फिर से आरजेडी में चले गए. आरजेडी ने एक बार फिर साल 2020 में सिवान सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया और वो जीत कर एक बार विधायक बने. अवध बिहारी चौधरी सीवान से 1985, 1990, 1995, 2000 और फरवरी, 2005 में विधायक चुने गए थे. 2020 में भी वह विधायक बने.
आरजेडी से नहीं मिला लोकसभा का टिकटः 2014 में अवध बिहारी चौधरी ने सिवान से लोकसभा सीट के लिए भी आरजेडी से टिकट मांगी लेकिन वो इसमें कामयाब नहीं रहे. 2014 में लोकसभा का टिकट पार्टी ने उन्हें ना देकर शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को दिया. तब अवध बिहार ने सिवान सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट ओम प्रकाश यादव को समर्थन किया और आरजेडी की हिना शहाब को हार का मुंह देखना पड़ा. जबकि हिना के पति सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने ही उनकी राजनीतिक कैरिकर को बनाने में काफी मदद की थी.
स्पीकर चुनाव के लिए 2020 में बने थे विपक्ष के उम्मीदवारः साल 2020 के विधानसभा में वो एक बार फिर आरजेडी के टिकट पर सीवान सीट से जीत कर विधायक बने. हालांकि सरकार उनकी पार्टी की नहीं बनी. सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन की सरकार बनाई और आरजेडी विपक्ष में बैठी. जब नई सरकार में विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए एनडीए ने बीजेपी के विजय सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया तो महागठबंधन की ओर से अवध बिहार चौधरी इस पद पर उम्मीदवार बने थे, लेकिन जीत विजय कुमार सिन्हा ने हासिल की थी और अवध बिहार विधानसभा अध्यक्ष नहीं बन पाए थे. अब जब दोबारा महागठबंधन सरकार सत्ता में आई तो विधानसभा अध्यक्ष के लिए आरजेडी ने अवध बिहार चौधरी को ही इस पद के लिए बेहतर समझा और आज उनको निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष भी चुन लिया गया, क्योंकि क्योंकि विपक्ष की ओर से इस पद पर कोई उम्मीदवार नहीं था.