पटनाः बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर 2020 में चुनाव होने हैं. यहां एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ महागठबंधन. हालांकि किसी भी गठबंधन में सीएम कैंडिडेट पर अब तक आम सहमति नहीं बन पायी है. नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के चेहर पर चुनाव लड़ने पर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है. वहीं, एनडीए में बीजेपी नेताओं के आक्रामक रवैये से जदयू 2010 वाली स्थिति में नहीं है. विश्लेषण भी कहते हैं कि नीतीश कुमार अकेले लड़ने की स्थिति में नहीं हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए न केवल सीट बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी 2010 वाली स्थिति नहीं होगी. 2010 के चुनाव में एनडीए में नीतीश की तूती बोलती थी. यहां तक कि बीजेपी के कई उम्मीदवार नीतीश के कहने पर उस समय तय होते थे. हालांकि नीतीश कुमार पाला बदल कर 2015 में महागठबंधन के साथ चले गए, जहां वह गठबंधन के नेता थे. लेकिन अब स्थितियां बदलती जा रही है.
नीतीश के साथ जनता- राजीव रंजन
वहीं, जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि हर बार नीतीश कुमार ने सबको चौंकाया है, क्योंकि जनता उनके साथ है. चाहे वह जिस गठबंधन के साथ हों, जनता गठबंधन नहीं बल्कि नीतीश कुमार को देखती है.
'2010 की तरह नीतीश अब भी NDA के नेता'
जदयू प्रवक्ता के इस चौंकाने वाले बयान पर बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर ने टिप्पणी करने से परहेज किया. उन्होंने कहा कि 2010 में नीतीश कुमार एनडीए के नेता थे और अभी भी एनडीए के नेता हैं. जनता ने एनडीए को विकास के लिए अपना मत दिया था. संजय टाइगर ने बताया कि लोकसभा चुनाव में हमारा लक्ष्य 300 पार था. वहीं, विधानसभा के चुनाव में 200 पार लक्ष्य लेकर चलेंगे.
सरकार बनाने की कोशिश में रहेंगे नीतीश
इसबार नीतीश कुमार के एनडीए में 2010 वाली स्थिति नहीं होने की बात पर राजनीतिक विश्लेषक डीएम दिवाकर का कहना है कि नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग के माहिर हैं, इसलिए हमेशा सरकार बनाने वाली स्थिति की कोशिश में रहेंगे. नीतीश अकेले चुनाव में नहीं जाएंगे, अंत तक एनडीए के साथ बने रहने की भी कोशिश करेंगे. उनका ये भी कहना है कि बीजेपी नेताओं की बयानबाजी कहीं ना कहीं राष्ट्रीय नेतृत्व के इशारे पर है. इस बयानबाजी में पार्टी के कोई बड़े नेता शामिल नहीं होते हैं, लेकिन हां, इसके जरिए टोह लिया जा रहा है. संभावनाओं को तलाशा जा रहा है.
2010 वाली स्थिति में नहीं हैं नीतीश
गौरतलब है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उपचुनाव होने जा रहा है. हालांकि उपचुनाव को लेकर एनडीए में सहमति बन गई है. गठबंधन में किसी तरह की परेशानी की खबर नहीं है. लेकिन 2020 में स्थितियां बदल सकती है. इसको लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं. खासकर बीजेपी नेताओं के बयान के बाद यह चर्चा है कि नीतीश अब 2010 वाली स्थिति में नहीं हैं, इसलिए मुश्किलें बढ़ सकती है. लेकिन विश्लेषक कहते हैं कि नीतीश अकेले चुनाव में नहीं जाएंगे. अंत-अंत तक एनडीए के साथ रहने की कोशिश करेंगे, अगर बात नहीं बनी तो फिर दूसरा रास्ता तैयार करेंगे.