पटनाः बिहार में औद्योगिक इकाईयां (Industrial Units) दम तोड़ रही हैं. वहीं कोरोना संकट काल (Covid Pandemic) में स्थिति और भी भयावह हो गई है. अब बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है. सरकार अब उद्योग पंचायत (Udyog Panchayat) के जरिए उद्योगों को फिर से चालू किए जाने की योजना पर काम कर रही है.
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चूंकि विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन ने सूबे में सरकार बनने के बाद 19 लाख रोजगार देने का ऐलान किया था. इसे लेकर अब सरकार काफी प्रयासरत है. राज्य में रोजगार के अवसर को बढ़ाने के लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी शाहनवाज हुसैन को सौंपी गई है. इस कड़ी में उद्योग मंत्री कई राज्यों के साथ-साथ बिहार के तमाम जिलों का दौरा कर चुके हैं. बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू करने की कोशिश में जुटे हैं.
उद्योग मंत्री ने विभाग को उद्योग पंचायत का प्रारूप तैयार करने का निर्देश दिया है. उद्योग पंचायत में बड़े और नामी उद्योगपतियों को आमंत्रित करने के साथ ही उद्योग विभाग में बंद पड़े मिल मालिकों को बुलाने का फैसला लिया है. पंचायत में ही उनकी समस्याओं का निदान ढूंढा जाना है.
अलग-अलग कारणों की वजह से राज्यभर में 3368 इकाई बंद पड़ी हैं. रोहतास जिले में सबसे ज्यादा 506 इकाई वैशाली में 370 इकाई, बेगूसराय में 271 इकाई, पटना में 250 इकाई और पूर्वी चंपारण में 214 इकाईयां बंद पड़ी हैं. उद्योग मंत्री ने कहा कि नीतीश कुमार ने इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बिहार में बेहतर काम किया है. उसके नतीजे भी सामने दिख रहे हैं.
हम बिहार में उद्योग लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. बंद पड़े उद्योगों को उद्योग पंचायत के जरिए फिर से शुरू करने की कोशिश की जा रही है. इस उद्योग पंचायत में बंद पड़े उद्योग के मालिकों को बुलाया जाएगा और उनकी समस्याओं का निदान किया जाएगा.
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वहीं आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार के 15 साल के शासनकाल में बिहार उद्योग के लिए तरस गया है. अब फिर से मंत्री दावा कर रहे हैं लेकिन विपक्ष को सरकार के दावों पर भरोसा नहीं रह गया है.
अर्थशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास उद्योग पंचायत की पहल को सकारात्मक मानते हैं. विद्यार्थी विकास ने कहा है कि सरकार की अगर मनसा ठीक है तो पहले पंचायत स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के बंद पड़े उद्योगों का सर्वे कराना चाहिए. उसके बाद उद्योग पंचायत बुलाना जाना चाहिए.