पटना: आज 15 मार्च से खरमास माह की शुरुआत हो गई है. धर्मात्मा में मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र मनोज मिश्रा की मानें तो ग्रहों की स्थिति शुभ अशुभ व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव डालता है. आज सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश कर गए हैं. यह खरमास 30 दिनों तक चलेगा.
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आज से शुरू हुआ खरमास: हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों में खरमास को लेकर विशेष महत्व है क्योंकि हर 1 महीने में शुभ कार्य मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं. मनोज मिश्रा ने बताया कि सूर्य 12 महीने में 12 राशि में प्रवेश करते हैं. उन्होंने बताया कि आज सुबह 6:34 पर सूर्य देवता मीन राशि में प्रवेश कर गए हैं. अब 14 अप्रैल तक मांगलिक कार्यक्रम बंद रहेंगे.
"सभी ग्रहों का राजा सूर्य देवता को कहा जाता है. सूर्यदेव मीन धनु राशि में गोचर करते हैं तो इस राशि परिवर्तन को खरमास कहा जाता है. यानी आज सूर्य देव मीन राशि में गोचर किए जिससे खरमास शुरू हो गया. 15 मार्च 6:34 से खरमास शुरू हो गई है जो की 14 अप्रैल को 3 बजे तक रहेगा."- मनोज मिश्रा, ज्योतिष शास्त्र
सूर्य देव की शक्ति हो जाती है कम: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास महीने को शुभ नहीं माना जाता है जिस कारण से शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नया बिजनेस शुरू करना, वाहन खरीदारी की मनाही होती है. ज्योतिष शास्त्र मनोज मिश्रा का कहना है कि खरमास महीने का विशेष महत्व होता है और कहा जाता है कि खरमास महीने में सूर्य देव की शक्तियां कम हो जाती हैं. यही कारण है कि कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
खरमास में करना चाहिए ये कार्य: शुभ कार्यों को खरमास में ना करने का कारण: खरमास महीना में बहुत सारे लोग तीर्थ यात्रा पर निकलते हैं और तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व है. जो लोग तीर्थयात्रा नहीं कर पाते हैं वो रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, धार्मिक ग्रंथ लोगों के बीच बांटे, जिससे कि इसका फल जो लोग पढेंगे उनको भी मिलेगा और जो लोग दान किए उनको भी लाभ मिलेगा. खरमास महीने में सूर्य देव की पूजा करना विशेष लाभकारी होता है. खरमास में जो लोग गंगा या पवित्र नदी में स्नान करते हैं और पूजा पाठ करते हैं तो उनके घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है.
पौराणिक कथा: मनोज मिश्रा ने कहा कि खरमास को बुरा मास मानने को लेकर पौराणिक कथा है. मार्कंडेय पुराण के तहत सूर्य देव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े थे. ब्रह्मांड परिक्रमा के दौरान कहीं रुकते नहीं थे जिस कारण से सालों सालों तक घोड़ा बिना पानी के दौड़ लगाते रहे. जब घोड़ा प्यास से व्याकुल हो गया तो सूर्य देव को एक नदी तालाब के पास रुकना पड़ा. घोड़े को जैसे ही उन्होंने पानी दिलाया उनको याद आया कि हम ब्रह्मांड की परिक्रमा पर निकले हैं और हमको कहीं रुकना नहीं है हालांकि उसके बाद सूर्य देव ने गधों को भी रब से जोड़ लिया लेकिन उनकी यात्रा धीमी हो गई जिस कारण से खरमास माह को शुभ नहीं माना जाता है.