पटना: बिहार की जितनी बदनामी टॉपर घोटाले को लेकर हुई उससे ज्यादा बदनामी फर्जी शिक्षकों की बहाली (Recruitment Of Fake Teachers In Bihar) को लेकर हुई. देशभर में इस बात की चर्चा होती है कि जिन लोगों को ना लिखने आता है ना पढ़ने आता है वह शिक्षक कैसे बन गए? बिहार के सरकारी स्कूलों में ऐसे शिक्षक भले ही ज्यादा नहीं है लेकिन उन चंद शिक्षकों ने ही बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर तमाम सवाल खड़े किए हैं. फर्जी शिक्षकों की जांच अब तक पूरी नहीं हुई है.
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पिछली गलतियों से विभाग ने ली सीख?: बड़ा सवाल यह है कि, क्या पिछली गलतियों से शिक्षा विभाग ने कोई सीख लिया है. वर्ष 2015 के बाद जो नियोजन की प्रक्रिया हुई है या वर्तमान में हो रही है उसमें भी शिक्षकों के फोल्डर को मेंटेन (Teachers Folder Not Maintained In Bihar) करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है. ऐसे में भविष्य में भी फर्जीवाड़े का यह दंश बिहार को झेलना पड़ सकता है.
कागजात रखने की नहीं कोई व्यवस्था: सारण के एक प्रखंड नियोजन इकाई में शिक्षकों के कागजात इधर-उधर बिखरे पड़े हैं. एक शिक्षक अभ्यर्थी राजेश कुमार ने जब इस बाबत वहां उपस्थित पंचायती राज के एक अधिकारी से सवाल किया तो, जवाब कुछ यूं मिला कि, यह कागजात छठे चरण के शिक्षक नियोजन से जुड़े हैं. लेकिन सरकार की तरफ से हमें ऐसी कोई व्यवस्था नहीं मिली कि इन्हें कहां रखा जाए. यह हाल सिर्फ सारण की एक प्रखंड नियोजन इकाई का नहीं है बल्कि शिक्षक नियोजन से जुड़े फोल्डर का बिहार के हजारों नियोजन इकाइयों में यही हाल है.
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शिक्षकों के फोल्डर भगवान भरोसे: शिक्षक अभ्यर्थियों ने अपने फोल्डर जिन नियोजन इकाइयों में जमा किए हैं वह भगवान भरोसे है. हम बात उसी फोल्डर की कर रहे हैं जिस फोल्डर के विवाद में बिहार में लगभग 90,000 शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है. वर्ष 2015 से पहले बिहार में जितने शिक्षक नियोजन हुए उनमें करीब एक लाख शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिल रहे हैं. क्योंकि नियोजन इकाइयों ने हाथ खड़ा कर दिया. मामले की जांच कर रही निगरानी ने भी हाईकोर्ट में कहा कि, हमें करीब 1,00000 शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिल रहे और अब सरकार ऐसे शिक्षकों को हटाने का मन बना रही है.
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि, क्या सरकार ने पिछली गलतियों से कोई सबक लिया है. वर्ष 2015 के बाद पांचवें चरण का शिक्षक नियोजन और उसके बाद वर्तमान में छठे चरण का शिक्षक नियोजन चल रहा है. लेकिन सरकार के पास शायद इस बात की कोई जानकारी नहीं कि, जो बहालियां वर्ष 2015 के बाद हुई हैं या वर्तमान में हो रही हैं, उन शिक्षकों के फोल्डर कितने सुरक्षित हैं. भविष्य में अगर शिक्षक नियोजन के किसी फर्जीवाड़े की जांच हो तो शिक्षा विभाग फिर हाथ खड़े करेगा और कहेगा यह जिम्मेदारी तो नियोजन इकाइयों की थी.
शिक्षा विभाग पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप: बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ (Bihar State Primary Teachers Association) के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार कहते हैं कि, शिक्षकों की बहाली हो या शिक्षकों की नौकरी से जुड़े तमाम कागजात, इनके रखने और मेंटेन करने की कोई पुख्ता व्यवस्था सरकार ने अब तक नहीं की है. पिछले कुछ वर्षों से कुछ काम ऑनलाइन किए गए हैं लेकिन अगर फिजिकल कॉपी की बात की जाए तो ना तो हमारे सर्विस बुक, ना ही शिक्षक नियोजन से जुड़े मेरिट लिस्ट और ना ही शिक्षकों के फोल्डर सुरक्षित हाथों में हैं.
"व्यवस्था पहले की तरह ही है. सारे नियोजन इकाइयों पर छोड़ा जाता है. शिक्षकों से बार-बार फोल्डर मांगा गया लेकिन उनको रिसिविंग तक नहीं दिया जाता है. प्रमाण पत्र जमा करने का कोई साक्ष्य नहीं होता है. नियोजन की प्रक्रिया, फोल्डर रखने की व्यवस्था सभी पर ध्यान देने की जरूरत है. 1 लाख शिक्षकों पर अगर सरकार कार्रवाई करेगी तो हम आंदोलन करेंगे."- मनोज कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष, बिहार प्राथमिक शिक्षक संघ
इस बारे में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि, शिक्षकों के दस्तावेज को संभालने की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है. वर्तमान में बिहार की बदनामी की वजह बना फर्जी शिक्षकों की भर्ती का मामला सरकार सुलझा नहीं पाई है. उन्हें हटाने की बात कर रही है. लेकिन असल गलती तो सरकार की ही है. अगर शिक्षकों के फोल्डर नहीं मिल रहे हैं तो इसकी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की है कि उसने क्या इंतजाम किए शिक्षकों के फोल्डर को सही तरीके से व्यवस्थित और सुरक्षित रखने के लिए.
"सरकार की बहाली प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी नहीं है. सरकारी सिस्टम के कारण जो सही से बहाल हुए हैं उनकी फाइल भी नहीं मिल रही है. फोल्डर रखने की व्यवस्था ही नहीं है. पहले तो गलती हुई ही लेकिन अब दूसरी बार के बहाली प्रक्रिया में भी उसी तरह का मामला देखने को मिल रहा है. हमें तो लगता है कि सरकार जानबूझकर अपने लोगों को सेट करने के लिए इस तरह का गड़बड़झाला कराती है."- एजाज अहमद, प्रदेश प्रवक्ता, राजद
बिहार के कई शिक्षक संघों ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि, क्या शिक्षक नियोजन या जो शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं उनके दस्तावेज को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी नियोजन इकाइयों के भरोसे रहेगी. सरकार को शिक्षकों के दस्तावेज और नियोजन से जुड़े तमाम दस्तावेज सुरक्षित और संरक्षित रखने की पुख्ता व्यवस्था करनी चाहिए.
आपको बता दें कि, शिक्षा विभाग ने वर्तमान शिक्षक नियोजन में नियुक्ति पत्र देने से पहले शिक्षकों के दस्तावेज जांच करने की शर्त रखी है. यह भी कहा है कि, अगले चरण से शिक्षक बहाली पूरी तरह ऑनलाइन होगी और सेंट्रलाइज तरीके से आवेदन लिए जाएंगे. लेकिन बड़ा सवाल यह कि, जब तक हजारों नियोजन इकाइयां शिक्षकों की बहाली के लिए होंगी और उन नियोजन इकाइयों में जनप्रतिनिधियों के भरोसे बहाली की प्रक्रिया होगी तो शिक्षकों के फोल्डर और मेरिट लिस्ट को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी आखिर कौन उठाएगा?
खतरे में शिक्षकों की नौकरी :शिक्षाविद डॉ संजय कुमार ने कहा कि, पिछले कुछ वक्त के मेरिट लिस्ट भले ही सरकार को ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएं लेकिन शिक्षकों के फोल्डर अब भी नियोजन इकाइयों के भरोसे हैं. ऐसे में सरकार को इस बारे में पुख्ता व्यवस्था जल्द से जल्द करनी होगी. उन भर्तियों का क्या जो 2015 और 2022 के बीच हुई है क्योंकि उनका प्रमाण पत्र अभी तक जमा नहीं हुआ है. इस मुद्दे पर न तो शिक्षा मंत्री और न ही विभाग के संबंधित अधिकारी कुछ कह रहे हैं. वर्तमान स्थिति निश्चित रूप से कतार में लगे लाखों शिक्षकों की भर्ती को खतरे में डाल देगी.
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