पटनाः पर्यावरण संरक्षण (Environment Conservation) में भारतीय रेलवे (Indain Railway) भी अहम भूमिका निभा रहा है. इसे लेकर पूर्व मध्य रेलवे (East Central Railway) व्यापक पैमाने पर रेल विद्युतीकरण, ट्रेनों का मेमू रेक में परिवर्तन, एचओजी, बॉयो टॉयलेट आदि पर काम कर रहा है. पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार (CPRO Rajesh Kumar) ने बताया कि 2030 तक भारतीय रेल को जीरो कार्बन उत्सर्जक (Carbon Emitter) बनाने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है.
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इन ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम
पूर्व मध्य रेल के जिन 58 ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन (Head on Generation) सिस्टम लगाया गया है, उनमें राजेंद्र नगर टर्मिनल-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस, संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस, सहरसा-नई दिल्ली वैशाली एक्सप्रेस, सहरसा-पटना जनहित एक्सप्रेस, गया-नई दिल्ली महाबोधि एक्सप्रेस सहित अन्य प्रमुख ट्रेनें शामिल हैं. इससे समय के साथ राजस्व की भी बचत हो रही है.
58 ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम
पूर्व मध्य रेल के सीपीआरओ ने बताया कि एलएचबी कोचों से परिचालित होने वाली लगभग 58 ट्रेनों में हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम लगा दिया गया है. वहीं पूर्व मध्य रेल के 87% रेल खंडों को विद्युतीकृत किया जा चुका है.
चार मंडलों में पूर्ण हुआ विद्युतीकरण कार्य
रेल लाइनों के विद्युतीकरण कार्य में साल 2020-21 में लगभग 311 किमी रेल लाइन का विद्युतीकरण किया गया है. कुल 4220 किलोमीटर रूट में से 3640 किलोमीटर का विद्युतीकरण पूरा हो चुका है. पूर्व मध्य रेल के पांच मंडलों में से समस्तीपुर मंडल के कुछ रेल खंडों को छोड़कर शेष चार मंडल शत-प्रतिशत विद्युतीकरण कार्य पूरा हो चुका है.
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भारतीय रेलवे... मान-सम्मान
ट्रेनों में पर्यावरण अनुकूल बायो टॉयलेट परियोजना को लागू करने वाला भारतीय रेल दुनिया का पहला रेलवे बना है. स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूर्व मध्य रेल की सभी ट्रेनों को बायो टॉयलेट से युक्त किया जा चुका है. वहीं स्टेशनों पर सोलर पैनल, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की गई है.