पटनाः बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 39 हजार पहुंच गई है. मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा और इलाज की सही व्यवस्था नहीं होने को लेकर राजद ने स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठाया है. साथ ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से इस्तीफे की मांग की है.
'चेहरा चमकाने में लगे हैं स्वास्थ्य मंत्री'
राजद नेता शिवचंद्र राम ने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से खराब हो चुकी है. अभी तक न ठीक से कोरोना की जांच हो रही है और न ही वक्त पर रिपोर्ट ही मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मियों और सफाई कर्मचारियों को पीपीई किट मिलना चाहिए. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ अपना चेहरा चमकाने के लिए हॉस्पिटल में पीपीई किट पहन कर घूम रहे हैं.
'अनुमंडलों में नहीं हो रही कोरोना जांच'
शिवचंद्र राम ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को बताना चाहिए कि अभी तक कहां-कहां जांच की व्यवस्था की गई और कितने प्रतिशत लोगों की जांच हो चुकी है. लेकिन वह इन सवालों से भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने दावा किया गया था कि प्रत्येक अनुमंडल में कोरोना की जांच होगी. लेकिन अभी तक इसकी शुरुआत भी नहीं हुई है.
'राजद शासनकाल में बेपटरी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था'
स्वास्थ्य विभाग पर उठाए जा रहे सवालों पर भड़की जदयू ने पलटवार करते हुए राजद को 15 साल का शासनकाल का याद करने की नसीहत दी है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि लालू यादव के शासन काल में स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह पटरी से उतरी थी और अराजकता का वातावरण था. यह पार्टी को याद कर लेना चाहिए.
'खोले गए बड़े हॉस्पिटल'
राजीव रंजन ने कहा कि 90 से 2005 तक अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की जो हालत थी. उसमें काफी बदलाव आया है. अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आज सभी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगी हैं. नीतीश कुमार के शासनकाल में बड़े-बड़े हॉस्पिटल खोले गए.
कोविड-19 एक वैश्विक आपदा
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी हॉस्पिटलों में सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई. उन्होंने कहा कि आज हालात बहुत बदले हुए हैं. कोविड-19 एक वैश्विक आपदा है. इससे निपटने के लिए राज्य सरकार ने जो कदम उठाए हैं. विपक्ष उसकी सराहना करने की बजाए सवाल उठा रहा है तो उन्हें करारा जवाब भी सुनना पड़ेगा.