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बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार, फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में बिहार के साथ हो रहा भेदभाव- रणवीर नंदन

जदयू ने केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला है. जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता रणवीर नन्दन (JDU Spokesperson Ranveer Nandan) ने कहा कि बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार लगातार जारी है. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत फूड प्राॅसेसिंग और संग्रहण के बिहार को मात्र एक यूनिट आवंटित किया गया है जबकि गुजरात को 31 यूनिट आवंटित किया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Nov 17, 2022, 10:50 PM IST

रणवीर नंदन जदयू प्रवक्ता
रणवीर नंदन जदयू प्रवक्ता

पटना: जदयू के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधान पार्षद रणवीर नन्दन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते (Ranveer Nandan Target central Government) हुए कहा कि बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार लगातार जारी है. यहां सत्ता में थे तो छुप-छुपाकर भाजपा बिहार के साथ भेदभाव करती थी. अब बिहार में सरकार से अलग होने के बाद सब खुलेआम होने लगा है. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत फूड प्राॅसेसिंग और संग्रहण (Food Processing And Storage In Bihar) के बिहार को मात्र एक यूनिट आवंटित किया गया है जबकि गुजरात को 31, उत्तर प्रदेश को 26, महाराष्ट्र को 41, असम को 21 और हरियाणा जैसे छोटे राज्य को 14 यूनिट आवंटित किया गया है.

ये भी पढ़ें- JDU ने गुजरात मॉडल को बताया फिसड्डी-'स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार बेहतर लेकिन BJP कर रही बदनाम'

रणवीर नंदन

JDU ने केंद्र पर बोला हमला : रणवीर नंदन ने कहा कि केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर योजना के जरिए 2 लाख से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में मदद की जानी थी. लेकिन बिहार में तो यह आंकड़ा 2 दर्जन भी नहीं पहुंच सका. बिहार की आबादी, देश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है. बिहार के किसान विपरीत परिस्थितियों में भी खेती कर रहे हैं. बेहतर उत्पादन की ओर अग्रसर हैं. बिहार में आलू, केला, मखाना, टमाटर, आम सहित अन्य फूड आइटम्स की पैदावार होती है लेकिन पर्याप्त स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट के अभाव में फसल का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद भी हो जाता है.

'एसोचैम की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि फसल और सब्जियों के नुकसान के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है. बिहार में सालाना लगभग 10,700 करोड़ रुपए से अधिक की फसल बर्बाद हो जाती है. बिहार हिंदुस्तान का चैथा सर्वाधिक सब्जी और आठवां सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला राज्य है. वर्ष 2005-06 में राज्य में सब्जी उत्पादन 72 लाख टन हुआ करता था जो कि 2018-19 में बढ़कर 166.03 लाख टन हो गया. सब्जियों के इतने भारी मात्रा में उत्पादन के बावजूद बिहार में कोल्ड-स्टोरेज की संख्या हरियाणा जैसे छोटे राज्य से भी कम है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 2017 से 2020 तक तीन सालों में हरियाणा में 23 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और बिहार में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में मात्र 6 कोल्ड स्टोरेज की वृद्धि हुई. वहीं, गुजरात में इस दौरान 216 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए.' - रणवीर नंदन, जदयू प्रवक्ता

JDU प्रवक्ता ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना : JDU प्रवक्ता रणवीर नंदन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में इस दौरान 121 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और हिमाचल प्रदेश में भी 13 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए जो कि देश में सर्वाधिक सब्जी और फल उत्पादित करने वालों राज्यों में से एक बिहार से दुगुना से भी ज्यादा हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने बिहार में कोल्ड चेन, वैल्यू एडिशन एवं संरक्षण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए पिछले वर्षों में बिहार को एक भी रुपया नहीं दिया है. जबकि इस दौरान गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना को केंद्र ने ना केवल आर्थिक सहायता दी है बल्कि वहां इसके लिए यूनिट्स भी लगाये हैं. बिहार सब्जी उत्पादन में देश में चैथे स्थान पर है और फल उत्पादन में आठवें स्थान पर और इन दोनों को नीति आयोग कृषि उत्पादन के मानक में शामिल नहीं किया है. जिसके कारण बिहार का नीति आयोग रैंकिंग नीचे आया है.

पटना: जदयू के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधान पार्षद रणवीर नन्दन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते (Ranveer Nandan Target central Government) हुए कहा कि बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार लगातार जारी है. यहां सत्ता में थे तो छुप-छुपाकर भाजपा बिहार के साथ भेदभाव करती थी. अब बिहार में सरकार से अलग होने के बाद सब खुलेआम होने लगा है. प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत फूड प्राॅसेसिंग और संग्रहण (Food Processing And Storage In Bihar) के बिहार को मात्र एक यूनिट आवंटित किया गया है जबकि गुजरात को 31, उत्तर प्रदेश को 26, महाराष्ट्र को 41, असम को 21 और हरियाणा जैसे छोटे राज्य को 14 यूनिट आवंटित किया गया है.

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रणवीर नंदन

JDU ने केंद्र पर बोला हमला : रणवीर नंदन ने कहा कि केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर योजना के जरिए 2 लाख से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में मदद की जानी थी. लेकिन बिहार में तो यह आंकड़ा 2 दर्जन भी नहीं पहुंच सका. बिहार की आबादी, देश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है. बिहार के किसान विपरीत परिस्थितियों में भी खेती कर रहे हैं. बेहतर उत्पादन की ओर अग्रसर हैं. बिहार में आलू, केला, मखाना, टमाटर, आम सहित अन्य फूड आइटम्स की पैदावार होती है लेकिन पर्याप्त स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट के अभाव में फसल का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद भी हो जाता है.

'एसोचैम की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि फसल और सब्जियों के नुकसान के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है. बिहार में सालाना लगभग 10,700 करोड़ रुपए से अधिक की फसल बर्बाद हो जाती है. बिहार हिंदुस्तान का चैथा सर्वाधिक सब्जी और आठवां सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला राज्य है. वर्ष 2005-06 में राज्य में सब्जी उत्पादन 72 लाख टन हुआ करता था जो कि 2018-19 में बढ़कर 166.03 लाख टन हो गया. सब्जियों के इतने भारी मात्रा में उत्पादन के बावजूद बिहार में कोल्ड-स्टोरेज की संख्या हरियाणा जैसे छोटे राज्य से भी कम है. आंकड़ों पर नजर डालें तो 2017 से 2020 तक तीन सालों में हरियाणा में 23 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और बिहार में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में मात्र 6 कोल्ड स्टोरेज की वृद्धि हुई. वहीं, गुजरात में इस दौरान 216 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए.' - रणवीर नंदन, जदयू प्रवक्ता

JDU प्रवक्ता ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना : JDU प्रवक्ता रणवीर नंदन ने केंद्र सरकार पर निशाना साधाते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में इस दौरान 121 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और हिमाचल प्रदेश में भी 13 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए जो कि देश में सर्वाधिक सब्जी और फल उत्पादित करने वालों राज्यों में से एक बिहार से दुगुना से भी ज्यादा हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने बिहार में कोल्ड चेन, वैल्यू एडिशन एवं संरक्षण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए पिछले वर्षों में बिहार को एक भी रुपया नहीं दिया है. जबकि इस दौरान गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र,आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना को केंद्र ने ना केवल आर्थिक सहायता दी है बल्कि वहां इसके लिए यूनिट्स भी लगाये हैं. बिहार सब्जी उत्पादन में देश में चैथे स्थान पर है और फल उत्पादन में आठवें स्थान पर और इन दोनों को नीति आयोग कृषि उत्पादन के मानक में शामिल नहीं किया है. जिसके कारण बिहार का नीति आयोग रैंकिंग नीचे आया है.

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