पटना: बिहार में औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2022 को मंजूरी दे दी गई है. टैक्सटाइल एंड लेदर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नीति लाई गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने औपचारिक तौर पर टैक्सटाइल एंड लेदर पॉलिसी (Textile and Leather Policy Approved In Bihar) का ऐलान किया है. देशभर के बड़े उद्योगपतियों को भी कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. सरकार की ओर से उद्योगपतियों को सब्जबाग दिखाए गए. सरकार की इस पहल से उद्योगपति भी आशान्वित दिखे.
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2016 की नीति का नहीं आया सकारात्मक नतीजा: आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब बिहार सरकार की ओर से उद्योग नीति लाई गई हो. साल 2016 में भी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति सरकार के द्वारा लाया गया था लेकिन उसका सकारात्मक नतीजा नहीं (industrial investment promotion policy challenges) निकला और उद्योगों को पंख नहीं लग सके. इस बार सरकार की ओर से पूंजी अनुदान, पावर अनुदान, रोजगार अनुदान, माल भाड़ा अनुदान और पेटेंट अनुदान का ऐलान किया गया है. उद्योगपति भी सरकार की घोषणाओं से उत्साहित नजर आए.
मानव संसाधन की नहीं है कमी: बिहार में उद्योगपति आकर्षित हो और उद्योगों को पंख लगे इसके लिए राज्य के अंदर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हुआ है. राज्य में संचार व्यवस्था दुरुस्त हुई है और सड़कों का जाल बिछा है. केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर राज्य के सड़क को दुरुस्त किया है. इसके अलावा 24 घंटे निर्बाध बिजली सप्लाई की व्यवस्था की जा चुकी है. अब गांव में भी बिजली रह रही है. कोरोना संकटकाल में 19 लाख से ज्यादा बिहारी लौटे थे और सरकार ने उनका स्किल मैपिंग कराया था. उन्हें रोजगार देने का वायदा किया गया था लेकिन योजना आंशिक रूप से सफल रही. राज्य के अंदर उपलब्ध मानव संसाधन उद्योगों के लिए संजीवनी की तरह है.
उद्योग की इन वजहों से है अपार संभावनाएं: उद्योगों के लिए बिहार में बेहतर माहौल है. डबल इंजन की सरकार होने से उद्योगपतियों को उम्मीद बंधी है. केंद्र और राज्य दोनों का सहयोग अगर उद्योगपतियों को मिलेगा तो औद्योगिकरण के लिए काफी संभावनाएं होंगी. बिहार जैसे राज्य में कच्चे माल की भरपूर उपलब्धता है जहां तक टेक्सटाइल उद्योग का सवाल है तो भागलपुर, दरभंगा, बांका और नालंदा इलाके में टेक्सटाइल उद्योग के लिए बेहतर संभावनाएं हैं. बिहार 4 राज्य और एक अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगने वाला राज्य है. लिहाजा यहां से दूसरी जगह माल पहुंचाने में बहुत परेशानी नहीं है. साथ ही कंज्यूमर स्टेट होने के चलते यहां भी माल की खपत ज्यादा है.
सरकार को तत्पर रहने की जरूरत: सरकार की मंशा उद्योगों को गति देने की है लेकिन अभी सरकार को मजबूत इच्छा शक्ति दिखाने की जरूरत है. विधि व्यवस्था के मोर्चे पर सरकार कमजोर दिख रही है और आए दिन बड़ी आपराधिक घटनाएं हो रही हैं. उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन व्यक्तिगत प्रयासों से उद्योगपतियों को मदद कर रहे हैं लेकिन अब भी सिंगल विंडो सिस्टम को पुनर्गठित करने की जरूरत है. एक छत के अंदर उद्योगपतियों को तमाम तरह की सुविधाएं मिले अब तक इस पर काम नहीं किया गया है.
मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जमीन की अनुपलब्धता का रोना रोते रहे हैं. इस जमीन की उपलब्धता उद्योगपतियों के लिए कैसे हो इसके लिए भी रोडमैप बनाने की जरूरत है. लैंड बैंक को सशक्त रूप देने की दरकार है. बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में बैंकों का और सहयोगात्मक रुख भी बड़ा मुद्दा है. राज्य का CD RATIO बहुत कम है. सरकार के द्वारा लगातार दबाव के बावजूद बैंकों का रवैया नहीं सुधरा है. कई बार तो मंत्री बैंकों को धमकी देने से भी नहीं चूकते. लालफीताशाही आज भी राज्य के लिए एक बड़ी समस्या है. उद्योग लगाने के लिए लोगों को कई दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं. अधिकारी उन्हें परेशान करते हैं. राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव कई मौकों पर देखा गया है. औद्योगिकरण को मूर्त रूप देने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.
"बिहार में सरकार को लेदर पार्क डेवलप करने पर विचार करना चाहिए. हम बिहार में उद्योग लगाने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं. राज्य में औद्योगिकरण हो इसके लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम को भी तेज करने की जरूरत है."- संजय लीखा, उद्योगपति
"बिहार में जो टैक्सटाइल पॉलिसी लाई गई है वह भविष्य की नीति दिखाई देती है. हम लोग राज्य के अंदर बेहतर करने की सोच रहे हैं. सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति है और राज्य के अंदर माहौल भी सुधरा है."- विकास अग्रवाल, मालिक, रूपा कंपनी
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