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PU छात्रसंघ चुनाव: नहीं खुला JDU का खाता, पीके की गैरहाजिरी का है परिणाम!

साल 2018 में प्रशांत किशोर ने जेडीयू की तरफ से पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की कमान संभाली थी. लेकिन, इस बार पीके के बिना जेडीयू कैंडिडेट नीरज नंदन मात्र 800 वोट पर सिमट गए.

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Published : Dec 8, 2019, 7:37 PM IST

पटना: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. चुनाव में जाप और आरजेडी ने बाजी मारी. वहीं, प्रशांत किशोर के बिना जेडीयू पूरी तरह असहाय नजर आयी. छात्र संघ चुनाव में जेडीयू कहा हाल यूं हुआ कि पार्टी प्रमुख पदों पर अपना खाता तक नहीं खोल सकी.

बता दें कि अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पांचवें स्थान पर रहे तो वहीं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी जेडीयू उम्मीदवार तीसरे से छठे पायादन पर ही सिमट गए. जाप और आरजेडी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई. वहीं, पीके की अनुपस्थिति के बावजूद एबीवीपी को कोई लाभ नहीं मिल पाया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पिछले साल जेडीयू ने मारी थी बाजी
साल 2018 में प्रशांत किशोर ने जेडीयू की तरफ से पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की कमान संभाली थी. नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को छात्र जेडीयू की जिम्मेदारी दी थी. नतीजतन, अपनी चुनावी रणनीति के तहत पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पीके ने अध्यक्ष का पद जेडीयू को दिलवाया था.

patna
निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

जेडीयू नेता भी पीके की भूमिका को मानते हैं अहम
बता दें कि पीके के समय यानी साल 2018 में मोहित प्रकाश जेडीयू की तरफ से 3477 वोट लाकर चुनाव जीते थे. लेकिन, इस बार पीके के बिना जेडीयू कैंडिडेट नीरज नंदन मात्र 800 वोट पर सिमट गए. ऐसे में जेडीयू संगठन प्रभारी चंद्रभूषण का कहना है कि अगले साल फिर से तैयारी की जाएगी. उन्होंने प्रशांत किशोर की भूमिका को अहम माना. चंद्रभूषण स्वीकारते हैं कि पीके बड़े रणनीतिकार हैं, उन्होंने रिजल्ट दिया था.

patna
चंद्रभूषण, जेडीयू संगठन प्रभारी

ये भी पढ़ें: हैदराबाद एनकाउंटर: बिहार के ट्रैफिक जवान ने इसलिए मुड़वा दी मूंछ, ETV भारत को बताया कारण

बयान देने से बचते नजर आए बीजेपी प्रवक्ता
बहरहाल, पिछले साल जब प्रशांत किशोर ने छात्र जेडीयू की कमान संभाली थी तो बीजेपी के कई नेताओं ने आरोप लगाए थे. लेकिन, इस साल भी पीके की अनुपस्थिति का लाभ बीजेपी नहीं ले सकी. बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी के हिस्से केवल महासचिव का पद ही आया है. ऐसे में बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद पीके की रणनीति पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.

पटना: पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव के नतीजे आ चुके हैं. चुनाव में जाप और आरजेडी ने बाजी मारी. वहीं, प्रशांत किशोर के बिना जेडीयू पूरी तरह असहाय नजर आयी. छात्र संघ चुनाव में जेडीयू कहा हाल यूं हुआ कि पार्टी प्रमुख पदों पर अपना खाता तक नहीं खोल सकी.

बता दें कि अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पांचवें स्थान पर रहे तो वहीं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी जेडीयू उम्मीदवार तीसरे से छठे पायादन पर ही सिमट गए. जाप और आरजेडी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई. वहीं, पीके की अनुपस्थिति के बावजूद एबीवीपी को कोई लाभ नहीं मिल पाया.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

पिछले साल जेडीयू ने मारी थी बाजी
साल 2018 में प्रशांत किशोर ने जेडीयू की तरफ से पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की कमान संभाली थी. नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को छात्र जेडीयू की जिम्मेदारी दी थी. नतीजतन, अपनी चुनावी रणनीति के तहत पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पीके ने अध्यक्ष का पद जेडीयू को दिलवाया था.

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निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता

जेडीयू नेता भी पीके की भूमिका को मानते हैं अहम
बता दें कि पीके के समय यानी साल 2018 में मोहित प्रकाश जेडीयू की तरफ से 3477 वोट लाकर चुनाव जीते थे. लेकिन, इस बार पीके के बिना जेडीयू कैंडिडेट नीरज नंदन मात्र 800 वोट पर सिमट गए. ऐसे में जेडीयू संगठन प्रभारी चंद्रभूषण का कहना है कि अगले साल फिर से तैयारी की जाएगी. उन्होंने प्रशांत किशोर की भूमिका को अहम माना. चंद्रभूषण स्वीकारते हैं कि पीके बड़े रणनीतिकार हैं, उन्होंने रिजल्ट दिया था.

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चंद्रभूषण, जेडीयू संगठन प्रभारी

ये भी पढ़ें: हैदराबाद एनकाउंटर: बिहार के ट्रैफिक जवान ने इसलिए मुड़वा दी मूंछ, ETV भारत को बताया कारण

बयान देने से बचते नजर आए बीजेपी प्रवक्ता
बहरहाल, पिछले साल जब प्रशांत किशोर ने छात्र जेडीयू की कमान संभाली थी तो बीजेपी के कई नेताओं ने आरोप लगाए थे. लेकिन, इस साल भी पीके की अनुपस्थिति का लाभ बीजेपी नहीं ले सकी. बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी के हिस्से केवल महासचिव का पद ही आया है. ऐसे में बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद पीके की रणनीति पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.

Intro:पटना-- पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में प्रशांत किशोर के बिना जदयू पूरी तरह असहाय नजर आयी और प्रमुख पदों में अपना खाता तक नहीं खोल स्की। अध्यक्ष पद के उम्मीदवार पांचवें स्थान पर रहे तो वहीं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी जदयू उम्मीदवार तीसरे से छठे स्थान तक दिखे। जाप और आरजेडी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखायी वही पीके की अनुपस्थिति में भी एबीवीपी को कोई लाभ नहीं मिला ।
पेश है रिपोर्ट---


Body:2018 में प्रशांत किशोर ने जदयू के तरफ से पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव की कमान संभाली थी नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को छात्र जदयू की जिम्मेवारी दी थी और अपनी चुनावी रणनीति के तहत पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पीके ने अध्यक्ष का पद जदयू को दिलवाया था। मोहित प्रकाश जदयू के तरफ से 3477 वोट लाकर चुनाव जीते थे लेकिन इस बार पीके के बिना जदयू कैंडिडेट नीरज नंदन मात्र 800 वोट ला सके और पांचवें स्थान पर रहे । जदयू के नेता कह रहे हैं कि अगले साल फिर से तैयारी होगी प्रशांत किशोर की भूमिका को स्वीकारते हैं और यह भी कहते हैं कि बड़े रणनीतिकार हैं और उन्होंने रिजल्ट भी दिया है.
बाईट--चंद्रभूषण , संगठन प्रभारी, जदयू
पिछले साल जब प्रशांत किशोर ने छात्र जदयू की कमान संभाली थी और चुनाव में अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया था तो बीजेपी के नेताओं ने कई तरह के आरोप लगाए थे इस बार बीजेपी की छात्र इकाई एबीवीपी प्रशांत किशोर की अनुपस्थिति का कोई लाभ नहीं ले सका और केवल महासचिव का पद ही जीत पाया। बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद पीके की रणनीति पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं ।
बाईट--निखिल आनंद , बीजेपी प्रवक्ता।


Conclusion:पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में जाप और राजद की छात्र इकाई ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई है सत्ताधारी दल होने के बावजूद जदयू का महत्वपूर्ण पदों पर खाता नहीं खोलना पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की परेशानी भी बढ़ाने वाला है।
अविनाश, पटना।
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