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कर्पूरी ठाकुर जयंती कार्यक्रम में जदयू के सभी दिग्गज नेता होंगे शामिल

जननायक कर्पूरी ठाकुर देश के पहले मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की. वहीं, उन्होंने राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का भी दर्जा दिया. वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बनाया.

पटना
पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती
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Published : Jan 24, 2021, 11:04 AM IST

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती जदयू के कर्पूरी सभागार में आयोजित किया गया. इस दौरान पार्टी के सभी दिग्गज नेता शामिल होंगे. जदयू अति पिछड़ा की तरफ से हर साल यह आयोजन होता रहा है. इस साल भी अति पिछड़ा प्रकोष्ठ ही इसका आयोजन कर रहा है. कोरोना के कारण कई तरह के एहतियात भी बरते गए हैं.

ये भी पढ़ें..कर्पूरी ठाकुर के बहाने अति पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश, राजनीतिक दल कर रहे तैयारी

प्रखंड लेवल पर हो रहा कार्यक्रम का आयोजन
पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि केवल पार्टी मुख्यालय में ही नहीं बल्कि जिला और प्रखंड लेवल पर भी इसका आयोजन पार्टी कर रही है. मुख्यमंत्री पटना में कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है. आरसीपी सिंह के साथ सभी वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे.

ये भी पढ़ें..कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह को लेकर भाजपा और जदयू तैयार

सभी पार्टी कार्यालय में हो रहा आयोजन
अरविंद निषाद ने कहा कि हर साल कृष्ण मेमोरियल हॉल में इसका आयोजन होता रहा है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार पार्टी के कर्पूरी सभागार में किया गया है. दूसरी तरफ आरजेडी बीजेपी और हम पार्टी की ओर से भी कर्पूरी जयंती का आयोजन किया गया है. इस बार सभी पार्टी कार्यालय में ही कार्यक्रम कर रहे हैं.

कर्पूरी को याद रखना क्यों जरूरी है?
बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिहार में जिस नाई समाज की आबादी दो फीसदी से कम है, उस समाज के सबसे बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत के लिए इतनी हाय तौबा उनके निधन के 30 साल बाद क्यों मच रही है? इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि कर्पूरी ठाकुर की पहचान अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के बड़े नेता की बना दी गई है. छोटी-छोटी आबादी वाली विभिन्न जातियों के समूह ईबीसी में 100 से ज्यादा जातियां शामिल हैं.

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की जयंती जदयू के कर्पूरी सभागार में आयोजित किया गया. इस दौरान पार्टी के सभी दिग्गज नेता शामिल होंगे. जदयू अति पिछड़ा की तरफ से हर साल यह आयोजन होता रहा है. इस साल भी अति पिछड़ा प्रकोष्ठ ही इसका आयोजन कर रहा है. कोरोना के कारण कई तरह के एहतियात भी बरते गए हैं.

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प्रखंड लेवल पर हो रहा कार्यक्रम का आयोजन
पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद का कहना है कि केवल पार्टी मुख्यालय में ही नहीं बल्कि जिला और प्रखंड लेवल पर भी इसका आयोजन पार्टी कर रही है. मुख्यमंत्री पटना में कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष है. आरसीपी सिंह के साथ सभी वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे.

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सभी पार्टी कार्यालय में हो रहा आयोजन
अरविंद निषाद ने कहा कि हर साल कृष्ण मेमोरियल हॉल में इसका आयोजन होता रहा है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार पार्टी के कर्पूरी सभागार में किया गया है. दूसरी तरफ आरजेडी बीजेपी और हम पार्टी की ओर से भी कर्पूरी जयंती का आयोजन किया गया है. इस बार सभी पार्टी कार्यालय में ही कार्यक्रम कर रहे हैं.

कर्पूरी को याद रखना क्यों जरूरी है?
बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिहार में जिस नाई समाज की आबादी दो फीसदी से कम है, उस समाज के सबसे बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत के लिए इतनी हाय तौबा उनके निधन के 30 साल बाद क्यों मच रही है? इसकी सबसे बड़ी वजह तो यही है कि कर्पूरी ठाकुर की पहचान अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के बड़े नेता की बना दी गई है. छोटी-छोटी आबादी वाली विभिन्न जातियों के समूह ईबीसी में 100 से ज्यादा जातियां शामिल हैं.

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