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बिहार की पर्वतारोही बेटी मिताली ने ETV भारत से साझा किया अनुभव, कहा- चढ़ाई के दौरान था बर्फीला मौसम - Special talk with Mitali prasad

मिताली ने बिहार के छात्र-छात्राओं से कहा कि उन्होंने जो कुछ भी अपना लक्ष्य चुना है, वह शानदार है. बस आप अपने कैरियर के प्रति डेडिकेशन, डिटरमिनेशन और पेशेंस बनाए रखेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.

patna
मिताली प्रसाद
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Published : Feb 15, 2020, 8:53 AM IST

Updated : Feb 15, 2020, 1:26 PM IST

पटनाः बिहार की बेटी मिताली प्रसाद ने 13 जनवरी को दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट अकोंकागुआ को अकेले फतह किया है. माउंट अकोंकागुआ पर भारत का झंडा फहराने वाली बिहार की बेटी मिताली से ईटीवी संवाददाता ने खास बातचीत की.

patna
एक कार्यक्रम के दौरान मिताली प्रसाद

'शौक ने इस ऊंचाई पर पहुंचाया'
बिहार की मिताली ने माउंट अकोंकागुआ की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनने का रिकॉर्ड बनाया है. मिताली प्रसाद नालंदा जिले की रहने वाली हैं और पटना विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र की छात्रा रह चुकी हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मिताली ने बताया कि वह माउंटेनियर के फील्ड में अपने शौक की वजह से आईं. उन्होंने कहा कि अगर सामान्य शब्दों में कहें तो वह माउंटेनियर फील्ड में पीएचडी हैं.

'चढ़ाई के दौरान था बर्फीला मौसम'
पर्वतारोही मिताली ने बताया कि माउंटेनरिंग एक बहुत बड़ा चैलेंज है. उन्हें एकंकागुआ की चढ़ाई के दौरान कई परेशानियां भी आईं. माउंट अकोंकागुआ के पास बहुत तेज हवाएं चलती हैं, इस कारण वहां तापमान काफी बर्फीला रहता है. उन्होंने बताया कि जब वह चढ़ाई के लिए निकली तब 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थी और 30 डिग्री तापमान था. ऐसे समय में कई लोग अटेम्प्ट करने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उनके पास कोई ऑप्शन नहीं था, इस कारण उन्होंने चढ़ाई के लिए जाना मुनासिब समझा.

पर्वतारोही मिताली से बातचीत करते संवाददाता

ये भी पढ़ेंः मैट्रिक की परीक्षा के दौरान तनाव से दूर रहें छात्र, प्रोफेसर इफ्तिखार हुसैन ने दिए कई टिप्स

'चढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन का ध्यान रखा'
मिताली ने बताया कि इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा और आगे चलकर उनकी उंगलियों में जलन होने लगी. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह होता है कि आपको फ्रॉस्ट वाइट होने लगा है. अगर फ्रॉस्ट वाइट हो जाए तो उंगलियां पहले ब्लू होने लगेगी उसके बाद काली होने लगेंगी, जिसके बाद उंगलियों को काटना पड़ जाता है. मिताली ने बताया कि वह माउंट अकोंकागुआ की चढ़ाई पूरी करने में इसलिए सफल हो पाईं, क्योंकि उन्होंने अपने पूरी चढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन को ध्यान में रखा. उन्होंने इसका खास ध्यान रखा की माउंटेनियरिंग के समय क्या करना होता है और क्या नहीं करना होता है.

हर लक्ष्य होता है शानदार
बातचीत में मिताली ने बताया कि वह भारत की पहली महिला हैं, जिन्होंने माउंट अकोंकागुआ को सोलो स्टेज में कंप्लीट किया है. इससे पहले वह कराटे की इंटरनेशनल खिलाड़ी भी रही हैं. साथ ही वह एनसीसी कैडेट भी रहीं है. एक सवाल के जवाब में मिताली ने बिहार के छात्र-छात्राओं से कहा कि उन्होंने जो कुछ भी अपना लक्ष्य चुना है, वह शानदार है. बस मायने यह रखता है कि आप उसके पीछे प्लानिंग किस तरह से करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप अपने कैरियर के प्रति डेडिकेशन, डिटरमिनेशन और पेशेंस बनाए रखेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी. इसी कॉन्फिडेंस के साथ उस चीज के लिए फाइट करेंगे तो किसी भी टारगेट को पाना मुश्किल नहीं है.

पटनाः बिहार की बेटी मिताली प्रसाद ने 13 जनवरी को दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट अकोंकागुआ को अकेले फतह किया है. माउंट अकोंकागुआ पर भारत का झंडा फहराने वाली बिहार की बेटी मिताली से ईटीवी संवाददाता ने खास बातचीत की.

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एक कार्यक्रम के दौरान मिताली प्रसाद

'शौक ने इस ऊंचाई पर पहुंचाया'
बिहार की मिताली ने माउंट अकोंकागुआ की चोटी पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनने का रिकॉर्ड बनाया है. मिताली प्रसाद नालंदा जिले की रहने वाली हैं और पटना विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र की छात्रा रह चुकी हैं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मिताली ने बताया कि वह माउंटेनियर के फील्ड में अपने शौक की वजह से आईं. उन्होंने कहा कि अगर सामान्य शब्दों में कहें तो वह माउंटेनियर फील्ड में पीएचडी हैं.

'चढ़ाई के दौरान था बर्फीला मौसम'
पर्वतारोही मिताली ने बताया कि माउंटेनरिंग एक बहुत बड़ा चैलेंज है. उन्हें एकंकागुआ की चढ़ाई के दौरान कई परेशानियां भी आईं. माउंट अकोंकागुआ के पास बहुत तेज हवाएं चलती हैं, इस कारण वहां तापमान काफी बर्फीला रहता है. उन्होंने बताया कि जब वह चढ़ाई के लिए निकली तब 90 से 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थी और 30 डिग्री तापमान था. ऐसे समय में कई लोग अटेम्प्ट करने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन उनके पास कोई ऑप्शन नहीं था, इस कारण उन्होंने चढ़ाई के लिए जाना मुनासिब समझा.

पर्वतारोही मिताली से बातचीत करते संवाददाता

ये भी पढ़ेंः मैट्रिक की परीक्षा के दौरान तनाव से दूर रहें छात्र, प्रोफेसर इफ्तिखार हुसैन ने दिए कई टिप्स

'चढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन का ध्यान रखा'
मिताली ने बताया कि इसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा और आगे चलकर उनकी उंगलियों में जलन होने लगी. उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह होता है कि आपको फ्रॉस्ट वाइट होने लगा है. अगर फ्रॉस्ट वाइट हो जाए तो उंगलियां पहले ब्लू होने लगेगी उसके बाद काली होने लगेंगी, जिसके बाद उंगलियों को काटना पड़ जाता है. मिताली ने बताया कि वह माउंट अकोंकागुआ की चढ़ाई पूरी करने में इसलिए सफल हो पाईं, क्योंकि उन्होंने अपने पूरी चढ़ाई के दौरान डिसिप्लिन को ध्यान में रखा. उन्होंने इसका खास ध्यान रखा की माउंटेनियरिंग के समय क्या करना होता है और क्या नहीं करना होता है.

हर लक्ष्य होता है शानदार
बातचीत में मिताली ने बताया कि वह भारत की पहली महिला हैं, जिन्होंने माउंट अकोंकागुआ को सोलो स्टेज में कंप्लीट किया है. इससे पहले वह कराटे की इंटरनेशनल खिलाड़ी भी रही हैं. साथ ही वह एनसीसी कैडेट भी रहीं है. एक सवाल के जवाब में मिताली ने बिहार के छात्र-छात्राओं से कहा कि उन्होंने जो कुछ भी अपना लक्ष्य चुना है, वह शानदार है. बस मायने यह रखता है कि आप उसके पीछे प्लानिंग किस तरह से करते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आप अपने कैरियर के प्रति डेडिकेशन, डिटरमिनेशन और पेशेंस बनाए रखेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी. इसी कॉन्फिडेंस के साथ उस चीज के लिए फाइट करेंगे तो किसी भी टारगेट को पाना मुश्किल नहीं है.

Last Updated : Feb 15, 2020, 1:26 PM IST
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