पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी इन दिनों सुर्खियों में हैं. एक ओर दिल्ली में महागठबंधन के नेताओं के साथ नीतीश कुमार की मुलाकात हो रही थी तो दूसरी तरफ जीतन राम मांझी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल रहे थे. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद जीतन राम मांझी के सुर भी बदलने लगे हैं.
मांझी-शाह की मुलाकात से महागठबंधन की बढ़ी टेंशन: मिशन 2024 बिहार के राजनीतिक दलों के लिए चुनौती है. एक तरफ नीतीश कुमार महागठबंधन के कुनबे को बढ़ाना चाह रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपा भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को आकार देने में जुटी है. इसी क्रम में वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी की मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हो चुकी है और अब उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की है. मांझी की शाह से मुलाकात के बाद बिहारी की सियासी फिजा में बदलाव के आसार भी दिखने लगे हैं. मांझी के सुर भी बदल गए हैं. इसको लेकर तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
"हमारे नेता जीतन राम मांझी जनहित का मुद्दा उठाते रहते हैं. सरकार में रहना या नहीं रहना महत्वपूर्ण नहीं है. मुख्यमंत्री रहते हुए जीतन राम मांझी ने जो वायदे आम लोगों से किए थे उसे भी वह पूरा करवाना चाहते हैं. अगर इसके लिए आंदोलन भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे."- शंभू शरण,राष्ट्रीय प्रवक्ता,हम
मांझी की नाराजगी के प्रमुख कारण: आपको बता दें कि जीतन राम मांझी महागठबंधन में असहज चल रहे हैं. कई बार जीतन राम मांझी अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं. जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन बिहार सरकार में मंत्री हैं. संतोष सुमन भी मिले विभाग से संतुष्ट नहीं हैं. जीतन राम मांझी की नाराजगी के पीछे कई कारण हैं. कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन नहीं होना, पुत्र संतोष सुमन से एक विभाग छीन लिया जाना, संतोष सुमन के विधान परिषद में कार्यकाल को लेकर अनिश्चितता, लोकसभा सीटों को लेकर ठोस आश्वासन की उम्मीद, बोर्ड निगम आयोग में हिस्सेदारी नहीं मिलना, पुत्र संतोष सुमन के पास कम बजट वाला विभाग होना, स्थानीय निकाय के चुनाव में सीट नहीं मिलना जैसे प्रमुख कारणों से मांझी की नाराजगी देखने को मिल रही है.
"जीतन राम मांझी महागठबंधन के साथ ही रहेंगे. दशरथ मांझी को लेकर वह गृह मंत्री से मिले थे. नीतीश कुमार ने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था और आज भी सम्मान देने का काम किया है."- हिम राज राम, जदयू प्रवक्ता
"जीतन राम मांझी जी हम लोगों के अभिभावक हैं. राजद और जदयू ने उनको सम्मान दिया है. हमारी पार्टी और जदयू ने मांझी जी को पूरा सम्मान दिया है जहां तक उनके महागठबंधन में रहने का सवाल है तो हम मानते हैं कि अभी वह हमारे साथ हैं."- शक्ति यादव, राजद प्रवक्ता
'मैं भी नीतीश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकता हूं': इसके साथ ही मुख्यमंत्री रहते हुए लिए गए फैसले को अमल में नहीं लाने पर भी जीतन राम मांझी अपनी नाराजगी कई बार जाहिर कर चुके हैं और जदयू की ओर से उन्हें आश्वासन भी मिला था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि मांझी जी की मांग तो मैं ही पूरा करूंगा. बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने हाल ही में जीतन राम मांझी के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात भी की थी. जीतन राम मांझी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और उसके बाद मांझी के सुर भी बदले बदले हैं. जीतन राम मांझी ने पार्टी की बैठक में कहा कि अगर सचिन पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं तो मैं भी नीतीश सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकता हूं. जीतन राम मांझी के बयान से महागठबंधन नेता असहज दिखाई दे रहे हैं.
"महागठबंधन अब डूबता हुआ जहाज है. कोई भी उसकी सवारी करना नहीं चाहता है. जो जितनी जल्दी जहाज से उतर जाएगा वह उतने ही फायदे में रहेगा. वैसे जीतन राम मांझी को अपने बारे में खुद फैसला लेना है."- जीवेश मिश्रा,भाजपा नेता
"जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली हम पार्टी राजनीति में बारगेन करने में माहिर है. अपने बयान के जरिए जीतन राम मांझी एक बार फिर राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रहे हैं. संभव है कि लोकसभा चुनाव के पूर्व वैसा करने में कामयाब भी हो जाएं. जीतन राम मांझी की चिंता अपने पुत्र संतोष सुमन को लेकर है. लोकसभा चुनाव में भी वह अधिक से अधिक सीटों का आश्वासन चाहते हैं."-कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक