पटना/नई दिल्ली: JDU सांसद कहकशां परवीन ने राज्यसभा में लोहार जाति को जनजातीय कार्य मंत्रालय की सूची में शामिल करने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि टाइपिंग के दौरान त्रुटि होने की वजह से लोहार की जगह लोहारा लिखा गया, जिसके कारण लोहार समुदाय आरक्षण के लाभ से वंचित है.
बिहार में लोहार जातियों की तादाद अच्छी-खासी है. 26-27 जून को भी शून्यकाल के दौरान मैंने इस विषय को सदन में उठाया था. लेकिन उस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि एक मामूली सी गलती के कारण इस जाति के बच्चों को लाभ नहीं मिल रहा है.
'टाइपिंग में त्रुटि के कारण 'लोहार' हो गया 'लोहारा'
जेडीयू सांसद ने कहा कि लोहार और लोहारा की गलती के कारण परीक्षा में पास करने के बावजूद उनकी नौकरी लटकी हुई हैं. ऐसे में जरूरत है कि मंत्रालय टाइपिंग की त्रुटि दूर कर इस समुदाय को आरक्षण का लाभ दे.
जनजातीय कार्य मंत्री से आग्रह
कहकशां परवीन ने जनजातीय कार्य विभाग की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता से आग्रह करते हुए कहा कि आपके विभाग से जब रेलवे बोर्ड ने लोहार और लोहारा से जुड़ी जानकारी लेना चाहा तो आपके मंत्रालय से साफ कह दिया कि इस तरह की कोई जाति नहीं है. लेकिन भारत सरकार के संस्कृतिक मंत्रालय और चुनाव आयोग ने भी माना है कि बिहार में लोहार जाति है.
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जल्द गलती दुरुस्त करे मंत्रालय
जेडीयू सांसद ने कहा कि बिहार सरकार ने भी कई बार मंत्रालय को पत्र लिखा, लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं. लिहाजा वे मंत्री से गुजारिश करती हैं कि वे इस त्रुटि पर ध्यान देते हुए इसे दुरुस्त करवाएं, ताकि इस जाति से जुड़े बच्चों का भविष्य खतरे में न पड़े.
लोहार को एसटी में लाने पर केंद्र से जवाब-तलब
आपको बताएं कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार में लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में लाने के सरकारी निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को 4 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. इस बारे में राज्य सरकार जवाब दे चुकी है. इस मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी. 2016 में लोहार जाति को पिछड़ी जाति की श्रेणी से हटा कर अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था.