पटना: अपने पद से इस्तीफा देने के बाद कार्तिकेय कुमार (Kartikeya Kumar Statement On Resignation) ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भाजपा के लोगों को हम पच नहीं रहे थे. भूमिहार समाज से आरजेडी कोटा में मंत्री होना उनको अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मीडिया ट्रायल कर रहे थे. हम पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे थे.
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इस्तीफे के बाद कार्तिकेय कुमार का बयान: बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कार्तिकेय कुमार (Former Minister kartikeya kumar) ने कहा कि मेरा इतिहास उठाकर देख लीजिए. मेरे पिताजी हाई स्कूल के टीचर थे. मैंने खुद 28 साल तक एक शिक्षक के रूप में काम किया है. हम जमीन से जुड़े लोग हैं. अनंत सिंह से मेरा नाम जोड़ते हैं, 17 साल से मोकामा से विधायक हैं और मोकामा मेरा घर है. उनके बड़े भाई से भी मेरा संबंध रहा है. उनसे मेरा राजनीतिक संबंध है. इसमें कोई दो मत नहीं है. इसे कौन से रूप में दिखाना चाहते हैं, मुझे समझ नहीं आता है.
'नीतीश-तेजस्वी की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही थी': उन्होंने कहा कि 2015 के पहले तक मेरे ऊपर एक भी केस नहीं हुआ है, उसके बाद भी कोई केस नहीं हुआ है. सिर्फ 2015 में एक केस में मेरा नाम जोड़ा गया. जबकि एफआईआर में मेरा नाम नहीं है. 161 के तहत पुलिस के समक्ष हुए बयान में मेरा नाम नहीं है. 9 महीने बाद घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर बताया जाता है कि मुझे भी देखा गया था. उसका मैंने बड़े पदाधिकारी को आवेदन दिया. उन्होंने जांच कराकर हमें निर्दोष बताया था. कहा गया कि मामले में मेरी कोई संलिप्तता नहीं है. फिर हमलोग निश्चिंत हो गए. लेकिन अब हमें लगा कि पार्टी हित में, सीएम नीतीश और तेजस्वी यादव की प्रतिष्ठा धूमिल ना हो इसलिए मैंने इस्तीफा देना उचित समझा और इस्तीफा दे दिया.
"कोरोना काल में मामले में संज्ञान लिया गया और उसमें मेरा नाम भी आ गया. मुझे लगा कोर्ट के माध्यम से अपनी बात रखेंगे क्योंकि पुलिस अनुसंधान पूरा हो चुका था. मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है. इसी बीच बीजेपी के लोग हाय तौब मचाने लगे. इससे हमारी पार्टी की, हमारे नेता की और मेरी छवि खराब हो रही थी. प्रतिष्ठा को धूमिल होने से बचाने के लिए मैंने इस्तीफा देना उचित समझा."- कार्तिकेय कुमार, पूर्व मंत्री, बिहार सरकार
कार्तिक कुमार ने मुख्यमंत्री को सौंपा इस्तीफाः गन्ना उद्योग मंत्री कार्तिक कुमार ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सौंपा. मुख्यमंत्री ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए राज्यपाल फागू चौहान को अपनी अनुशंसा भेज दी. कार्तिक कुमार अब राज्य मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहे. कार्तिक कुमार के त्यागपत्र के साथ ही गन्ना उद्योग विभाग का अतिरिक्त प्रभार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता को दिया गया है.
कार्तिकेय सिंह पर लगे थे आरोप : गौरतलब है कि नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिलते ही कार्तिकेय कुमार विवादों में घिर गए थे. उनके ऊपर आरोप लगा था कि उनके खिलाफ कोर्ट से अपहरण के मामले में वारंट जारी किया जा चुका है. बता दें, 2014 में राजीव रंजन को अगवा कर लिया गया था, इसके बाद कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए कार्तिकेय सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया. इस मामले में कार्तिकेय सिंह ने अभी तक ना तो कोर्ट के सामने सरेंडर किया है ना ही जमानत के लिए अर्जी दी है. इसको लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोल रहा था कि जिनके खिलाफ खुद गिरफ्तारी का वारंट जारी किया जा चूका हो, उसे विधि विभाग का मंत्री कैसे बनाया जा सकता है.
अनंत सिंह के हैं चुनावी रणनीतिकार : आपको बता दें कि कार्तिकेय कुमार को बाहुबली अनंत सिंह (Bahubali Anant Singh)के समर्थक 'कार्तिक मास्टर' के नाम से जानते हैं. वर्ष 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कार्तिकेय मास्टर और अनंत सिंह में दोस्ती काफी आगे बढ़ी थी. अनंत सिंह के चुनावी रणनीतिकार के रूप में कार्तिकेय ने खुद को साबित किया. जानकारी है कि अनंत सिंह के लिए सभी राजनीतिक दांव-पेंच पर्दे के पीछे से कार्तिकेय की मदद से ही अनंत सिंह संभालते हैं. इसलिए अनंत सिंह की पहली पसंद वे हैं. सबसे बड़े विश्वासी हैं. अनंत सिंह कार्तिकेय कुमार को खुद 'मास्टर साहब' कहकर पुकारते हैं. राजनीति में सक्रिय होने से पहले कार्तिकेय स्कूल में शिक्षक थे. वे मोकामा के रहने वाले हैं और उनके गांव का नाम शिवनार है. कार्तिकेय मास्टर की पत्नी रंजना कुमारी लगातार दो बार मुखिया बनीं.
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