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'मीडिया बयानबाजी और नेतागिरी करेंगे शिक्षक तो उनकी खैर नहीं', केके पाठक के विभाग का नया फरमान

बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का जिम्मा जब से केके पाठक ने संभाला है शिक्षा विभाग सुर्खियों में है. शिक्षा विभाग अपने निर्देशों और निर्णय से प्रतिदिन इतने सुर्खियां बटोर रहा है. अभी छुट्टियों में कटौती का मामला ठंडा भी नहीं हुआ कि शिक्षा विभाग की ओर से एक और ऐसा निर्देश आ गया है, जिससे तमाम शिक्षक रोष में हैं.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 28, 2023, 10:11 PM IST

पटना : बिहार शिक्षा विभाग इस समय सुर्खियों में है. दरअसल, लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सभी को संगठन बनाने का अधिकार है. पूर्व से भी शिक्षक संगठन सक्रिय रहा है. लेकिन अब शिक्षा विभाग में स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया है कि कोई शिक्षक संगठन के माध्यम से नेतागिरी करते हैं, या शैक्षणिक कार्य के अलावा संगठन का काम करते हैं, मीडिया में बयान बाजी करते हैं, तो उनकी खैर नहीं है. कोई शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल अथवा किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन करता है, तो उसके विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई होगी.

नेतागिरी और संगठन बनाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा : मंगलवार को बिहार सरकार के निदेशक माध्यमिक शिक्षा कन्हैया प्रसाद की ओर से सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है. पत्र में लिखा है कि मीडिया में बयानबाजी करने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाए. नए आदेश के तहत शिक्षकों को मीडिया में भी अपने विचारों को व्यक्त करने की मनाही होगी.

केके पाठक के विभाग का नया फरमान जारी
केके पाठक के विभाग का नया फरमान जारी

केके पाठक के विभाग का नया फरमान : शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रारंभिक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय के कुछ शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया और अखबारों के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए जाने की सूचना प्राप्त होती रहती है. इस क्रम में उनके द्वारा कभी-कभी राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना भी की जाती है, राज्य सरकार की नीतियों का विरोध भी किया जाता है. ऐसा किया जान शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक माहौल को बेहतर करने में बाधा उत्पन्न करता है.

''..तो ये गंभीर कदाचार'' : शिक्षा विभाग ने कहा है कि प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक माहौल बेहतर करने के उद्देश्य से विभाग यह बातें स्पष्ट कर रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है. विभाग ने कहा है कि यह अभी उल्लेखनीय है कि किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है. यदि कोई शिक्षक या कोई शिक्षकेत्तर कर्मी द्वारा किसी संघ की स्थापना की जाती है, या किसी संघ की सदस्यता ली जाती है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.

बिहार शिक्षा विभाग ने अपने निर्देश में कहा है कि ''कोई भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया साइट या समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार प्रसार नहीं किया जाएगा. यदि कोई ऐसा करता है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग ने सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि अपने अधीन सभी शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को उक्त निर्देश से अवगत कराते हुए इसका शक्ति से पालन करना सुनिश्चित करें. किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता, हड़ताल, प्रदर्शन इत्यादि पर संबंधित के विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.''

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पटना : बिहार शिक्षा विभाग इस समय सुर्खियों में है. दरअसल, लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत सभी को संगठन बनाने का अधिकार है. पूर्व से भी शिक्षक संगठन सक्रिय रहा है. लेकिन अब शिक्षा विभाग में स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया है कि कोई शिक्षक संगठन के माध्यम से नेतागिरी करते हैं, या शैक्षणिक कार्य के अलावा संगठन का काम करते हैं, मीडिया में बयान बाजी करते हैं, तो उनकी खैर नहीं है. कोई शिक्षक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल अथवा किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन करता है, तो उसके विरुद्ध भी अनुशासनिक कार्रवाई होगी.

नेतागिरी और संगठन बनाने वाले शिक्षकों पर शिकंजा : मंगलवार को बिहार सरकार के निदेशक माध्यमिक शिक्षा कन्हैया प्रसाद की ओर से सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश जारी किया गया है. पत्र में लिखा है कि मीडिया में बयानबाजी करने वाले शिक्षकों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाए. नए आदेश के तहत शिक्षकों को मीडिया में भी अपने विचारों को व्यक्त करने की मनाही होगी.

केके पाठक के विभाग का नया फरमान जारी
केके पाठक के विभाग का नया फरमान जारी

केके पाठक के विभाग का नया फरमान : शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि प्रारंभिक माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालय के कुछ शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया और अखबारों के माध्यम से अपने विचार प्रकट किए जाने की सूचना प्राप्त होती रहती है. इस क्रम में उनके द्वारा कभी-कभी राज्य सरकार की नीतियों की आलोचना भी की जाती है, राज्य सरकार की नीतियों का विरोध भी किया जाता है. ऐसा किया जान शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक माहौल को बेहतर करने में बाधा उत्पन्न करता है.

''..तो ये गंभीर कदाचार'' : शिक्षा विभाग ने कहा है कि प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षणिक माहौल बेहतर करने के उद्देश्य से विभाग यह बातें स्पष्ट कर रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों के किसी भी संघ को मान्यता नहीं दी गई है. विभाग ने कहा है कि यह अभी उल्लेखनीय है कि किसी भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों को किसी भी संघ का सदस्य बनने की मनाही है. यदि कोई शिक्षक या कोई शिक्षकेत्तर कर्मी द्वारा किसी संघ की स्थापना की जाती है, या किसी संघ की सदस्यता ली जाती है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.

बिहार शिक्षा विभाग ने अपने निर्देश में कहा है कि ''कोई भी शिक्षक या शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया साइट या समाचार पत्र या टीवी के माध्यम से अनर्गल प्रचार प्रसार नहीं किया जाएगा. यदि कोई ऐसा करता है तो इसे गंभीर कदाचार माना जाएगा और उसके विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग ने सभी जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि अपने अधीन सभी शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों को उक्त निर्देश से अवगत कराते हुए इसका शक्ति से पालन करना सुनिश्चित करें. किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता, हड़ताल, प्रदर्शन इत्यादि पर संबंधित के विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.''

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