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इस मंदिर में पंचमी के दिन होती है कलश की स्थापना, जानिए इसके पीछे का रहस्य

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Published : Oct 6, 2021, 7:47 AM IST

नवरात्रि में घटस्थापना अथवा कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. ये नवरात्रि का पहला दिन होता है. लेकिन पटना में स्थित एक मंदिर में पहले दिन नहीं बल्कि पांचवें दिन कलश स्थापना की जाती है. पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया इसके पीछे का रहस्य. आप भी जानें आखिर ऐसा क्यों है?..

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पटना: नवरात्रि का महीना 7 अक्टूबर से शुरू (Navratri Start From 7th October) हो रहा है. भक्त माता की पूजा अर्चना की तैयारी के लिए श्रद्धा मन से जुटे हुए हैं. माता के नौ स्वरूपों की पूजा देशभर में बहुत ही धूमधाम से की जाती है. नवदुर्गा की पूजा की शुरुआत पहले दिन यानी कि कलश स्थापन से शुरू होती है. लेकिन पटना में दुर्गा माता का एक ऐसा स्थान है, जहां प्रथम दिन कलश स्थापन नहीं की जाती है, बल्कि पंचमी के दिन की जाती है.

इसे भी पढ़ें: डाकबंगला पर इस बार नहीं लगेगा मां दुर्गा का पंडाल, प्रशासन के आदेश के बाद पूजा कमेटी का फैसला

पटना के बेली रोड स्थित शेखपुरा दुर्गाश्रम (Sheikhpura Durgashram In Patna) में 1939 से दुर्गा पूजा की जा रही है. यहां तब से लेकर आज तक पंचमी के दिन ही कलश स्थापना की जाती है. हालांकि बीच में दो बार 1975 और 1980 में प्रथमा को कलश स्थापन की गई, लेकिन कुछ अनहोनी हो गई. ईटीवी भारत (ETV Bharat) से बातचीत के दौरान पूजा समिति के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि यहां हर वर्ष पंचमी को कलश स्थापन की जाती है.

देखें रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें: सीवान में पूरी भक्ति से मां दुर्गा की अराधना कर रहे भक्त, सड़कों पर कम दिख रही भीड़

यहां 1939 से यही परंपरा चली आ रही है. लेकिन बीच में दो बार कलश स्थापना प्रथमा को की गई थी. 1975 में पहली बार अध्यक्ष उपेंद्र सिंह के चाचा ने प्रथमा को कलश स्थापन कर मां की आराधना शुरू की थी, लेकिन विसर्जन के दिन गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और उसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. जिसके बाद फिर हर साल पंचमी के दिन ही कलश स्थापन की जाने लगी. हालांकि कुछ लोगों के कहे जाने पर 1980 में पूजा समिति ने प्रथमा के दिन कलश स्थापन की, फिर सप्तमी के दिन पट खुलने के साथ ही पूरे पंडाल में आग लग गई.

बता दें कि शेखपुरा दुर्गाश्रम में मां का स्थान सतयुग से है. यहां भक्तों की मन्नतें भी पूरी होती हैं. पूजा समिति के अध्यक्ष ने साफ तौर पर बताया कि जब भी प्रथमा को कलश स्थापन की जाती है, तो कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है और पंचमी के दिन कलश स्थापन की जाती है, तो पूजा अच्छे से हो जाती है. किसी प्रकार की कोई अनहोनी नहीं होती है. बीते 82 सालों में सिर्फ दो बार प्रथमा को कलश स्थापन की गई थी. लेकिन अब पूजा समिति के द्वारा पिछले आयोजकों की परंपरा का पालन करते हुए पंचमी के दिन ही कलश स्थापन करके माता की पूजा आराधना की जाती है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर साल दुर्गा पूजा की सप्तमी के दिन दुर्गाश्रम पहुंचते हैं. जहां वे माता की पूजा आराधना करते हैं. दुर्गाश्रम में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं है. हर साल मूर्तिकार माता की मूर्ति बनाते हैं. यहां पूरे 9 दिनों तक माता की पूजा अर्चना की जाती है और विसर्जन किया जाता है. पूजा समिति के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार कोरोना को लेकर सरकार के जो गाइडलाइंस है उस गाइडलाइंस के तहत ही दुर्गा पूजा की तैयारी चल रही है.

पटना: नवरात्रि का महीना 7 अक्टूबर से शुरू (Navratri Start From 7th October) हो रहा है. भक्त माता की पूजा अर्चना की तैयारी के लिए श्रद्धा मन से जुटे हुए हैं. माता के नौ स्वरूपों की पूजा देशभर में बहुत ही धूमधाम से की जाती है. नवदुर्गा की पूजा की शुरुआत पहले दिन यानी कि कलश स्थापन से शुरू होती है. लेकिन पटना में दुर्गा माता का एक ऐसा स्थान है, जहां प्रथम दिन कलश स्थापन नहीं की जाती है, बल्कि पंचमी के दिन की जाती है.

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पटना के बेली रोड स्थित शेखपुरा दुर्गाश्रम (Sheikhpura Durgashram In Patna) में 1939 से दुर्गा पूजा की जा रही है. यहां तब से लेकर आज तक पंचमी के दिन ही कलश स्थापना की जाती है. हालांकि बीच में दो बार 1975 और 1980 में प्रथमा को कलश स्थापन की गई, लेकिन कुछ अनहोनी हो गई. ईटीवी भारत (ETV Bharat) से बातचीत के दौरान पूजा समिति के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि यहां हर वर्ष पंचमी को कलश स्थापन की जाती है.

देखें रिपोर्ट.

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यहां 1939 से यही परंपरा चली आ रही है. लेकिन बीच में दो बार कलश स्थापना प्रथमा को की गई थी. 1975 में पहली बार अध्यक्ष उपेंद्र सिंह के चाचा ने प्रथमा को कलश स्थापन कर मां की आराधना शुरू की थी, लेकिन विसर्जन के दिन गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और उसमें दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई. जिसके बाद फिर हर साल पंचमी के दिन ही कलश स्थापन की जाने लगी. हालांकि कुछ लोगों के कहे जाने पर 1980 में पूजा समिति ने प्रथमा के दिन कलश स्थापन की, फिर सप्तमी के दिन पट खुलने के साथ ही पूरे पंडाल में आग लग गई.

बता दें कि शेखपुरा दुर्गाश्रम में मां का स्थान सतयुग से है. यहां भक्तों की मन्नतें भी पूरी होती हैं. पूजा समिति के अध्यक्ष ने साफ तौर पर बताया कि जब भी प्रथमा को कलश स्थापन की जाती है, तो कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है और पंचमी के दिन कलश स्थापन की जाती है, तो पूजा अच्छे से हो जाती है. किसी प्रकार की कोई अनहोनी नहीं होती है. बीते 82 सालों में सिर्फ दो बार प्रथमा को कलश स्थापन की गई थी. लेकिन अब पूजा समिति के द्वारा पिछले आयोजकों की परंपरा का पालन करते हुए पंचमी के दिन ही कलश स्थापन करके माता की पूजा आराधना की जाती है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर साल दुर्गा पूजा की सप्तमी के दिन दुर्गाश्रम पहुंचते हैं. जहां वे माता की पूजा आराधना करते हैं. दुर्गाश्रम में माता की प्रतिमा स्थापित नहीं है. हर साल मूर्तिकार माता की मूर्ति बनाते हैं. यहां पूरे 9 दिनों तक माता की पूजा अर्चना की जाती है और विसर्जन किया जाता है. पूजा समिति के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार कोरोना को लेकर सरकार के जो गाइडलाइंस है उस गाइडलाइंस के तहत ही दुर्गा पूजा की तैयारी चल रही है.

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