पटना: बिहार के कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन के अंदर खींचतान शुरू (kurhani by election tussle in mahagathbandhan) है. कुढ़नी उपचुनाव 5 दिसंबर को होना है. 17 नवंबर नामांकन की अंतिम तिथि है, लेकिन अभी तक महागठबंधन में यह तय नहीं हुआ है कि चुनाव आरजेडी लड़ेगा या जदयू. जो जानकारी मिल रही है आरजेडी और जदयू के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक हुई है. मोकामा और गोपालगंज में आरजेडी के चुनाव लड़ने का हवाला देकर जदयू कुढ़नी सीट अपने लिए मांग रही है. जदयू के वरिष्ठ नेता कह रहे हैं कि 1 से 2 दिन में फैसला हो जाएगा. बता दें कि आरजेडी के विधायक अनिल सहनी की एलसीटी घोटाला में सदस्यता जाने के बाद यह सीट खाली हुई है.
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महागठबंधन में चुप्पीः जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह दिल्ली में हैं. दिल्ली से लौटने के बाद ही अब फैसला होगा. वहीं आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन का कहना है कि कुढ़नी सीट आरजेडी की सीटिंग सीट है, इसलिए दावेदारी तो हम लोगों की बनती है. लेकिन महागठबंधन के शीर्ष नेता जो भी फैसला लेंगे सबको मंजूर होगा. अभी कुढ़नी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है. वहीं जदयू प्रवक्ता परिमल राज का भी कहना है कि अभी महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक होने वाली है, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी. अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. जदयू अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष सलीम परवेज का कहना है कि फैसला नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ही करेंगे. दावेदारी कैसे कोई छोड़ (JDU claiming for kurhani seat) सकता है. हम लोगों को 1 सीट मिलेगा तो संख्या बढ़ेगी और हम लोग सीट निकालेंगे भी.
मुकेश सहनी और औवेसी पर नजरः महागठबंधन खेमे की परेशानी मुकेश सहनी ने भी बढ़ा दी है. मुकेश सहनी अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं और इसलिए फैसला लेने में विलंब हो रहा है. कुढ़नी में सहनी वोट जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए जदयू और आरजेडी के नेता रिस्क नहीं लेना चाहते हैं. जदयू खेमे में चर्चा यह भी है कि यदि सीट जदयू को नहीं मिला तो आरजेडी के टिकट पर जदयू का ही उम्मीदवार चुनाव लड़े. मुकेश सहनी को भी मनाने की कोशिश होगी. इसी साल बोचहा उपचुनाव में आरजेडी को जीत मिली थी. हालांकि उस समय नीतीश कुमार एनडीए थे और मुकेश सहनी की पार्टी का सीटिंग सीट थी, लेकिन बीजेपी ने मुकेश सहनी को यह सीट नहीं दिया. अभी गोपालगंज और मोकामा में भी मुकेश सहनी ने महागठबंधन के उम्मीदवार को समर्थन दिया था और इसलिए अब अपने लिए समर्थन मांग रहे हैं. कुढ़नी विधानसभा में भूमिहार, कुशवाहा, मल्लाह और यादव वोट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है.
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बीजेपी में भी सस्पेंसः कुढ़नी विधानसभा सीट पर बीजेपी के तरफ से भी अभी तक नाम की घोषणा नहीं हुई है. 2015 में केदार गुप्ता बीजेपी के तरफ से चुनाव जीते थे और उस समय भी नीतीश कुमार महागठबंधन में थे. 2020 में भी केदार गुप्ता को ही बीजेपी ने टिकट दिया था लेकिन आरजेडी के अनिल सहनी से चुनाव हार गए. केदार गुप्ता को लेकर बीजेपी में सस्पेंस बना हुआ है. कई और नामों की चर्चा भी हो रही है. कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में मुकेश साहनी के साथ ओवैसी की पार्टी अभी महागठबंधन की परेशानी बढ़ा रखी है. ऐसे मुकाबला महागठबंधन और बीजेपी के बीच ही होना है, लेकिन जदयू की दावेदारी ने फिलहाल पेंच जरूर फंसा दिया है.
"कुढ़नी सीट आरजेडी की सीटिंग सीट है, इसलिए दावेदारी तो हम लोगों की बनती है. लेकिन महागठबंधन के शीर्ष नेता जो भी फैसला लेंगे सबको मंजूर होगा. अभी कुढ़नी को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है" -चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी
"अभी महागठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच बैठक होने वाली है, उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी. अभी कोई फैसला नहीं हुआ है"-परिमल राज, प्रवक्ता, जदयू
कुढ़नी विधानसभा चुनाव
- 10 नवंबर को अधिसूचना जारी
- 17 नवंबर नामांकन का अंतिम तिथि
- 18 नवंबर नामांकन पत्रों की जांच
- 21 नवंबर तक प्रत्याशी नामांकन वापस ले सकते हैं
- 5 दिसंबर को मतदान
- 8 दिसंबर को मतगणना होगी
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क्यों हुई सीट खालीः राजद विधायक अनिल सहनी की सदस्यता समाप्त होने के बाद यह चुनाव हो रहा है. आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल सहनी पर 31 अक्टूबर 2013 को सीबीआई ने केस किया था. अभी हाल ही में कोर्ट ने सजा सुनाई है उसके बाद यह सीट खाली हुआ है. 23 लाख 71 हजार का फर्जी तरीके से बिल जमा कर राशि उठाने का आरोप था.