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JDU ने EWS के 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, कहा- हम समान अवसर के पक्षधर

जेडीयू ने सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 % कोटे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखने पर प्रसन्नता व्यक्त की है.

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Published : Nov 8, 2022, 7:11 AM IST

पटना : जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने देश में सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 % कोटे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखने पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होनें कहा है कि हमारी पार्टी शुरू से ही संविधान में वर्णित न्याय व्यवस्था की स्थापना की तथा हर वर्ग और जाति के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान, कार्यपालिका एवं विधायिका सहित अन्य सभी क्षेत्रों में समान अवसर और प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की पक्षधर रही है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय गणना कराने की मांग लंबे समय से करते आए हैं.

ये भी पढ़ें- 'किस मुंह से सवर्णों के पास वोट मांगने जायगी RJD'.. EWS पर 'सुप्रीम फैसले' के बाद बोले सुशील मोदी


प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना कराने से न्याय पूर्ण नीतियां बनाई जा सकेगी और फिर उसी के अनुसार बजटीय प्रावधान किया जा सकेगा. हमारे देश में 1931 में लगभग 90 वर्ष पूर्व अंतिम बार जातिगत जनगणना हुई थी. उसके बाद से आज तक शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर कोई सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है. आज की सबसे बड़ी आवश्यकता जातीय गणना है जिससे कि सभी जाति-वर्ग की वास्तविक स्थिति सामने आ पाए क्योंकि जातिगत जनगणना ही सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है. जातीय जनगणना से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सामाजिक समूह को आगे आने का विश्वसनीय और पारदर्शी मार्ग प्रसस्त होगा. हमने प्रारंभ से ही जाति आधारित जनगणना की मांग की है, इससे इस प्रकार के कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद मिलेगी जाति आधारित सामाजिक एवं आर्थिक गणना से लाभार्थियों को चिन्हित करने में मदद मिलेगी जिससे संतुलित सामाजिक विकास सुनिश्चित होंगे.


उमेश कुशवाहा ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार के सुशासन का आधार संवैधानिक प्रावधानों पर आधारित है. हम समाज के कमजोर एवं पिछड़ों को न्याय दिलाने के समर्थक हैं. बिहार में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पिछले 17 वर्षों से प्रदेश के समस्त लोगों के सर्वांगीण विकास हेतु किये जा रहे कार्यों का लाभ समान रूप से सभी को मिलता रहा है. उन्होंने ही देश में सबसे पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एवं नगर निकाय के चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने का काम कियास महिलाओं को पंचायत व निकाय चुनाव में तथा सरकारी नौकरी में आरक्षण देकर देकर उनके सशक्तिकरण का कार्य कियास उन्होंने सामाजिक न्याय की दिशा में कई क्रांतिकारी एवं ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. उच्चतम न्यायालय द्वारा आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण के संदर्भ में दिया गया फैसला स्वागत योग्य है. इससे सामाजिक न्याय को स्थापित करने में अधिक सहायता मिलेगी और इससे समाज का संतुलित समन्वित एवं समग्र विकास सुनिश्चित होगा.

पटना : जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने देश में सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 % कोटे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखने पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होनें कहा है कि हमारी पार्टी शुरू से ही संविधान में वर्णित न्याय व्यवस्था की स्थापना की तथा हर वर्ग और जाति के शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान, कार्यपालिका एवं विधायिका सहित अन्य सभी क्षेत्रों में समान अवसर और प्रतिनिधित्व देने के लिए आरक्षण की पक्षधर रही है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमारे नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय गणना कराने की मांग लंबे समय से करते आए हैं.

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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में जातीय जनगणना कराने से न्याय पूर्ण नीतियां बनाई जा सकेगी और फिर उसी के अनुसार बजटीय प्रावधान किया जा सकेगा. हमारे देश में 1931 में लगभग 90 वर्ष पूर्व अंतिम बार जातिगत जनगणना हुई थी. उसके बाद से आज तक शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर कोई सही आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है. आज की सबसे बड़ी आवश्यकता जातीय गणना है जिससे कि सभी जाति-वर्ग की वास्तविक स्थिति सामने आ पाए क्योंकि जातिगत जनगणना ही सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम है. जातीय जनगणना से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े सामाजिक समूह को आगे आने का विश्वसनीय और पारदर्शी मार्ग प्रसस्त होगा. हमने प्रारंभ से ही जाति आधारित जनगणना की मांग की है, इससे इस प्रकार के कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन में मदद मिलेगी जाति आधारित सामाजिक एवं आर्थिक गणना से लाभार्थियों को चिन्हित करने में मदद मिलेगी जिससे संतुलित सामाजिक विकास सुनिश्चित होंगे.


उमेश कुशवाहा ने कहा कि हमारे नेता नीतीश कुमार के सुशासन का आधार संवैधानिक प्रावधानों पर आधारित है. हम समाज के कमजोर एवं पिछड़ों को न्याय दिलाने के समर्थक हैं. बिहार में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पिछले 17 वर्षों से प्रदेश के समस्त लोगों के सर्वांगीण विकास हेतु किये जा रहे कार्यों का लाभ समान रूप से सभी को मिलता रहा है. उन्होंने ही देश में सबसे पहले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एवं नगर निकाय के चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने का काम कियास महिलाओं को पंचायत व निकाय चुनाव में तथा सरकारी नौकरी में आरक्षण देकर देकर उनके सशक्तिकरण का कार्य कियास उन्होंने सामाजिक न्याय की दिशा में कई क्रांतिकारी एवं ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. उच्चतम न्यायालय द्वारा आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण के संदर्भ में दिया गया फैसला स्वागत योग्य है. इससे सामाजिक न्याय को स्थापित करने में अधिक सहायता मिलेगी और इससे समाज का संतुलित समन्वित एवं समग्र विकास सुनिश्चित होगा.

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