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'कड़े तेवर वाले ललन बाबू से बीजेपी की दोस्ती कैसे निभेगी, नेताओं को याद होगी पहले की घटनाएं'

आरसीपी सिंह के बाद ललन सिंह अब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं. आरसीपी जहां सहज स्वभाव के नेता हैं तो वहीं आक्रमक तेवर वाले नेता माने जाते हैं. ऐसे में बीजेपी के साथ किस तरह से तालमेल बिठाते हैं, इस पर नजर रहेगी.

एनडीए
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Published : Aug 1, 2021, 10:43 PM IST

Updated : Aug 2, 2021, 4:18 PM IST

पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष (JDU President) राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) को लेकर बीजेपी (BJP) में बेचैनी है. दरअसल ललन सिंह के स्वभाव के चलते कई बार बीजेपी नेताओं के साथ उनके तकरार हो चुके हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान उनके तेवर से तमाम नेता भली-भांति वाकिफ हैं.

ये भी पढ़ें- JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह के सामने ये है सबसे बड़ी चुनौती

अब जब आरसीपी सिंह की जगह पर ललन सिंह की बतौर जेडीयू अध्यक्ष ताजपोशी हो चुकी है, उनके ही हाथों में सहयोगी दलों के साथ रिश्ते बेहतर रखने की जिम्मेदारी होगी. खासकर बीजेपी के साथ तालमेल बढ़िया रखना उनके लिए जरूरी होगा. गठबंधन की दिशा और दशा भी अब काफी हदतक ललन सिंह के हिसाब से ही तय होगी.

देखें रिपोर्ट

साल 1996-97 में बीजेपी और समता पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था. गठबंधन को मूर्त रूप देने वालों में ललन सिंह भी शामिल थे. तब ललन और प्रभुनाथ सिंह समता पार्टी की ओर से सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत करते थे. वहीं बीजेपी की ओर से लालमणि चौबे और सरयू राय सरीखे नेता बातचीत में शामिल होते थे. उस दौरान भी सीट शेयरिंग को लेकर ललन सिंह आक्रमक होकर बाहर निकल जाते थे.

ये भी पढ़ें- 'JDU ने उपेंद्र कुशवाहा को अध्यक्ष नहीं बनाकर उनको औकात बता दी, RJD के साथ आएं कुशवाहा समाज'

अभी हाल में ही साल 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू की तरफ से सीट शेयरिंग के लिए विजय चौधरी, ललन सिंह और विजेंद्र यादव सीट शेयरिंग पर बातचीत के लिए एक टेबल पर बैठते थे. वहीं, बीजेपी की तरफ से संजय जायसवाल, भूपेंद्र यादव और देवेंद्र फडणवीस के कंधों पर विवादित सीटों को सुलझाने की जिम्मेदारी थी. ललन सिंह विधानसभा चुनाव के दौरान भी देवेंद्र फडणवीस से भिड़ गए थे और फडणवीस इस बैठक से बाहर निकल गए थे. तब ये खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थी.

हालांकि बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि ललन सिंह के साथ बीजेपी नेताओं का कोई विवाद नहीं हुआ है. जहां तक गठबंधन और रिश्तों का सवाल है तो वह नीतीश कुमार तय करेंगे. मुख्यमंत्री जब तक वे हैं, तब तक बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन बरकरार रहेगा.

ये भी पढ़ें- जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का रूख तय करेगा एनडीए गठबंधन का भविष्य

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय मानते हैं कि ललन सिंह को अपने स्वभाव में लचीलापन लाना होगा. उन्हें पीपुल्स फ्रेंडली होने की जरूरत है. क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते बीजेपी के साथ-साथ उनके दल के ही नेता उनसे मिलेंगे और अगर वह शालीनता नहीं रखेंगे तो यह गठबंधन और पार्टी दोनों के लिए ठीक नहीं होगा.

पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष (JDU President) राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह (Lalan Singh) को लेकर बीजेपी (BJP) में बेचैनी है. दरअसल ललन सिंह के स्वभाव के चलते कई बार बीजेपी नेताओं के साथ उनके तकरार हो चुके हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान उनके तेवर से तमाम नेता भली-भांति वाकिफ हैं.

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अब जब आरसीपी सिंह की जगह पर ललन सिंह की बतौर जेडीयू अध्यक्ष ताजपोशी हो चुकी है, उनके ही हाथों में सहयोगी दलों के साथ रिश्ते बेहतर रखने की जिम्मेदारी होगी. खासकर बीजेपी के साथ तालमेल बढ़िया रखना उनके लिए जरूरी होगा. गठबंधन की दिशा और दशा भी अब काफी हदतक ललन सिंह के हिसाब से ही तय होगी.

देखें रिपोर्ट

साल 1996-97 में बीजेपी और समता पार्टी के बीच गठबंधन हुआ था. गठबंधन को मूर्त रूप देने वालों में ललन सिंह भी शामिल थे. तब ललन और प्रभुनाथ सिंह समता पार्टी की ओर से सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत करते थे. वहीं बीजेपी की ओर से लालमणि चौबे और सरयू राय सरीखे नेता बातचीत में शामिल होते थे. उस दौरान भी सीट शेयरिंग को लेकर ललन सिंह आक्रमक होकर बाहर निकल जाते थे.

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अभी हाल में ही साल 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू की तरफ से सीट शेयरिंग के लिए विजय चौधरी, ललन सिंह और विजेंद्र यादव सीट शेयरिंग पर बातचीत के लिए एक टेबल पर बैठते थे. वहीं, बीजेपी की तरफ से संजय जायसवाल, भूपेंद्र यादव और देवेंद्र फडणवीस के कंधों पर विवादित सीटों को सुलझाने की जिम्मेदारी थी. ललन सिंह विधानसभा चुनाव के दौरान भी देवेंद्र फडणवीस से भिड़ गए थे और फडणवीस इस बैठक से बाहर निकल गए थे. तब ये खबर मीडिया की सुर्खियां बनी थी.

हालांकि बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं कि ललन सिंह के साथ बीजेपी नेताओं का कोई विवाद नहीं हुआ है. जहां तक गठबंधन और रिश्तों का सवाल है तो वह नीतीश कुमार तय करेंगे. मुख्यमंत्री जब तक वे हैं, तब तक बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन बरकरार रहेगा.

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वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय मानते हैं कि ललन सिंह को अपने स्वभाव में लचीलापन लाना होगा. उन्हें पीपुल्स फ्रेंडली होने की जरूरत है. क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते बीजेपी के साथ-साथ उनके दल के ही नेता उनसे मिलेंगे और अगर वह शालीनता नहीं रखेंगे तो यह गठबंधन और पार्टी दोनों के लिए ठीक नहीं होगा.

Last Updated : Aug 2, 2021, 4:18 PM IST
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