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कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रहे कलाकार की पहल, घर पर बच्चों को सिखा रहा झूले बनाना

स्थानीय कलाकारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार का कला संस्कृति विभाग भी हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रहा है. जिस वजह से कलाकार अन्य कार्य करने को बाध्य हो रहे हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पटना निवासी कलाकार सत्य प्रकाश ने बताया कि कलाकारों के पास कोई काम नहीं है.

पटना
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Published : Aug 10, 2020, 10:05 PM IST

पटना : कोरोना काल में ऐसे तो सभी वर्ग प्रभावित हुए हैं. वहीं कलाकार वर्ग भी इस दौरान इससे अछूता नहीं रहा है. पिछले 5 महीने से कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने थिएटर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. जिस कारण राजधानी के कलाकारों के सामने रोजी-रोटी की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. काम नहीं मिलने के कारण कलाकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं स्थानीय कलाकारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार का कला संस्कृति विभाग भी हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रहा है. जिस वजह से कलाकार अन्य कार्य करने को बाध्य हो रहे हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पटना निवासी कलाकार सत्य प्रकाश ने बताया कि कलाकारों के पास कोई काम नहीं है. इस दौरान सभी घर पर बेकार बैठे हैं. काम नहीं मिलने के कारण सभी काफी परेशान हैं. इससे कलाकारों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है.

पटना
सत्य प्रकाश द्वारा बनाए गए खिलौने

बच्चों को झूला बनाना भी सिखा रहे सत्य प्रकाश
सत्य प्रकाश ने आगे बताया कि इन दिनों वो सीजन के हिसाब से छोटे-छोटे काम कर रहे हैं. जैसे रक्षाबंधन में राखी और आगामी जन्माष्टमी पर्व को देखते हुए झूले बना रहे हैं. जिसका प्रचार-प्रसार वह स्वयं सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. इतना ही नहीं सत्यप्रकाश ने पास-पड़ोस के बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को भी झूला बनाना भी सिखा रहे हैं. जिससे बच्चे कुछ सीख भी रहे हैं और सत्य प्रकाश की मदद भी हो जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

एक दिन में 20 झूले बना रहे बच्चे
सत्य प्रकाश ने बताया कि घर में खाली बैठने से अच्छा है कि हम कुछ कार्य करें. जिससे हम तनाव और डिप्रेशन से भी से बच पाएंगे. साथ ही इससे थोड़ी बहुत आमदनी भी हो जाएगी. क्योंकि कोरोना से कब तक चीजें सामान्य होंगी और सांस्कृतिक गतिविधि शुरू होगी कुछ ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि हम कलाकार अपनी कला को जीवित रखने के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हैं. वहीं झूला बनाना सीख रहे बच्चों ने बताया कि उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. वो घर पर बोर हो रहे थे. बच्चे बेहतर तरीके से खिलौने बनाना सीख गए हैं. साथ ही एक दिन में वो 20 झूले भी बना लेते हैं.

पटना : कोरोना काल में ऐसे तो सभी वर्ग प्रभावित हुए हैं. वहीं कलाकार वर्ग भी इस दौरान इससे अछूता नहीं रहा है. पिछले 5 महीने से कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सरकार ने थिएटर और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है. जिस कारण राजधानी के कलाकारों के सामने रोजी-रोटी की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. काम नहीं मिलने के कारण कलाकारों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं स्थानीय कलाकारों ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार का कला संस्कृति विभाग भी हम लोगों पर ध्यान नहीं दे रहा है. जिस वजह से कलाकार अन्य कार्य करने को बाध्य हो रहे हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पटना निवासी कलाकार सत्य प्रकाश ने बताया कि कलाकारों के पास कोई काम नहीं है. इस दौरान सभी घर पर बेकार बैठे हैं. काम नहीं मिलने के कारण सभी काफी परेशान हैं. इससे कलाकारों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है.

पटना
सत्य प्रकाश द्वारा बनाए गए खिलौने

बच्चों को झूला बनाना भी सिखा रहे सत्य प्रकाश
सत्य प्रकाश ने आगे बताया कि इन दिनों वो सीजन के हिसाब से छोटे-छोटे काम कर रहे हैं. जैसे रक्षाबंधन में राखी और आगामी जन्माष्टमी पर्व को देखते हुए झूले बना रहे हैं. जिसका प्रचार-प्रसार वह स्वयं सोशल मीडिया पर कर रहे हैं. इतना ही नहीं सत्यप्रकाश ने पास-पड़ोस के बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को भी झूला बनाना भी सिखा रहे हैं. जिससे बच्चे कुछ सीख भी रहे हैं और सत्य प्रकाश की मदद भी हो जा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

एक दिन में 20 झूले बना रहे बच्चे
सत्य प्रकाश ने बताया कि घर में खाली बैठने से अच्छा है कि हम कुछ कार्य करें. जिससे हम तनाव और डिप्रेशन से भी से बच पाएंगे. साथ ही इससे थोड़ी बहुत आमदनी भी हो जाएगी. क्योंकि कोरोना से कब तक चीजें सामान्य होंगी और सांस्कृतिक गतिविधि शुरू होगी कुछ ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि हम कलाकार अपनी कला को जीवित रखने के लिए कुछ ना कुछ करते रहते हैं. वहीं झूला बनाना सीख रहे बच्चों ने बताया कि उन्हें काफी अच्छा लग रहा है. वो घर पर बोर हो रहे थे. बच्चे बेहतर तरीके से खिलौने बनाना सीख गए हैं. साथ ही एक दिन में वो 20 झूले भी बना लेते हैं.

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