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... तो मांझी ने 'राम का नाम' लेकर दर्द बयां किया है... उनका गुस्सा दिखाना बाकी है! - बिहार में सियासी बवाल

भगवान राम पर दिए गए अपने विवादित बयान को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे HAM प्रमुख जीतन राम मांझी ने गुरुवार को पलटवार किया. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें भी मंदिरों में दलितों के प्रवेश के बारे में बोलना चाहिए. पढ़ें पूरी खबर...

Jitan Ram Manjhi
Jitan Ram Manjhi
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Published : Sep 23, 2021, 7:24 PM IST

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ) ने भगवान राम ( Lord Ram ) को लेकर विवादित बयान दिया था. अपने विवादित बयान को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मांझी ने पलटवार किया है. गुरुवार को उन्होंने ट्वीट कर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें भी मंदिरों में दलितों के प्रवेश के बारे में बोलना चाहिए.

HAM प्रमुख ने अपने ट्वीट में कर्नाटक की उस घटना का जिक्र किया है, जहां मंदिर प्रशासन ने एक दलित पिता पर 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. जो मंदिर के द्वार के बाहर पूजा कर रहा था, लेकिन उसका दो साल का बेटा 4 सितंबर को इसमें प्रवेश कर गया.

  • ये जो हम कह रहें हैं,
    बस सदियों का दर्द है,
    गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया…

    धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की ज़बान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है।
    अब कोई कुछ नहीं बोलेगा,क्योंकि धर्म के ठेकेदारों के पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए,दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे। pic.twitter.com/RMiSpQWqZ5

    — Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 23, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

यह भी पढ़ें- रामायण पर महाभारत: जीतनराम मांझी ने श्रीराम के अस्तित्व पर उठाया सवाल, भगवान मानने से भी इंकार

जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि 'मैं जो कुछ भी कह रहा हूं... सदियों के दर्द का नतीजा है.. हमने अब तक अपना गुस्सा जाहिर नहीं किया है.' मांझी ने आगे लिखा कि धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की जबान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है. अब कोई कुछ नहीं बोलेगा, क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए, दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे.

दरअसल, मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि उन्हें बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने से कोई आपत्ति नहीं है. इसी दौरान उन्होंने कहा कि रामायण की कहानी सच्चाई पर आधारित नहीं है.

यह भी पढ़ें- बोले मांझी- रामायण में नायक और नायिका बनाकर कही गयी है बात, अपने बयान पर 200% हूं कायम

'रामायण में कई अच्छी चीजें हैं, जिनका उपयोग हमारे बच्चों और महिलाओं को शिक्षित करने के लिए किया जा सकता है. हमारे बड़ों और महिलाओं का सम्मान करना इस पुस्तक की विशेषताएं हैं. मुझे रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि यह एक काल्पनिक पुस्तक है और मुझे नहीं लगता कि राम एक महान व्यक्ति थे और वह जीवित थे'- जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

मांझी के इस बयान पर बिहार की सियासत में उबाल आ गई. बीजेपी नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) ने कहा कि बिहार के स्कूलों और कॉलेजों में भगवान श्रीराम से संबंधित बातें पढ़ाई जानी चाहिए. इससे अधिक से अधिक लोग उनके बारे में जान सकेंगे.

यह भी पढ़ें- बोले BJP MLA- राम का अस्तित्व नहीं होता तो नाम जीतन 'राक्षस' मांझी होता

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने भी कहा कि रामायण हमें सदियों से सही राह दिखाती आई है. हम इतिहास पढ़ते हैं तो रामायण भी पढ़नी चाहिए. इतिहास के साथ हर वो विषय लोगों को पढ़नी चाहिए, जो लोगों को बेहतर संदेश देती है.

बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश की सरकार ने रामायण को सिलेबस में शामिल करने का फैसला लिया है. इसके बाद से बिहार में भी रामायण को सिलेबस में शामिल करने की मांग उठी है. ऐसे में मांझी के बयान से सियासत और गरमा गयी है.

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ( Jitan Ram Manjhi ) ने भगवान राम ( Lord Ram ) को लेकर विवादित बयान दिया था. अपने विवादित बयान को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे मांझी ने पलटवार किया है. गुरुवार को उन्होंने ट्वीट कर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें भी मंदिरों में दलितों के प्रवेश के बारे में बोलना चाहिए.

HAM प्रमुख ने अपने ट्वीट में कर्नाटक की उस घटना का जिक्र किया है, जहां मंदिर प्रशासन ने एक दलित पिता पर 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. जो मंदिर के द्वार के बाहर पूजा कर रहा था, लेकिन उसका दो साल का बेटा 4 सितंबर को इसमें प्रवेश कर गया.

  • ये जो हम कह रहें हैं,
    बस सदियों का दर्द है,
    गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया…

    धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की ज़बान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है।
    अब कोई कुछ नहीं बोलेगा,क्योंकि धर्म के ठेकेदारों के पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए,दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे। pic.twitter.com/RMiSpQWqZ5

    — Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) September 23, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा कि 'मैं जो कुछ भी कह रहा हूं... सदियों के दर्द का नतीजा है.. हमने अब तक अपना गुस्सा जाहिर नहीं किया है.' मांझी ने आगे लिखा कि धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की जबान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है. अब कोई कुछ नहीं बोलेगा, क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाए, दलित धर्मिक कव्यों पर टिप्पणी करे.

दरअसल, मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि उन्हें बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल करने से कोई आपत्ति नहीं है. इसी दौरान उन्होंने कहा कि रामायण की कहानी सच्चाई पर आधारित नहीं है.

यह भी पढ़ें- बोले मांझी- रामायण में नायक और नायिका बनाकर कही गयी है बात, अपने बयान पर 200% हूं कायम

'रामायण में कई अच्छी चीजें हैं, जिनका उपयोग हमारे बच्चों और महिलाओं को शिक्षित करने के लिए किया जा सकता है. हमारे बड़ों और महिलाओं का सम्मान करना इस पुस्तक की विशेषताएं हैं. मुझे रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि यह एक काल्पनिक पुस्तक है और मुझे नहीं लगता कि राम एक महान व्यक्ति थे और वह जीवित थे'- जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार

मांझी के इस बयान पर बिहार की सियासत में उबाल आ गई. बीजेपी नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) ने कहा कि बिहार के स्कूलों और कॉलेजों में भगवान श्रीराम से संबंधित बातें पढ़ाई जानी चाहिए. इससे अधिक से अधिक लोग उनके बारे में जान सकेंगे.

यह भी पढ़ें- बोले BJP MLA- राम का अस्तित्व नहीं होता तो नाम जीतन 'राक्षस' मांझी होता

वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Mangal Pandey) ने भी कहा कि रामायण हमें सदियों से सही राह दिखाती आई है. हम इतिहास पढ़ते हैं तो रामायण भी पढ़नी चाहिए. इतिहास के साथ हर वो विषय लोगों को पढ़नी चाहिए, जो लोगों को बेहतर संदेश देती है.

बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश की सरकार ने रामायण को सिलेबस में शामिल करने का फैसला लिया है. इसके बाद से बिहार में भी रामायण को सिलेबस में शामिल करने की मांग उठी है. ऐसे में मांझी के बयान से सियासत और गरमा गयी है.

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