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10% सवर्ण आरक्षण को लेकर उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर JDU के अंदर सवर्ण नेताओं ने खोला मोर्चा

10% जातिगत आरक्षण वाले बयान पर उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ जदयू के सवर्ण नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है. ऐसे में जदयू के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और पार्टी के कई नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान से खासे (Upper caste JDU leader upset on Kushwaha statement) नाराज हैं. पढ़ें पूरी खबर...

10% सवर्ण आरक्षण को लेकर उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ जदयू के अंदर सवर्ण नेताओं ने खोला मोर्चा
10% सवर्ण आरक्षण को लेकर उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ जदयू के अंदर सवर्ण नेताओं ने खोला मोर्चा
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Published : Nov 28, 2022, 9:54 PM IST

पटना: बिहार में आरक्षण पर लंबे समय से सियासत होता ( Politics on Caste reservation in Bihar) रहा है. सवर्ण वर्ग को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण पर सियासत थम नहीं रहा है उपेंद्र कुशवाहा लगातार इस को लेकर बयान दे रहे हैं तो वही जदयू में ही उनके खिलाफ सवर्ण नेताओं ने मोर्चा खोल (JDU leaders open front against Upendra Kushwaha) दिया है. उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि 50% की सीमा इस आरक्षण से टूट गई है. ऐसे में आरक्षण की सीमा को और बढ़ाना चाहिए क्योंकि अभी 10% आरक्षण जातीय आधार पर ही दिया गया है. आर्थिक आधार पर नहीं यदि आर्थिक आधार पर दिया जाता तो इसमें सब को शामिल किया जाता ऐसा नहीं है जदयू के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और पार्टी के कई नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान से खासे नाराज हैं.

ये भी पढे़ंः जीतन राम मांझी की मांग- झारखंड की तरह बिहार में बढ़े आरक्षण की सीमा

देखें रिपोर्ट.


कुशवाहा के बयान से सवर्ण नेता हुए नाराज: जदयू के राज्य परिषद की बैठक में दिए उपेंद्र कुशवाहा ने सवर्ण वर्ग को दिए गए 10% आरक्षण का मुद्दा उठाया था और 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने की वकालत की थी. उपेंद्र कुशवाहा पहले भी सवर्ण वर्ग के आरक्षण को लेकर बयान देते रहे हैं. पार्टी के अंदर विरोध के बाद अब खुलकर न सही लेकिन कहीं ना कहीं सवर्ण आरक्षण तरीके को लेकर उनका विरोध दिख रहा है. उपेंद्र कुशवाहा कहते रहे हैं कि जो सवर्ण वर्ग को आरक्षण दिया गया है वह भी जातीय आधार पर ही है और इसलिए जातीय आधार पर जो 50% की सीमा है वह टूट चुकी है. यदि ऐसा नहीं होता तो आर्थिक आधार पर आरक्षण में सबको मौका मिलता. उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर भी जदयू के सवर्ण नेताओं में नाराजगी है और खुलकर मोर्चा खोल दिया है.


"उपेंद्र कुशवाहा को कुछ भी बोलने से पहले स्टडी कर लेना चाहिए था. केंद्र द्वारा आरक्षण दिए जाने के बाद पूरे देश में सबसे पहले नीतीश कुमार ने ही विधानसभा से 10% आरक्षण को पास करवाया था. इसे इशू बनाना सही नहीं है. जय कुमार सिंह आज से कुढ़नी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं चुनाव के बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे." :- जय कुमार सिंह पूर्व मंत्री जदयू

"10% सवर्ण आरक्षण का हम विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन यह आरक्षण भी जातीय आधार पर ही दिया गया है आर्थिक आधार पर नहीं है इस बात पर अभी भी कायम है." : - उपेंद्र कुशवाहा, जदयू संसदीय बोर्ड राष्ट्रीय अध्यक्ष



मोहन भागवत के बयान के बाद हुआ था बवाल : बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में भी आरक्षण बड़ा मुद्दा बना था. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद महागठबंधन ने इस मुद्दे को भुनाने में कामयाबी हासिल की थी. उसमें महागठबंधन में नीतीश कुमार भी शामिल थे. उपेंद्र कुशवाहा लगातार 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं लेकिन नाराजगी पार्टी के अंदर इस बात को है लेकर है कि 10% सवर्ण आरक्षण पर जिस प्रकार से उपेंद्र कुशवाहा बोल रहे हैं. वह सही नहीं है और इसी के कारण पार्टी के अंदर विवाद बढ़ रहा है. फिलहाल कुढ़नी चुनाव में पार्टी के सभी नेता लगे हुए हैं और विवाद तूल देना नहीं चाहते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार क्या कुछ कदम उठाते हैं क्योंकि सवर्ण वर्ग के नेताओं ऑफ कैमरा साफ कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी बात रखेंगे तो हम लोग भी अपनी बात से पीछे नहीं हटने वाले.


ये भी पढे़ंः बीजेपी की बिहार में आरक्षण बढ़ाने की मांग, राजद ने कहा जरूरी है तो भाजपा को किसने रोका है

पटना: बिहार में आरक्षण पर लंबे समय से सियासत होता ( Politics on Caste reservation in Bihar) रहा है. सवर्ण वर्ग को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण पर सियासत थम नहीं रहा है उपेंद्र कुशवाहा लगातार इस को लेकर बयान दे रहे हैं तो वही जदयू में ही उनके खिलाफ सवर्ण नेताओं ने मोर्चा खोल (JDU leaders open front against Upendra Kushwaha) दिया है. उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि 50% की सीमा इस आरक्षण से टूट गई है. ऐसे में आरक्षण की सीमा को और बढ़ाना चाहिए क्योंकि अभी 10% आरक्षण जातीय आधार पर ही दिया गया है. आर्थिक आधार पर नहीं यदि आर्थिक आधार पर दिया जाता तो इसमें सब को शामिल किया जाता ऐसा नहीं है जदयू के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह और पार्टी के कई नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान से खासे नाराज हैं.

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कुशवाहा के बयान से सवर्ण नेता हुए नाराज: जदयू के राज्य परिषद की बैठक में दिए उपेंद्र कुशवाहा ने सवर्ण वर्ग को दिए गए 10% आरक्षण का मुद्दा उठाया था और 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने की वकालत की थी. उपेंद्र कुशवाहा पहले भी सवर्ण वर्ग के आरक्षण को लेकर बयान देते रहे हैं. पार्टी के अंदर विरोध के बाद अब खुलकर न सही लेकिन कहीं ना कहीं सवर्ण आरक्षण तरीके को लेकर उनका विरोध दिख रहा है. उपेंद्र कुशवाहा कहते रहे हैं कि जो सवर्ण वर्ग को आरक्षण दिया गया है वह भी जातीय आधार पर ही है और इसलिए जातीय आधार पर जो 50% की सीमा है वह टूट चुकी है. यदि ऐसा नहीं होता तो आर्थिक आधार पर आरक्षण में सबको मौका मिलता. उपेंद्र कुशवाहा के इस बयान पर भी जदयू के सवर्ण नेताओं में नाराजगी है और खुलकर मोर्चा खोल दिया है.


"उपेंद्र कुशवाहा को कुछ भी बोलने से पहले स्टडी कर लेना चाहिए था. केंद्र द्वारा आरक्षण दिए जाने के बाद पूरे देश में सबसे पहले नीतीश कुमार ने ही विधानसभा से 10% आरक्षण को पास करवाया था. इसे इशू बनाना सही नहीं है. जय कुमार सिंह आज से कुढ़नी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं चुनाव के बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे." :- जय कुमार सिंह पूर्व मंत्री जदयू

"10% सवर्ण आरक्षण का हम विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन यह आरक्षण भी जातीय आधार पर ही दिया गया है आर्थिक आधार पर नहीं है इस बात पर अभी भी कायम है." : - उपेंद्र कुशवाहा, जदयू संसदीय बोर्ड राष्ट्रीय अध्यक्ष



मोहन भागवत के बयान के बाद हुआ था बवाल : बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में भी आरक्षण बड़ा मुद्दा बना था. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद महागठबंधन ने इस मुद्दे को भुनाने में कामयाबी हासिल की थी. उसमें महागठबंधन में नीतीश कुमार भी शामिल थे. उपेंद्र कुशवाहा लगातार 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं लेकिन नाराजगी पार्टी के अंदर इस बात को है लेकर है कि 10% सवर्ण आरक्षण पर जिस प्रकार से उपेंद्र कुशवाहा बोल रहे हैं. वह सही नहीं है और इसी के कारण पार्टी के अंदर विवाद बढ़ रहा है. फिलहाल कुढ़नी चुनाव में पार्टी के सभी नेता लगे हुए हैं और विवाद तूल देना नहीं चाहते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार क्या कुछ कदम उठाते हैं क्योंकि सवर्ण वर्ग के नेताओं ऑफ कैमरा साफ कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी बात रखेंगे तो हम लोग भी अपनी बात से पीछे नहीं हटने वाले.


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