पटनाः अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर जदयू 13 अक्टूबर को बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान (Pol Khol Campaign Against BJP In Bihar) पूरे बिहार में करेगी. इस बात की जानकारी देते हुए जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (JDU state president Umesh Kushwaha) ने कहा कि बीजेपी का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ गया है, सरकार सुप्रीम कोर्ट में निकाय चुनाव में अति पिछड़ा आरक्षण को लेकर अपील करने जा रही है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा अति पिछड़ा के लिए काम करते रहे हैं.
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बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान: दरअसल जदयू के लोग बीजेपी को दोहरा चरित्र वाला बता रहे हैं. जदयू जिला में आरक्षण को लेकर बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान चलाने जा रही है. दूसरी तरफ बीजेपी भी नीतीश कुमार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी आयोग नहीं बनाने को लेकर निशाना साध रही है. नीतीश कुमार के खिलाफ चरणबद्ध ढंग से आंदोलन चलाने की घोषणा कर दी है. बीजेपी नेताओं का कहना है सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था. उसका पालन नीतीश सरकार ने नहीं किया और उसके कारण ही अति पिछड़ों के आरक्षण को लेकर नगर निकाय चुनाव रुका है.
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जदयू: नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा वर्ग को लुभाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ वरिष्ठ मंत्रियों को भी मैदान में उतार दिया है. अब सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने वाली है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर वरिष्ठ नेता अलग अलग तरीके से तर्क दे रहे हैं. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सुप्रीम कोर्ट में जब बिहार सरकार अपील करती है तो क्या कुछ फैसला होता है. क्योंकि बीजेपी लगातार कह रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दे रखा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई लाभ नहीं मिलेगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से यदि फैसला सरकार के खिलाफ आता है तो बीजेपी को फिर से सरकार पर हमला करने का एक और मौका मिल जाएगा.
बीजेपी ने राज्य सरकार पर इसका ठीकराः आपको बता दें कि बिहार में होने वाले नगर निकाय चुनाव (Bihar Municipal Election 2022) पर पटना हाईकोर्ट के रोक बाद से बीजेपी और महागठबंधन के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. जदयू और सत्ता में सहयोगी राजद इसके लिए बीजेपी को दोषी बता रहे हैं. अब जेडीयू बीजेपी के खिलाफ 13 अक्टूबर से पोल खोल अभियान चलाने जा रही है, तो वहीं बीजेपी ने राज्य सरकार पर इसका ठीकरा फोड़ा है. नगर निकाय में अति पिछड़ा के आरक्षण को लेकर दोनों दल एक दूसरे को घेरने में लगे हैं. बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में भी आरक्षण बड़ा मुद्दा बना था और अब एक बार फिर आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है.
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