पटना: जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा को लेकर जदयू के अंदर घमासान मचा हुआ है. एक तरफ राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कह रहे हैं कि उपेंद्र कुशवाहा अब जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद पर नहीं हैं. अब वह केवल एक प्राथमिक सदस्य रह गए हैं. जबकि उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि 'हम कागज पर संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. लेकिन मौखिक रूप से मैं पार्टी में किसी पद पर नहीं हूं. यही तो मैं कह रहा था कि मुझे झुनझुना थमा दिया गया है.'
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उपेंद्र कुशवाहा के बयानों पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को बहुत सम्मान दिया है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा पार्टी को लगातार कमजोर करते रहे कुशवाहा समाज नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़ी है, उनकी बैठक में कोई भी नेता जाने वाला नहीं है.'
उपेन्द्र कुशवाहा महज एक कार्यकर्ता: जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि पार्टी संविधान में हर 3 साल पर चुनाव होना है. इस बार प्रखंड स्तर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का चुनाव हुआ है, लेकिन प्रदेश स्तर पर हमने कमेटी नहीं बनाई है, ना ही राष्ट्रीय स्तर पर ललन सिंह ने कोई कमेटी बनाई है. उपेंद्र कुशवाहा पहले संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, लेकिन जब नई कमेटी बनी ही नहीं तो वो किसी पद पर नहीं है. पार्टी संविधान के अनुसार उन्हें मीटिंग बुलाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. जनता दल यूनाइटेड नीतीश कुमार की सींची हुई पार्टी है.
'उपेन्द्र को दिया नीतीश ने सहारा': उमेश कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के जीवन में जब-जब भी अंधकार आया हमारे नेता नीतीश कुमार ने उन्हें प्रकाश दिया. जब-जब 2009 में लौटकर पार्टी में आए थे, तो हमारे नेता ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया. लेकिन फिर यहां से चले गए और जब आए तो हमारे नेता ने उन्हें विधान परिषद भेज दिया और संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बना दिया.
'झुनझुना' वाले बयान पर उमेश का पलटवार: इस सवाल पर कि अभी तो जो लेटर निकल रहा है जो पुराने पदाधिकारी हैं उन्हीं के नाम से निकल रहा है, इस पर उमेश कुशवाहा ने कहा कि मुख्यालय प्रभारी और मेरे नाम से लेटर निकाला जा रहा है. उपेंद्र कुशवाहा अभी पार्टी में केवल प्राथमिक सदस्य हैं. उमेश कुशवाहा ने उपेंद्र कुशवाहा के 'झुनझुना' वाले बयान पर कहा कि 'अब जो राजनीति में लोग आते हैं तो उनकी इच्छा होती है विधान परिषद पहुंचे, विधानसभा पहुंचे, राज्यसभा पहुंचे और लोकसभा पहुंचे. पद के लिए लालायित रहते हैं तो राजनीति में आने वाले लोगों की गरिमा का क्या होगा?'
उपेन्द्र कुशवाहा को चुनाव लड़ने की चुनौती: उमेश कुशवाहा ने उपेन्द्र कुशवाहा को चुनौती देते हुए कहा कि वो किसी एक वार्ड सदस्य का भी चुनाव लड़ कर देख लें. 19 और 20 फरवरी को उपेंद्र कुशवाहा द्वारा बुलाई गई बैठक से पार्टी को टूट का खतरा तो नहीं है? इस सवाल पर उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि कुशवाहा समाज नीतीश कुमार के साथ मजबूती से एकजुट है. उनकी बैठक में कोी जाने वाला नहीं है.
कौन कर रहा जेडीयू को कमजोर? : उपेंद्र कुशवाहा की ओर से लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं और उसका जवाब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक दे रहे हैं. प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की तरफ से चुनौती भी दी जा रही है कि वार्ड सदस्य का चुनाव उपेंद्र कुशवाहा जीत नहीं सकते हैं और नीतीश कुमार ने उन्हें हर बार सम्मान दिया है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा पार्टी को लगातार कमजोर करते रहे हैं.