पटना: PMCH में जूनियर डॉक्टर हड़ताल (Junior doctors strike in PMCH) पर हैं और लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर रहने के कारण अस्पताल में इलाज की व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. लगातार दूसरे दिन जूनियर डॉक्टरों ने पर्ची नहीं कटे इसलिए ओपीडी काउंटर खुलते ही सुबह-सुबह जाकर ताला जड़ दिया और काउंटर बंद करा दिया. शनिवार को 1200 से अधिक मरीज बिना इलाज कराए अस्पताल से निराश होकर लौट गएं. जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल की वजह से अस्पताल में इमरजेंसी सेवा भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है और कई लोग अपने मरीजों को लेकर दूसरे अस्पताल का रुख कर रहे हैं.
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"अस्पताल में आठ रोज से हैं, लेकिन इलाज नहीं हो रहा है. गर्दन के नीचे नस में प्रॉब्लम है और हाथ पैर काम नहीं कर रहा है. अस्पताल में बेड नहीं मिला है और जमीन पर रहकर इलाज करा रहे हैं. आज दिखाने गएं तो बताया जा रहा है कि डॉक्टर सब स्ट्राइक पर हैं." -ब्रह्मा देव राय, मरीज
"मुझे ऑर्थो विभाग में दिखाना था, बाएं हाथ की हड्डी खिसक गई है. 90 किलोमीटर दूर से आ रहे हैं लेकिन यहां ओपीडी की पर्ची नहीं कट रही है. बिना पर्ची के डॉक्टर देख नहीं रहे और बताया जा रहा है कि जूनियर डॉक्टर का स्ट्राइक चल रहा है. एक तो बीमारी से परेशान हैं, ऊपर से बिना इलाज कराए लौटने से परेशानी और बढ़ गई है."-अरविंद कुमार, मरीज
" मेरे डेढ़ वर्षीय बच्चे को कुत्ते ने काट लिया है. 3 दिन पहले कुत्ते ने काटा जिसके बाद आनन-फानन में प्राइवेट में पैसे खर्च कर टिका लगवाया. आज दूसरा टीका लगाने का दिन है तो सोचा की सरकारी अस्पताल में टीका लगाते हैं, पैसे बचेंगे लेकिन यहां बताया जा रहा है कि टीका लगवाने के लिए पहले पर्ची कटवा कर आइए और रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद है पर्ची नहीं कट रही है. पीएमसीएच में इस प्रकार के हड़ताल की वजह से गरीब मरीजों की परेशानी बढ़ रही है और इस पर सरकार और अस्पताल प्रशासन को मरीजों के प्रति सहानुभूति रखते हुए कोई निर्णय लेना चाहिए."-संजू कुमारी, मरीज की मां
"जब इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे होते हैं तो मरीज को बचाने का दबाव हम पर भी होता है और कोई डॉक्टर नहीं चाहता कि मरीज की जान जाए. ऐसे में मरीज की जान जाने के बाद परिजन कई बार उग्र हो जाते हैं और हिंसक घटनाओं को अंजाम दे देते हैं. जिसका हम विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को भी यही हुआ था, मरीज की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया डॉक्टरों से बदसलूकी की. वहीं अस्पताल के गार्ड सुरक्षा करने में फेल हैं."- जूनियर डॉक्टर डॉ. संदीपन
"जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को तुड़वाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. सभी सीनियर डॉक्टरों को निर्देशित किया है कि अस्पताल में कोई कार्य ठप नहीं रहना चाहिए. अस्पताल में इनडोर और आउटडोर चल रहा है. सीनियर डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं और आज भी ओपीडी में 250 मरीजों को देखा गया है. जूनियर डॉक्टरों की प्रमुख मांग है सुरक्षा और उन्हे सुरक्षा मिलनी चाहिए इसके लिए अस्पताल के हर विभाग के इमरजेंसी में 10 सुरक्षाकर्मी अतिरिक्त तैनात करने जा रहे हैं. पटना जिला अधिकारी और एसएसपी को पत्र लिखा है. मरीजों के परेशानियों को देखते हुए जूनियर डॉक्टर्स को अपना हड़ताल वापस लेना चाहिए उनकी मांगों पर विचार करते हुए सकारात्मक कार्रवाई की जा रही है."-विद्यापति चौधरी, प्राचार्य, पीएमसीएच
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