पटना: बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल किसी से छिपा हुआ नहीं है. ये हालात तब हैं जब केंद्रीय राज्य स्वस्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे खुद बिहार के ही निवासी हो. लगभग प्रतिदिन प्रदेश के अस्पतालों से ऐसी तस्वीरें आती है, जो यह बताती है कि राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था किस हद तक लचर है. दम तोड़ती हेल्थ सिस्टम की व्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना जांच के बाद लोगों को रिपोर्ट के लिए अस्पताल के काउंटर पर विभाग की लापरवाही से दो-चार होना पड़ रहा है.
जांच रिपोर्ट में देरी के कारण ना केवल सैंपलिंग की रफ्तार को सुस्त कर रहा है. बल्कि कोरोना से जंग में आम लोगों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मनोबल को भी गिरा रही है.
'पटना में 50 से अधिक जगहों पर हो रही जांच
बता दें कि राजधानी पटना के 50 से ज्यादा जगहों पर कोरोना का जांच किया जा रहा है. जांच होने के बाद लोगों को उन्हें उनका जांच नंबर बताया जा रहा है, जिसमें उनका सैंपल आईडी दर्ज रहता है. जांच नंबर और सैंपल आईडी के आधार पर राज्य स्वास्थ्य समिति के पोर्टल के माध्यम से विभिन्न सेंटरों पर कार्यरत टेक्नीशियन रिपोर्ट निकाल रहे हैं. जिसके बाद लोगों को उनका रिपोर्ट दिया जा रहा है.
एक तो लोगों को इस संक्रमण के बीच जांच के लिए अपने घरों से बाहर निकलना पड़ रहा है, उसके बाद अगले दिन रिपोर्ट लेने के लिए लोगों को फिर उसी जगह घंटों कतार में लगा रहना पड़ रहा है. जांच कराने आए लोगों ने बिहार सरकार पर जमकर अनपा गुस्सा निकाला. लोगों ने कहा कि रिपोर्ट काउंटर पर मैनुअल तरीके से काम हो रहा है. जिस वजह से लोगों को जांच रिपोर्ट मिलने में देरी हो रहा है.
'जांच रिपोर्ट मिले ऑनलाइन'
होटल पाटलिपुत्र अशोक में अपना रिपोर्ट लेने के लिए कतार में खड़े सुमित ने बताया कि पहले तो उसे जांच करवाने के लिए काफी देर तक लाइन में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा. जांच होने के बाद घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है. जिससे संक्रमण फैलने का खतरा और ज्यादा बढ़ रहा है. जांच रिपोर्ट लाने आए लोगों ने बताया कि डिजिटल इंडिया के दौर में अगर जांच रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध हो पाता तो काफी सहूलियत मिलती है . लोग खुद को सुरक्षित भी महसूस करते.
रिपोर्ट के लिए ही कतार में खड़ा एक अन्य युवक मुकेश कुमार ने कहा की सरकार को कोरोना की जांच रिपोर्ट डिजिटली देनी चाहिए थी. जिससे लोगों को केंद्र तक जांच रिपोर्ट लाने के लिए अपने घरों से बाहर नहीं निकालना पड़ता. वहीं, प्रत्यूष ने बताया कि रिपोर्ट लेने के लिए लोगों को बेवजह लाइन में खड़ा रहना पड़ रहा है. सरकार लोगों के मोबाइल पर मैसेज या अन्य माध्यम से जानकारी उपलब्ध करा सकती थी.
बिहार में तेजी से फैल रहा संक्रमण
गौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर बिहार में तीसरी बार लॉकडाउन किया गया है. पटना समेत कई अन्य इलाके में अभी भी कन्टेनमेंट जोन मिल रहे हैं. जांच के परिणाम मिलने की गति भी धीमी है. बता दें कि शनिवार तक बिहार में संक्रमित मरीजों की संख्या 72 हजार के आंकड़ो को पार कर चुकी है. जबकि 410 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है. हालांकि, रहात की बात यह है कि प्रदेश में लोग तेजी से रिकवर भी कर रहे हैं.