पटना: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिए गए बयान पर बिहार में भी सियासत शुरू है. सत्ताधारी जेडीयू के विधायक ललन पासवान ने कहा कि आरक्षण पर किसी तरह की चर्चा देशहित में नहीं है. ललन पासवान पिछले दिनों ही रालोसपा से जेडीयू में शामिल हुए हैं. मोहन भागवत को जवाब देने के सवाल पर ललन पासवान ने कहा कि जब बातें खुलकर सामने आऐंगी तो पार्टी पूरी ताकत से उसका जवाब देगी.
'संविधान से मिला है अधिकार, समीक्षा की जरूरत नहीं'
विधायक ललन पासवान ने कहा कि पहले भी मोहन भागवत ने आरक्षण को लेकर बयान दिया था. पिछले साल 2018 में उसका जवाब भी उन्हें उसी ढंग से दिया गया था. उन्होंने कहा कि आरक्षण देना कोई भीख देने जैसा नहीं है. आरक्षण भीख नहीं बल्कि अधिकार है. बाबा साहब ने सामाजिक स्थिति के मद्देनजर संविधान से आरक्षण दिलाया है. इसपर किसी तरह की समीक्षा ठीक नहीं है. यदि इस पर कोई फैसला आगे आता है तो वह देशहित में नहीं होगा.
पिछले बयान का जीतन राम मांझी ने किया था समर्थन
हालांकि, मोहन भागवत के बयान पर जेडीयू के किसी बड़े नेता का स्टैंड अबतक नहीं आया है. ऐसे में देखना है कि पार्टी किस ओर जाती है. पिछले साल मोहन भागवत के बयान का जीतन राम मांझी जैसे नेताओं ने भी समर्थन किया था और समीक्षा की बात कही थी. लेकिन, कई विरोधी दलों के नेताओं ने विरोध किया था और एक बार फिर से बयान पर विरोध शुरू हो गया है.
मोहन भागवत के इस बयान पर मचा बवाल
बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि जो लोग आरक्षण के पक्ष में हैं और जो लोग इसके खिलाफ हैं, उन लोगों को इस विषय पर सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी आरक्षण पर हमने बयान दिया था. लेकिन, इससे काफी हंगामा मच गया और पूरी चर्चा मुख्य मुद्दे से भटक गयी. मोहन भागवत ने इस बार कहा है कि आरक्षण पर चर्चा हर बार तीखी हो जाती है, जबकि इस दृष्टिकोण पर समाज के विभिन्न वर्गों में सामंजस्य जरूरी है.