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नीतीश ने दो कुशवाहा नेताओं को 'बिहार यात्रा' पर भेजा, कौन किस पर पड़ेगा भारी? - entral Cabinet

बिहार में सत्ताधारी दल जदयू (JDU) का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) में जनाधार खिसकने से पार्टी एक के बाद एक कई प्रयोग कर रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) संगठन से लेकर सरकार के स्तर पर लगातार नए-नए फैसले ले रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Jul 22, 2021, 9:19 PM IST

Updated : Jul 22, 2021, 11:02 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू (JDU) का जनाधार खिसक गया और वो तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. वहीं, आरसीपी सिंह (RCP Singh) के केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) में शामिल होने के बाद से पार्टी का एक खेमा नाराज है. जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) संगठन से लेकर सरकार के स्तर पर लगातार नए-नए फैसले ले रहे हैं.

ये भी पढ़ें- ऑल इज नॉट वेल इन JDU! ललन सिंह समेत कई नेताओं ने पार्टी की बैठक से बनाई दूरी

नीतीश कुमार ने कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha)को ताकत दिखाने के लिए बिहार की यात्रा पर उतार दिया है. दोनों कुशवाहा नेता अपनी बिहार यात्रा के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद जदयू प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी उमेश कुशवाहा को दी गई है. वशिष्ठ नारायण सिंह से यह जिम्मेवारी ली गई. वहीं, बाद में उपेंद्र कुशवाहा को भी जदयू में शामिल कराया गया और संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. नीतीश कुमार अपने 'लव कुश' समीकरण को फिर से एकजुट करने में लगे हैं और उसी के तहत दोनों फैसले लिए हैं.

देखें रिपोर्ट

लेकिन, नीतीश कुमार के भरोसे पर उतरने के लिए एक तरफ उमेश कुशवाहा बिहार में सभी जिलों की यात्रा कर रहे हैं, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने भी 18 जुलाई से पूर्वी चंपारण से बिहार यात्रा की शुरुआत की है, जो 38 जिलों की यात्रा करेंगे. दोनों कुशवाहा नेता पूरे बिहार की यात्रा कर शक्ति प्रदर्शन कर करेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा की कुशवाहा समाज के एक बड़े नेता के रूप में पहचान है. नीतीश कुमार के कभी काफी नजदीकी रह चुके हैं. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी संभाल चुके हैं. राज्यसभा के सांसद, लोकसभा के सांसद के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी भूमिका निभा चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा कई दल में रहे और अंत में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का भी गठन किया. ये महत्वाकांक्षी नेता माने जाते हैं, 2020 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी बने थे, लेकिन पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई.

ये भी पढ़ें- JDU की युद्ध स्तर पर तैयारियां कहीं बिहार में मध्यावधि चुनाव के संकेत तो नहीं?

वहीं, उमेश कुशवाहा लंबे समय तक आरजेडी में रहे हैं और तीन बार आरजेडी से चुनाव लड़े हैं. चौथी बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में जीत नहीं पाए. जदयू में प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जदयू के नई प्रदेश कमेटी का गठन किया है. उमेश कुशवाहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह खेमे के माने जाते हैं. जदयू में उमेश कुशवाहा की एंट्री उपेंद्र कुशवाहा के काट के रूप में की गई थी.

लेकिन, सबसे खास बात है कि दोनों नेता वैशाली जिले के जंदाहा विधानसभा क्षेत्र से ही आते हैं. जो आप महनार विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है और एक दूसरे के कट्टर विरोधी भी रहे हैं. दोनों एक एक बार विधायक भी रह चुके हैं. लेकिन, उपेंद्र कुशवाहा को जंदाहा विधानसभा उमेश कुशवाहा के कारण ही छोड़ना पड़ा था.

उपेंद्र कुशवाहा 2000 में जंदाहा से विधायक बने थे. इसके बाद 2005 फरवरी में हुए चुनाव में जंदाहा से उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से चुनाव लड़ा था और उमेश कुशवाहा ने आरजेडी से चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों चुनाव हार गए. इस चुनाव में लोजपा के अच्युतानंद सिंह ने जीत दर्ज की थी. उमेश कुशवाहा के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा चुनाव जीत नहीं पाए थे.

2005 नवंबर में हुए चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा जंदाहा से चुनाव नहीं लड़े और इसका बड़ा कारण उमेश कुशवाहा ही माने जाते हैं. 2005 नवंबर में हुए चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा समस्तीपुर के दलसिंहसराय से चुनाव लड़े और फिर हार गये. उपेंद्र कुशवाहा की हार में उमेश कुशवाहा का यहां भी बड़ा हाथ रहा था. उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से बाहर निकलने के बाद उमेश कुशवाहा को उनकी काट के रूप में जदयू में शामिल कराया गया. 2015 के चुनाव में उमेश कुशवाहा जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और महनार से इस बार चुनाव जीत भी गए.

राजद के वरिष्ठ नेता और कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे वृषिण पटेल का कहना है कि ''नीतीश कुमार में कॉन्फिडेंस नहीं है, इसलिए दो-दो कुशवाहा नेता को बिहार यात्रा पर उतारा है. दोनों शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि उमेश कुशवाहा की एंट्री ही उपेंद्र कुशवाहा के विरोध में हुई है.''

ये भी पढ़ें- NDA के बाद अब JDU में भी कमजोर हो गए हैं नीतीश, सहमति के बगैर भी RCP ले लेते हैं फैसला!

''जब संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बिहार यात्रा कर रहे हैं, तो प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को यात्रा नहीं करनी चाहिए थी. यह साफ दिख रहा है कि दोनों कुशवाहा नेता अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं और नीतीश कुमार की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश भी कर रहे हैं.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

''2020 के चुनाव में पिछड़ने के बाद नीतीश कुमार ने कुशवाहा समाज को फिर से जोड़ने की कोशिश शुरू की है. एक तरफ उमेश कुशवाहा को अध्यक्ष बनाया है .वहीं उपेंद्र कुशवाहा को भी पार्टी में शामिल कराया है. अब दोनों को यात्रा पर उतारने के पीछे नीतीश कुमार की एक तो यह मैसेज देने की कोशिश होगी कि कुशवाहा समाज उनके साथ है. दूसरा उपेंद्र कुशवाहा और उमेश कुशवाहा दोनों की ताकत भी देखना चाहते हैं''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की यात्रा को लेकर पार्टी के तरफ से लेटर निकाला गया है, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा अपने स्तर से जानकारी दे रहे हैं. उमेश कुशवाहा जिस विधानसभा क्षेत्र में जदयू हारी है, वहां जाकर फीडबैक ले रहे हैं और जिले के कार्यकारिणी सभी प्रकोष्ठ के साथ बैठक भी कर रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा भी संवाद कर रहे हैं. उमेश कुशवाहा के साथ संगठन की ताकत है, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा अपने छवि के आधार पर जिलों का दौरा कर रहे हैं.

''शक्ति प्रदर्शन के सवाल पर उमेश कुशवाहा का कहना है कि ''इसे राजनीतिक एंगल से देखने की जरूरत नहीं है. जब से जिम्मेवारी मिली है, तब से हम लोग संगठन को मजबूत करने में लगे हैं. जदयू को नंबर वन पार्टी बनाने का संकल्प लिया है और यात्रा भी उसी को लेकर कर रहे हैं.''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष जदयू

बता दें कि जदयू में एक तरह से दोनों कुशवाहा नेताओं में जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि कौन सा कुशवाहा नेता किस पर भारी पड़ता है. वैसे तो उपेंद्र कुशवाहा समाज के बड़े नेता माने जाते हैं, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में ना तो उपेंद्र कुशवाहा को सफलता मिली और ना ही उमेश कुशवाहा चुनाव जीत सके. अब देखना है कि नीतीश कुमार की उम्मीदों पर दोनों कुशवाहा नेता में से कौन ज्यादा खरे उतरते हैं और नीतीश किस पर ज्यादा भरोसा करते हैं.

ये भी पढ़ें- बोले उपेंद्र कुशवाहा- जनगणना में जाति का जिक्र जरूरी, विकास योजना भी होता है प्रभावित

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू (JDU) का जनाधार खिसक गया और वो तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. वहीं, आरसीपी सिंह (RCP Singh) के केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) में शामिल होने के बाद से पार्टी का एक खेमा नाराज है. जिसके बाद सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) संगठन से लेकर सरकार के स्तर पर लगातार नए-नए फैसले ले रहे हैं.

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नीतीश कुमार ने कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha)को ताकत दिखाने के लिए बिहार की यात्रा पर उतार दिया है. दोनों कुशवाहा नेता अपनी बिहार यात्रा के माध्यम से शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.

विधानसभा चुनाव के बाद जदयू प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी उमेश कुशवाहा को दी गई है. वशिष्ठ नारायण सिंह से यह जिम्मेवारी ली गई. वहीं, बाद में उपेंद्र कुशवाहा को भी जदयू में शामिल कराया गया और संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. नीतीश कुमार अपने 'लव कुश' समीकरण को फिर से एकजुट करने में लगे हैं और उसी के तहत दोनों फैसले लिए हैं.

देखें रिपोर्ट

लेकिन, नीतीश कुमार के भरोसे पर उतरने के लिए एक तरफ उमेश कुशवाहा बिहार में सभी जिलों की यात्रा कर रहे हैं, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने भी 18 जुलाई से पूर्वी चंपारण से बिहार यात्रा की शुरुआत की है, जो 38 जिलों की यात्रा करेंगे. दोनों कुशवाहा नेता पूरे बिहार की यात्रा कर शक्ति प्रदर्शन कर करेंगे.

उपेंद्र कुशवाहा की कुशवाहा समाज के एक बड़े नेता के रूप में पहचान है. नीतीश कुमार के कभी काफी नजदीकी रह चुके हैं. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी भी संभाल चुके हैं. राज्यसभा के सांसद, लोकसभा के सांसद के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी भूमिका निभा चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा कई दल में रहे और अंत में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का भी गठन किया. ये महत्वाकांक्षी नेता माने जाते हैं, 2020 विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी बने थे, लेकिन पार्टी एक भी सीट जीत नहीं पाई.

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वहीं, उमेश कुशवाहा लंबे समय तक आरजेडी में रहे हैं और तीन बार आरजेडी से चुनाव लड़े हैं. चौथी बार जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में जीत नहीं पाए. जदयू में प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद जदयू के नई प्रदेश कमेटी का गठन किया है. उमेश कुशवाहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह खेमे के माने जाते हैं. जदयू में उमेश कुशवाहा की एंट्री उपेंद्र कुशवाहा के काट के रूप में की गई थी.

लेकिन, सबसे खास बात है कि दोनों नेता वैशाली जिले के जंदाहा विधानसभा क्षेत्र से ही आते हैं. जो आप महनार विधानसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता है और एक दूसरे के कट्टर विरोधी भी रहे हैं. दोनों एक एक बार विधायक भी रह चुके हैं. लेकिन, उपेंद्र कुशवाहा को जंदाहा विधानसभा उमेश कुशवाहा के कारण ही छोड़ना पड़ा था.

उपेंद्र कुशवाहा 2000 में जंदाहा से विधायक बने थे. इसके बाद 2005 फरवरी में हुए चुनाव में जंदाहा से उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से चुनाव लड़ा था और उमेश कुशवाहा ने आरजेडी से चुनाव लड़ा था, लेकिन दोनों चुनाव हार गए. इस चुनाव में लोजपा के अच्युतानंद सिंह ने जीत दर्ज की थी. उमेश कुशवाहा के कारण ही उपेंद्र कुशवाहा चुनाव जीत नहीं पाए थे.

2005 नवंबर में हुए चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा जंदाहा से चुनाव नहीं लड़े और इसका बड़ा कारण उमेश कुशवाहा ही माने जाते हैं. 2005 नवंबर में हुए चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा समस्तीपुर के दलसिंहसराय से चुनाव लड़े और फिर हार गये. उपेंद्र कुशवाहा की हार में उमेश कुशवाहा का यहां भी बड़ा हाथ रहा था. उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से बाहर निकलने के बाद उमेश कुशवाहा को उनकी काट के रूप में जदयू में शामिल कराया गया. 2015 के चुनाव में उमेश कुशवाहा जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और महनार से इस बार चुनाव जीत भी गए.

राजद के वरिष्ठ नेता और कभी नीतीश कुमार के नजदीकी रहे वृषिण पटेल का कहना है कि ''नीतीश कुमार में कॉन्फिडेंस नहीं है, इसलिए दो-दो कुशवाहा नेता को बिहार यात्रा पर उतारा है. दोनों शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि उमेश कुशवाहा की एंट्री ही उपेंद्र कुशवाहा के विरोध में हुई है.''

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''जब संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा बिहार यात्रा कर रहे हैं, तो प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को यात्रा नहीं करनी चाहिए थी. यह साफ दिख रहा है कि दोनों कुशवाहा नेता अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं और नीतीश कुमार की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश भी कर रहे हैं.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

''2020 के चुनाव में पिछड़ने के बाद नीतीश कुमार ने कुशवाहा समाज को फिर से जोड़ने की कोशिश शुरू की है. एक तरफ उमेश कुशवाहा को अध्यक्ष बनाया है .वहीं उपेंद्र कुशवाहा को भी पार्टी में शामिल कराया है. अब दोनों को यात्रा पर उतारने के पीछे नीतीश कुमार की एक तो यह मैसेज देने की कोशिश होगी कि कुशवाहा समाज उनके साथ है. दूसरा उपेंद्र कुशवाहा और उमेश कुशवाहा दोनों की ताकत भी देखना चाहते हैं''- प्रोफेसर अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की यात्रा को लेकर पार्टी के तरफ से लेटर निकाला गया है, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा अपने स्तर से जानकारी दे रहे हैं. उमेश कुशवाहा जिस विधानसभा क्षेत्र में जदयू हारी है, वहां जाकर फीडबैक ले रहे हैं और जिले के कार्यकारिणी सभी प्रकोष्ठ के साथ बैठक भी कर रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा भी संवाद कर रहे हैं. उमेश कुशवाहा के साथ संगठन की ताकत है, तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा अपने छवि के आधार पर जिलों का दौरा कर रहे हैं.

''शक्ति प्रदर्शन के सवाल पर उमेश कुशवाहा का कहना है कि ''इसे राजनीतिक एंगल से देखने की जरूरत नहीं है. जब से जिम्मेवारी मिली है, तब से हम लोग संगठन को मजबूत करने में लगे हैं. जदयू को नंबर वन पार्टी बनाने का संकल्प लिया है और यात्रा भी उसी को लेकर कर रहे हैं.''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष जदयू

बता दें कि जदयू में एक तरह से दोनों कुशवाहा नेताओं में जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में देखना दिलचस्प है कि कौन सा कुशवाहा नेता किस पर भारी पड़ता है. वैसे तो उपेंद्र कुशवाहा समाज के बड़े नेता माने जाते हैं, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में ना तो उपेंद्र कुशवाहा को सफलता मिली और ना ही उमेश कुशवाहा चुनाव जीत सके. अब देखना है कि नीतीश कुमार की उम्मीदों पर दोनों कुशवाहा नेता में से कौन ज्यादा खरे उतरते हैं और नीतीश किस पर ज्यादा भरोसा करते हैं.

ये भी पढ़ें- बोले उपेंद्र कुशवाहा- जनगणना में जाति का जिक्र जरूरी, विकास योजना भी होता है प्रभावित

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Last Updated : Jul 22, 2021, 11:02 PM IST
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