पटना: शिक्षा विभाग के फैसले को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है. राजनीतिक दलों ने शिक्षा विभाग के फैसले पर उंगली उठाई है तो सत्ताधारी दल जनता दल यूनाइटेड की ओर से भी सफाई दी गई है. पार्टी की ओर से कहा गया है कि शिक्षा विभाग के फैसले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
स्कूलों की छुट्टी पर क्या बोली जदयू: शिक्षा विभाग में जो छुट्टियों को लेकर कैलेंडर जारी किए हैं उससे विवाद खड़ा हो गया है. जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि शिक्षा विभाग ने छुट्टियों को लेकर दो कैलेंडर जारी किए हैं. छुट्टियों को कम नहीं किया गया है सिर्फ समायोजन किया गया है. पहले जितने कार्य दिवस छुट्टी दिए जाते थे आज भी उतने ही हैं.
"शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 200 दिनों तक पढ़ाई का प्रावधान है और 60 दिन अवकाश दिया जाता रहा है. पिछले 3 साल के दौरान इतनी ही छुट्टियां दी जा रही हैं. अगर कुछ विसंगतियां है तो विभाग के स्तर पर उसे दूर कर लिया जाएगा. शिक्षा विभाग के फैसले को धार्मिक चश्मे से देखने की जरूरत नहीं है. इसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम के चश्मे से देखा जाए."- नीरज कुमार, जदयू प्रवक्ता
पहली बार छुट्टी तालिका एक साथ घोषित: पहली बार ऐसा हुआ है कि शिक्षा विभाग की ओर से पहली क्लास से लेकर 12वीं तक के लिए एक ही तरह की छुट्टी तालिका घोषित की गई है. इससे पहले प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में छुट्टी जिला स्तर से तय की जाती थी. वहीं, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों की छुट्टियां माध्यमिक निदेशालय के निर्देश पर मिलती थी.
बीजेपी का हमला: इसको लेकर बीजेपी बिहार सरकार पर हमलावर है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि जिस तरह से हिंदुओं के पर्व को काट दिया गया और मुसलमानों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं, इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार में इस्लामिक धर्म के आधार पर सरकार काम कर रही है. अगर इन छुट्टियों को फिर से बहाल नहीं किया गया तो आने वाले समय में इनको खामियाजा भुगतना पड़ेगा. इनको मोहम्मद नीतीश और मोहम्मद लालू कहा जाएगा.