पटना: जदयू के प्रदेश से राष्ट्रीय स्तर तक पदाधिकारियों के नामों की घोषणा कर दी गयी है. पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांव लगाया (JDU bet on backward and backward) गया है. राष्ट्रीय और प्रदेश पदाधिकारियों की जम्बो टीम में कुशवाहा जाति के नेताओं को विशेष तवज्जो दी गई है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह सब कुछ उपेंद्र कुशवाहा से निपटने के लिए किया गया है. उपेंद्र कुशवाहा के नजदीकी भी कह रहे हैं कि उनके नेता के खौफ के कारण ही जदयू में कुशवाहा नेताओं को जगह दी गई है.
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उपेंद्र कुशवाहा को मात देने की तैयारी: ललन सिंह ने 32 सदस्यीय राष्ट्रीय पदाधिकारियों की जो टीम तैयार की है उसमें उपेंद्र कुशवाहा को चुनौती देने के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को जगह दी गई है. उनके अलावा भी कई कुशवाहा नेता हैं. वही प्रदेश पदाधिकारियों की 251 सदस्यीय टीम तैयार की गई है उसमें भी कई कुशवाहा नेता के नाम हैं. कई तो उपेंद्र कुशवाहा के काफी नजदीकी भी रहे हैं. राष्ट्रीय लोक जनता दल के नेता सुभाष सिंह का कहना है कि यह सब कुछ उपेंद्र कुशवाहा के खौफ के कारण किया जा रहा है.
पिछड़ा और अति पिछड़ा पर दांवः जदयू की नवगठित टीम के माध्यम से उपेंद्र कुशवाहा से तो लड़ने की तैयारी है ही है, साथ ही बीजेपी से भी मुकाबला करने की रणनीति तैयार की गई है. जिस प्रकार से पिछड़ा और अति पिछड़ा को संगठन में जगह दिया गया है आरजेडी के लिए भी मैसेज है. राष्ट्रीय स्तर की जो टीम तैयार की गई है उसमें 8 कुर्मी-कुशवाहा और 6 अति पिछड़ा, 5 मुसलमान और दो यादव के साथ दो महादलित को भी जगह दी गयी है. चार सवर्ण को भी जगह दी गयी है. वहीं प्रदेश स्तर की टीम में अति पिछड़ा 52, पिछड़ा 86, मुस्लिम 21, दलित 34 और इसके अलावा अन्य वर्ग को जगह दी गई है.
मजबूत साथियों को महत्वपूर्ण जिम्मेवारीः जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है पार्टी ने किसी जाति विशेष और किसी दल विशेष को लेकर टीम तैयार नहीं की है. जदयू प्रवक्ता ने कहा कि मजबूत साथियों को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है, जिससे हमारे नेता और सरकार की जो नीति-सिद्धांत और काम है उसे जनता तक ले जाएं. यह सब कुछ तैयारी 2024 और 2025 को ध्यान में रखकर किया गया है. आरजेडी का भी यही सामाजिक समीकरण है. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है हर पार्टी की अपनी सोच है. आरजेडी तो जिला स्तर पर संगठन में अति पिछड़ा और दलित को आरक्षण दे रखा है. इसी से हमारे नेता लालू प्रसाद यादव की क्या सोच है पता चलता है.
केसी त्यागी का नहीं होना चौंकाया: सबसे चौंकाने वाली बात है केसी त्यागी को राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में जगह नहीं देना. हालांकि जदयू की तरफ से राष्ट्रीय महासचिव आफाक खान ने केसी त्यागी को लेकर सफाई भी दी है. कहा है कि उनकी तरफ से ही पद मुक्त करने का आग्रह किया गया था. लेकिन, चर्चा यह है कि केसी त्यागी नई टीम के साथ एडजस्ट नहीं कर पा रहे थे. लंबे समय से राज्यसभा भेजे जाने का इंतजार भी कर रहे थे. राष्ट्रीय स्तर पर जदयू का पक्ष मजबूती से केसी त्यागी पिछले दो दशक से रख रहे थे. ऐसे में देखना होगा कि उनकी भूमिका कौन निभाता है. ऐसे जिम्मेवारी बीजेपी से आए राजीव रंजन को दी गई है.
"पार्टी ने किसी जाति विशेष और किसी दल विशेष को लेकर टीम तैयार नहीं की है. मजबूत साथियों को महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी गई है, जिससे हमारे नेता और सरकार की जो नीति-सिद्धांत और काम है उसे जनता तक ले जाएं. यह सब कुछ तैयारी 2024 और 2025 को ध्यान में रखकर किया गया है"-अभिषेक झा, प्रवक्ता जदयू