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कारगिल विजय दिवस: जिसने देश के लिए प्राण किया न्योछावर, उसके परिवार को ही भूल गई सरकार

कारगिल युद्ध में पटना जिले के वीर गणेश प्रसाद यादव (Martyr Ganesh Prasad Yadav) ने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे. मातृभूमि के लिए गणेश प्रसाद यादव ने अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया. लेकिन आज तक उनके परिजनों को सरकारी लाभ नहीं मिल सका. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 26, 2022, 6:52 PM IST

Kargil Vijay Diwas
Kargil Vijay Diwas

पटना: कारगिल युद्ध (Kargil War) के 23 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत इस युद्ध में विजय हुआ था. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव. आज जब देश कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas ) मना रहा है तो शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे हैं लेकिन शहीद गणेश के बूढ़े माता पिता को इस बात का मलाल है कि जिस बेटे ने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी उसी के परिवार को सरकार भूल गई है.

पढ़ें- कारगिल विजय दिवस: पटना में शहीदों को किया गया नमन, BJP ने निकाली तिरंगा यात्रा

पटना के गणेश प्रसाद यादव हुए थे शहीद: शहीद गणेश प्रसाद के परिवार से सरकार की तरफ से किए गए तमाम वादे आज भी अधूरे हैं. बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर से प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुआई कर रहे नायक गणेश प्रसाद यादव शहीद हो गए थे. देश की सुरक्षा चक्र में कारगिल युद्ध को भूला नहीं जा सकता, जहां हमारे देश की रक्षा के लिए 527 जवानों ने शहादत दी थी. इसी दिन को लेकर पूरा देश विजय दिवस मनाता है. इस अवसर पर कारगिल शहीदों को याद किया जाता है. 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ कर 'ऑपरेशन विजय' को पूर्ण किया था.



परिवार को है शहीज गणेश पर नाज: 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था. गणेश प्रसाद यादव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही सेना में भर्ती हुए. उनकी शादी 1994 में पुष्पा राय से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इनके नाम अभिषेक और ज्योति हैं. अभिषेक सैनिक स्कूल से ग्रेजुएशन कर चुका है और बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. कारगिल दिवस जब भी आता है, उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है.

किए गए थे कई वादे: वहीं आपको बता दें कि 23 साल पहले शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी पहुंचे थे. गांव की बदहाली को देखते हुए घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई थी. इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था. इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए थे. सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया. लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला. अब भी उसमें एक शिक्षक का इंतजार है.

शहीद की मां ने कही ये बात: शहीद की मां बचिया देवी बताती हैं कि अपने बेटे को खोने का गम तो बहुत है लेकिन गर्व भी है. 23 साल बीतने के बाद भी उसकी यादें आज भी हमारे सीने में दफन है. राज्य सरकार की तरफ से जो वादे किए गए थे उसे अभी तक सरकार पूरा नहीं की है.

"कुछ वादे तो केंद्र सरकार की तरफ से पूरा किया गया लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं. यहां तक कि सरकारी लाभ भी हमें नहीं मिल पाया है. इंदिरा आवास हो या राशन कार्ड हो इन सभी योजनाओं से हम वंचित हैं."- बचिया देवी, शहीद गणेश प्रसाद की मां

23 साल बाद भी सरकारी वादे अधूरे: वहीं शहीद के पिता रामदेव यादव बताते हैं कि आज 23 साल कारगिल युद्ध का पूरा हुआ लेकिन 23 साल के बाद भी सरकार के कई वादे अभी भी अधूरे रह गए. शहीद के पिता ने बताया कि गांव में तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने शहीद बेटे के नाम पर सड़क, अस्पताल, विद्यालय एवं समुदायिक भवन बनाने का वादा किया था. सामुदायिक भवन और विद्यालय का भवन बनकर तैयार है. इसके बावजूद भी उसमें कोई व्यवस्था अभी तक सुचारू रूप से चालू नहीं हो सकी है.

"विद्यालय में सरकार की तरफ से किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है जिसके कारण गांव के बच्चे दूसरे गांव में जाकर पढ़ाई करते हैं. इसके अलावा सड़क निर्माण बेटे के नाम पर करने की बात भी कही गई थी वो वादा भी अधूरा है. केवल शहीद बेटे का स्मारक लाल चौक पर बनाया गया. इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से पटना में शहीद की पत्नी को गैस एजेंसी दिया गया लेकिन राज्य सरकार ने नौकरी का वादा भी किया था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका."- रामदेव यादव, शहीद गणेश प्रसाद के पिता



पटना: कारगिल युद्ध (Kargil War) के 23 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत इस युद्ध में विजय हुआ था. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव. आज जब देश कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas ) मना रहा है तो शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे हैं लेकिन शहीद गणेश के बूढ़े माता पिता को इस बात का मलाल है कि जिस बेटे ने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी उसी के परिवार को सरकार भूल गई है.

पढ़ें- कारगिल विजय दिवस: पटना में शहीदों को किया गया नमन, BJP ने निकाली तिरंगा यात्रा

पटना के गणेश प्रसाद यादव हुए थे शहीद: शहीद गणेश प्रसाद के परिवार से सरकार की तरफ से किए गए तमाम वादे आज भी अधूरे हैं. बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर से प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुआई कर रहे नायक गणेश प्रसाद यादव शहीद हो गए थे. देश की सुरक्षा चक्र में कारगिल युद्ध को भूला नहीं जा सकता, जहां हमारे देश की रक्षा के लिए 527 जवानों ने शहादत दी थी. इसी दिन को लेकर पूरा देश विजय दिवस मनाता है. इस अवसर पर कारगिल शहीदों को याद किया जाता है. 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ कर 'ऑपरेशन विजय' को पूर्ण किया था.



परिवार को है शहीज गणेश पर नाज: 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था. गणेश प्रसाद यादव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही सेना में भर्ती हुए. उनकी शादी 1994 में पुष्पा राय से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इनके नाम अभिषेक और ज्योति हैं. अभिषेक सैनिक स्कूल से ग्रेजुएशन कर चुका है और बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. कारगिल दिवस जब भी आता है, उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है.

किए गए थे कई वादे: वहीं आपको बता दें कि 23 साल पहले शहीद के अंतिम दर्शन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी पहुंचे थे. गांव की बदहाली को देखते हुए घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई थी. इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था. इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए थे. सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया. लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला. अब भी उसमें एक शिक्षक का इंतजार है.

शहीद की मां ने कही ये बात: शहीद की मां बचिया देवी बताती हैं कि अपने बेटे को खोने का गम तो बहुत है लेकिन गर्व भी है. 23 साल बीतने के बाद भी उसकी यादें आज भी हमारे सीने में दफन है. राज्य सरकार की तरफ से जो वादे किए गए थे उसे अभी तक सरकार पूरा नहीं की है.

"कुछ वादे तो केंद्र सरकार की तरफ से पूरा किया गया लेकिन राज्य सरकार की तरफ से किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं. यहां तक कि सरकारी लाभ भी हमें नहीं मिल पाया है. इंदिरा आवास हो या राशन कार्ड हो इन सभी योजनाओं से हम वंचित हैं."- बचिया देवी, शहीद गणेश प्रसाद की मां

23 साल बाद भी सरकारी वादे अधूरे: वहीं शहीद के पिता रामदेव यादव बताते हैं कि आज 23 साल कारगिल युद्ध का पूरा हुआ लेकिन 23 साल के बाद भी सरकार के कई वादे अभी भी अधूरे रह गए. शहीद के पिता ने बताया कि गांव में तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने शहीद बेटे के नाम पर सड़क, अस्पताल, विद्यालय एवं समुदायिक भवन बनाने का वादा किया था. सामुदायिक भवन और विद्यालय का भवन बनकर तैयार है. इसके बावजूद भी उसमें कोई व्यवस्था अभी तक सुचारू रूप से चालू नहीं हो सकी है.

"विद्यालय में सरकार की तरफ से किसी भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है जिसके कारण गांव के बच्चे दूसरे गांव में जाकर पढ़ाई करते हैं. इसके अलावा सड़क निर्माण बेटे के नाम पर करने की बात भी कही गई थी वो वादा भी अधूरा है. केवल शहीद बेटे का स्मारक लाल चौक पर बनाया गया. इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से पटना में शहीद की पत्नी को गैस एजेंसी दिया गया लेकिन राज्य सरकार ने नौकरी का वादा भी किया था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका."- रामदेव यादव, शहीद गणेश प्रसाद के पिता



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