पटना: देश के कई हिस्सों में जीवित्पुत्रिका व्रत (Jeevitputrika Festival) यानि जिउतिया पर्व (Jiutia Festival) पूरे हर्षोल्लास के साथ माताएं मनाने में लगी है. जीवित्पुत्रिका व्रत साल के आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इसी कड़ी में आज रविवार को इस पर्व के अष्टमी तिथि की शाम में इलाके के मंदिरों और घरों में महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु और सुखमय जीवन की कामना को पौराणिक भजनों के साथ विधिवत पूजा-अर्चना करती नजर आई.
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बताया जाता है कि तीज की तरह ही जिउतिया व्रत में भी मां बिना आहार के निर्जला रख कर मनाया जाता है. यह पर्व तीन दिनों तक महिलाएं मनाती हैं. सप्तमी तिथि को नहाए खाए के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं अपने बच्चों के सुख, समृद्धि और उन्नति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और इसके बाद नवमी तिथि यानी कि अगले दिन व्रत का पारण कर व्रत को महिलाएं समाप्त करती हैं. इस मौके पर अपने पुत्रों के लिए इस व्रत निर्जला धारण किये शिक्षिका प्रियंका ने बताया कि इस पर्व को बड़े ही नियम और विधि विधान के साथ मनाया जाता है.
दिया गया जीवित्पुत्रिका व्रत नाम: जिसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसके सर से दिव्य मणि छीन ली. जिसपर क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला. ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देखकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुनः जीवित कर दिया. भगवान श्री कृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया. जिसके बाद हर संतान की लंबी उम्र की कामना करने वाली माताएं इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती है.
जिउतिया व्रत 2022 शुभ मुहूर्त: इस पर्व को आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानि 17 सितंबर 2022 को दोपहर 2.14 मिनट पर शुरू होकर समापन 18 सितंबर 2022 को शाम 04.32 मिनट पर होगी. वहीं उदयातिथि के मुताबिक जीवित्पुत्रिका व्रत (जिउतिया) 18 सितंबर 2022 को रखा जाएगा. इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जाएगा.
जिउतिया व्रत पूजा सामग्री: इस पर्व पर महिलाओं के द्वारा भगवान जीमूतवाहन, गाय के गोबर से पूजन का विधान है. इस व्रत में खड़े अक्षत (चावल), पेड़ा, पान, इलायची, लौंग समेत दूर्वा की माला, सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर के साथ, फुल और गांठ के धागा, कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसो तेल, पूजा में जरूरी है.
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