पटना: आज की तारीख में महिलाएं किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं. भाजपा नेत्री व बिहार की पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी का राजनीतिक सफरनामा संघर्ष से भरा रहा. लालकृष्ण आडवाणी और मृदुला सिन्हा के कहने पर रेणु देवी राजनीति में आईं. मेहनत और जज्बे की बदौलत रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ. रेणु देवी भारत की पांचवीं महिला उप मुख्यमंत्री बनीं और बिहार की पहली महिला डिप्टी सीएम बनने का गौरव प्राप्त हुआ.
चिकित्सक बनना चाहती थीं पूर्व डिप्टी सीएम रेणु देवी: ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि मैं एक चिकित्सक बनना चाहती थी. 1977 में एमबीबीएस के लिए मैंने टेस्ट भी पास कर लिया था. लेकिन मेरे पति को यह मंजूर नहीं था. मैंने कॉलेज में दाखिला नहीं लिया लेकिन पति के निधन के बाद मैंने राजनीति में आने का फैसला लिया.
" मैंने राजनीति के क्षेत्र में सब कुछ करके दिखाया है. महिला को अर्धनारीश्वर रूप में दिखाया गया है. महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं बस इच्छाशक्ति होनी चाहिए. समाज और परिवार ने महिलाओं को सहारा जरूर दिया है. मैं समाज की सेवा करती रही हूं. हम महिलाओं की लड़ाई लड़ते रहे हैं. साथ ही महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे."- रेणु देवी, पूर्व डिप्टी सीएम, बिहार
बेतिया बनी कर्मभूमि: रेणु देवी अपने माता पिता के तीन बेटों और पांच बेटियों में सबसे बड़ी थीं. नोनिया जाति से आने वाली रेणु देवी अत्यंत पिछड़ा समुदाय से हैं. रेणु देवी की शादी 1974 में कोलकाता के बीमा निरीक्षक दुर्गा प्रसाद से हुई थी. 7 साल के भीतर ही उनके पति की आकस्मिक निधन हो गई. रेणु देवी अपने पति के निधन के बाद अपनी मां के गृह नगर बेतिया लौट गईं और बेतिया को ही अपनी कर्मभूमि बनायी.
कई पदों को सुशोभित कर चुकीं हैं रेणु देवी: रेणु देवी ने 1981 में सामाजिक सक्रियता के माध्यम से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और 1988 में भाजपा महिला मोर्चा विंग में शामिल हो गईं. बिहार विधानसभा के लिए रेणु देवी को 4 बार निर्वाचित होने का मौका मिला. 2005 और 2009 के बीच बिहार राज्य सरकार में खेल कला और संस्कृति मंत्री के रूप में रेणु देवी को काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. 2014 और 2020 में वह भाजपा की जिला अध्यक्ष भी बनीं.