पटना: नगर निकाय चुनाव में हाईकोर्ट की रोक (Bihar Municipal Corporation) लगने के बाद बिहार में सियासत थम नहीं रही है. जदयू की ओर से 1 महीने के अंदर बीजेपी के खिलाफ आज दूसरा अभियान चलाया जा रहा है. पटना के गांधी मैदान में जनता दल यूनाइटेड ने बीजेपी के खिलाफ पोल खोल धरना दिया है. पूरे बिहार में जदयू नेताओं की ओर से ईबीसी आरक्षण को लेकर बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोल, पोल-खोल धराना दिया जा रहा है.
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'अति पिछड़ा आरक्षण खत्म करने की साजिश': पटना गांधी मैदान में धरना दे रहे जदयू के प्रदेश अध्यक्ष है उमेश कुशवाहा ने कहा कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है. पटना हाईकोर्ट में बीजेपी के लोगों ने याचिका दायर कर नगर निकाय चुनाव में अति पिछड़ा के आरक्षण समाप्त करने की कोशिश किया है. इसलिए हम लोग पूरे बिहार में बीजेपी के खिलाफ यह कार्यक्रम कर रहे हैं. गांधी मैदान में जदयू के धरना कार्यक्रम में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी शामिल हैं. बड़ी संख्या में जेडीयू के नेता भी मौजूद हैं. बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में बीजेपी के खिलाफ धरना दिया जा रहा है.
''भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरे को उजागर करने के लिए ये धरना, पोल खोल किया जा रहा है. पूरे बिहार में ये धरना जारी है. 2006 में ही हमारे नेता नीतीश कुमार ने पंचायती राज नियमावली में संशोधन करके उसी नियम से चुनाव करवा रही है. भाजपा वाले लोगों ने हाईकोर्ट में जाकर ईबीसी आरक्षण के मुद्दे पर नगर निकाय चुनाव पर रोक लगवा दी. अब अति पिछड़ों के आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की जा रही है''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
ललन सिंह बोले - निकाय चुनाव स्थगित होना है एक साजिश : जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि हमने आरक्षण दिया लेकिन 2022 में केंद्र सरकार की तरफ से नई साज़िश रची गई और इस बार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने का फैसला लिया गया है. हाई कोर्ट का एक निर्णय आया है और आयोग बनाने की बात कही गई है. ये मामले को लटकलाने की एक साजिश है.
बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान: दरअसल जदयू के लोग बीजेपी को दोहरा चरित्र वाला बता रहे हैं. जदयू जिला में आरक्षण को लेकर बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान चला रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी भी नीतीश कुमार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी आयोग नहीं बनाने को लेकर निशाना साध रही है. नीतीश कुमार के खिलाफ चरणबद्ध ढंग से आंदोलन चलाने की घोषणा कर दी है. बीजेपी नेताओं का कहना है सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था. उसका पालन नीतीश सरकार ने नहीं किया और उसके कारण ही अति पिछड़ों के आरक्षण को लेकर नगर निकाय चुनाव रुका है.
क्या है मामला: दरअसल, बिहार में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna high court decision Over EBC Reservation) ने बड़ा फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कराने से फिलहाल रोक लगा दी. पटना हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद आनन-फानन में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग (Bihar State Election Commission) की बैठक हुई. जिसमें अधिकारियों ने पूरे मामले पर हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी ली. जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारी और नगर विकास विभाग के सचिव भी मौजूद रहे. इस बैठक में चुनाव को फिलहाल स्थगित करने का निर्णय लिया गया.
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला: दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़ें जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.