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'CM नीतीश के नेतृत्व में अल्पसंख्यक सुरक्षित, BJP के साथ गठबंधन से डरने की जरूरत नहीं'

बिहार में जदयू के साथ बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार यानी एनडीए को लेकर अल्पसंख्यकों में अक्सर इस बात की चिंता रहती है कि बिहार में भी अब मुसलमान के हक की अनदेखी हो रही है लेकिन बिहार में जेडीयू अपने अल्पसंख्यक कैडर को कमजोर होता नहीं देखना चाहता. यही वजह है कि जेडीयू के अल्पसंख्यक नेता अब ये समझाने में लगे हैं कि सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के रहते प्रदेश में अल्पसंख्यकों के साथ कुछ गलत नहीं होगा.

सीएम नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार
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Published : Jun 27, 2022, 8:37 AM IST

पटनाः बिहार के जदयू अल्पसंख्यक नेताओं की पार्टी कार्यालय में महत्वपूर्ण (JDU Minority Leaders Meeting In Patna) बैठक हुई. जहां मंत्री जमा खान (Minister Jama Khan) और जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ (JDU Minority Cell) के अध्यक्ष सलीम परवेज की मौजूदगी में पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं और कार्यकर्ताओं को नीतीश कुमार के कामकाज को जनता के बीच ले जाने का निर्देश दिया गया. साथ ही अल्पसंख्यकों के मन से बीजेपी का डर दूर करने पर भी रणनीति बनाई गई. बैठक में यह भी तय हुआ कि जदयू के अल्पसंख्यक नेता एकजुटता के साथ काम करें.

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"बीजेपी के साथ 17 सालों से एनडीए की सरकार है. लेकिन पिछली बार 2020 के चुनाव में हम लोग जनता के बीच अपनी बात रखने में विफल हो गए. नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के लिए जितना काम बिहार में किया है दूसरे किसी राज्य में किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया. हज भवन के अलावे पटना में अंजुमन इस्लामिया हॉल बना है, जो कहीं और नहीं है. 2020 में चूक हुई थी लेकिन 2024 और 2025 में कोई चूक नहीं होगी, अब हम लोग अपनी बात मजबूती से रखेंगे"- जमा खान, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

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मुसलमानों को अपने भविष्य की चिंताः दरअसल जब से बिहार में एनडीए सरकार के कई बीजेपी नेताओं द्वारा अल्पसंख्यकों को लेकर सख्त बयानबाजी की जाने लगी, तभी से यहां के मुसलमानों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी. विपक्ष के लोग भी कई बार ये कह चुके हैं कि एनडीए की सरकार में अब मुस्लामानों की बात मजबूती से नहीं रखी जाती. पिछले दिनों ही एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने बिहार में उर्दू की अंदेखी को लेकर सवाल उठाए थे. इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को पहली बार बिहार में पांच सीट मिलना भी इस बात की ओर इशारा करता है कि बिहार के मुसलमानों का नीतीश से भरोसा उठने लगा है. जेडीयू के अल्पसंख्यकों नेताओं में भी इसे लेकर चिंता बढ़ी हुई है. यही वजह है कि पार्टी के नेता अभी से 2024 और 2025 चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की बात करते नजर आ रहे हैं.

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2020 में जेडीयू ने खोया अल्पसंख्यकों का विश्वासः इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही ललन सिंह ने भी 2021 में उपचुनाव के समय अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास बहाली का प्रयास किया था. वजह ये थी कि विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू ने बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों का विश्वास खो दिया था. ललन सिंह ने साफ शब्दों में कह था कि बिहार में नीतीश के रहते मुसलमानों को कोई आंख नहीं दिखा सकता है. बिहार में जबतक नीतीश कुमार हैं, तब तक मुसलमान सुरक्षित हैं. अल्पसंख्यकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार ही हैं, जो बिहार को बचा सकते हैं. बिहार के अल्संख्यकों के हित की रक्षा कर सकते हैं. बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए आजादी के बाद जितना काम हुआ, उसमें सबसे ज्यादा योगदान नीतीश कुमार का है. बहरहाल अब मुसमानों के बीच जेडीयू नेताओं के इन प्रयासों को कितनी सफलता मिलेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

पटनाः बिहार के जदयू अल्पसंख्यक नेताओं की पार्टी कार्यालय में महत्वपूर्ण (JDU Minority Leaders Meeting In Patna) बैठक हुई. जहां मंत्री जमा खान (Minister Jama Khan) और जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ (JDU Minority Cell) के अध्यक्ष सलीम परवेज की मौजूदगी में पार्टी के अल्पसंख्यक नेताओं और कार्यकर्ताओं को नीतीश कुमार के कामकाज को जनता के बीच ले जाने का निर्देश दिया गया. साथ ही अल्पसंख्यकों के मन से बीजेपी का डर दूर करने पर भी रणनीति बनाई गई. बैठक में यह भी तय हुआ कि जदयू के अल्पसंख्यक नेता एकजुटता के साथ काम करें.

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"बीजेपी के साथ 17 सालों से एनडीए की सरकार है. लेकिन पिछली बार 2020 के चुनाव में हम लोग जनता के बीच अपनी बात रखने में विफल हो गए. नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के लिए जितना काम बिहार में किया है दूसरे किसी राज्य में किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया. हज भवन के अलावे पटना में अंजुमन इस्लामिया हॉल बना है, जो कहीं और नहीं है. 2020 में चूक हुई थी लेकिन 2024 और 2025 में कोई चूक नहीं होगी, अब हम लोग अपनी बात मजबूती से रखेंगे"- जमा खान, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

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मुसलमानों को अपने भविष्य की चिंताः दरअसल जब से बिहार में एनडीए सरकार के कई बीजेपी नेताओं द्वारा अल्पसंख्यकों को लेकर सख्त बयानबाजी की जाने लगी, तभी से यहां के मुसलमानों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी. विपक्ष के लोग भी कई बार ये कह चुके हैं कि एनडीए की सरकार में अब मुस्लामानों की बात मजबूती से नहीं रखी जाती. पिछले दिनों ही एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने बिहार में उर्दू की अंदेखी को लेकर सवाल उठाए थे. इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम को पहली बार बिहार में पांच सीट मिलना भी इस बात की ओर इशारा करता है कि बिहार के मुसलमानों का नीतीश से भरोसा उठने लगा है. जेडीयू के अल्पसंख्यकों नेताओं में भी इसे लेकर चिंता बढ़ी हुई है. यही वजह है कि पार्टी के नेता अभी से 2024 और 2025 चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की बात करते नजर आ रहे हैं.

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2020 में जेडीयू ने खोया अल्पसंख्यकों का विश्वासः इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही ललन सिंह ने भी 2021 में उपचुनाव के समय अल्पसंख्यकों के बीच विश्वास बहाली का प्रयास किया था. वजह ये थी कि विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू ने बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों का विश्वास खो दिया था. ललन सिंह ने साफ शब्दों में कह था कि बिहार में नीतीश के रहते मुसलमानों को कोई आंख नहीं दिखा सकता है. बिहार में जबतक नीतीश कुमार हैं, तब तक मुसलमान सुरक्षित हैं. अल्पसंख्यकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार ही हैं, जो बिहार को बचा सकते हैं. बिहार के अल्संख्यकों के हित की रक्षा कर सकते हैं. बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए आजादी के बाद जितना काम हुआ, उसमें सबसे ज्यादा योगदान नीतीश कुमार का है. बहरहाल अब मुसमानों के बीच जेडीयू नेताओं के इन प्रयासों को कितनी सफलता मिलेगी, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

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