पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एक और महत्वपूर्ण चुनाव होने वाला है. दरअसल, बिहार विधान परिषद की 29 सीटें खाली हो चुकी हैं. जिन पर आने वाले कुछ दिनों में चुनाव होने की संभावना है. इनमें से 12 सीटें मनोनयन वाली हैं. वहीं, विधानसभा कोटे से जिन 8 सीटों के लिए विधान परिषद चुनाव होना है, उनमें से 4 सीटें महागठबंधन के खाते में गई हैं.
इन 4 सीटों में से 3 आरजेडी और 1 महागठबंधन के खाते में गई है. इन सीटों को लेकर कई बड़े नाम भी चर्चा में हैं. अटकलें यह है कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद विधान परिषद जाने के इच्छुक हैं. बिहार की सियासत में लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तेजस्वी कहीं ना कहीं नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की राह पर चलने को तैयार हैं, जो लंबे समय से विधान परिषद कोटे से विधान मंडल के सदस्य बने हुए हैं.
तेजप्रताप और जगदानंद भी लाइन में
वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव का नाम भी चर्चा में है. सूत्रों के मुताबिक तेज-तेजस्वी में से कोई एक इस बार विधान परिषद जा सकता है. हालांकि, चर्चा प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के नाम की भी है. लेकिन वे इससे साफ इनकार कर रहे हैं.
जगदानंद सिंह का बयान
ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि योद्धा कभी घर में बैठकर युद्ध नहीं लड़ते. उनका इशारा था कि ना तो तेज प्रताप और ना ही तेजस्वी विधान परिषद कोटा से जाएंगे. उन्होंने अपने नाम को लेकर भी कहा कि मैं सभी पदों पर रह चुका हूं और मेरी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.
जाति प्रतिनिधित्व पर जोर दे रहे जगदानंद
हालांकि, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने यह स्वीकार किया है कि विधान परिषद में सभी जातियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए. आरजेडी में इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा. पिछली बार रामचंद्र पूर्वे को पार्टी ने विधान परिषद भेजा था. इस साल एक दलित, एक मुस्लिम और एक यादव के जाने की संभावना है.
इन नामों की अटकलें तेज
सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के हिस्से में आई 3 सीटों पर फजल इमाम, अशोक प्रियदर्शी, उर्मिला ठाकुर और मदन शर्मा समेत कई पुराने पार्टी के कार्यकर्ता इस बार विधान परिषद के लिए चर्चा में शामिल हैं. हालांकि लालू ने जिस तरह पिछली बार राज्यसभा प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में केडी सिंह के नाम के साथ लोगों को चौंका दिया था, ऐसा ही कुछ इस बार भी हो सकता है. आरजेडी विधान परिषद में पार्टी दलित कोटा से किसी जमीनी कार्यकर्ता को ही विधान परिषद भेजेगी, इसकी पूरी संभावना है.