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ऐसे ही बढ़ती रही आबादी तो 2041 में जनसंख्या में पहले पायदान पर होगा बिहार

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Published : Jul 11, 2019, 5:30 PM IST

जनसंख्या के लिहाज से हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है. जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर 2018 में बिहार की जनसंख्या 12 करोड़ आंकी गई है.

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पटना: बढ़ती जनसंख्या आज विश्व के कई बड़े देशों के लिए समस्या बनी हुई है, इसमें भारत भी शामिल है. लगातार बढ़ रही आबादी के कारण देश में कई परेशानियां हो रही हैं. जैसे बेरोजगारी, संसाधनों में कमी आ रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में सबसे अधिक आबादी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार की है.

लेकिन, जिस तरह से बिहार की आबादी बढ़ रही है उस हिसाब से साल 2041 में बिहार पहले पायदान पर आ जाएगा. 11 जुलाई को हम विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाते हैं. इस मौके पर पेश है खास रिपोर्ट:

patna
बढ़ती आबादी

बिहार की आबादी 12 करोड़ के पार

  • राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार में तीन गुनी अधिक जनसंख्या का दबाव है
  • हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है
  • पटना में शहरीकरण की दर 43.1 फीसदी

बिहार की स्थिति
देश में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि बिहार में हो रही है. साल 2001 से 2011 के बीच देश की जनसंख्या वृद्धि 17.64 की थी. तो वहीं, बिहार में यह 25.07 फीसदी रही. जनसंख्या वृद्धि दर का ही नतीजा है कि 2011 में बिहार की जनसंख्या 10 करोड़ और 38 लाख हो गई.

patna
जानकारों का बयान

जन घनत्व में पटना सबसे आगे तो कैमूर पीछे
जनसंख्या के लिहाज से हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है. जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर 2018 में बिहार की जनसंख्या 12 करोड़ आंकी गई. जनसंख्या वृद्धि में बिहार और देश में कई अंतर हैं. देश के जन घनत्व का औसत 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, तो बिहार का राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. जन घनत्व सबसे अधिक पटना जिले में हैं. यहां की जनसंख्या 1882 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है. जबकि सबसे कम कैमूर 488 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बिहार का तुलनात्मक अध्य्यन

  • दक्षिण बिहार कि तुलना में उत्तर बिहार में जनसंख्या का दबाव अधिक है. अधिक जन घनत्व वाले राज्यों में 10 जिले में से 9 उत्तर बिहार के हैं.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का अधिक दबाव है. जहां लोगों की जीविका का मुख्य साधन जमीन है.
  • शहरीकरण में बिहार पिछडा है. देश में 5161 से बढ़कर 7935 शहर हो गए. वहीं, 2001 में बिहार में 130 शहर थे. जो साल 2011 में 199 हो गए.

कैसे होगा समाधान?
बहरहाल, बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुरुष नसबंदी, महिला नसबंदी को लेकर सभी अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. बिहार सामाजिक शोध संस्थान के निदेशक की मानें तो समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है. शिक्षा और सामाजिक रूप से लोगों को जागरूक करना होगा. वहीं, पीएमसीएच के अधीक्षक की मानें तो आज समाज में जनसंख्या एक बड़ी चुनौती बन गई है. जिसके लिए लोगों को खुद में जागरूक होना जरूरी है.

पटना: बढ़ती जनसंख्या आज विश्व के कई बड़े देशों के लिए समस्या बनी हुई है, इसमें भारत भी शामिल है. लगातार बढ़ रही आबादी के कारण देश में कई परेशानियां हो रही हैं. जैसे बेरोजगारी, संसाधनों में कमी आ रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत में सबसे अधिक आबादी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार की है.

लेकिन, जिस तरह से बिहार की आबादी बढ़ रही है उस हिसाब से साल 2041 में बिहार पहले पायदान पर आ जाएगा. 11 जुलाई को हम विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाते हैं. इस मौके पर पेश है खास रिपोर्ट:

patna
बढ़ती आबादी

बिहार की आबादी 12 करोड़ के पार

  • राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार में तीन गुनी अधिक जनसंख्या का दबाव है
  • हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है
  • पटना में शहरीकरण की दर 43.1 फीसदी

बिहार की स्थिति
देश में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि बिहार में हो रही है. साल 2001 से 2011 के बीच देश की जनसंख्या वृद्धि 17.64 की थी. तो वहीं, बिहार में यह 25.07 फीसदी रही. जनसंख्या वृद्धि दर का ही नतीजा है कि 2011 में बिहार की जनसंख्या 10 करोड़ और 38 लाख हो गई.

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जानकारों का बयान

जन घनत्व में पटना सबसे आगे तो कैमूर पीछे
जनसंख्या के लिहाज से हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है. जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर 2018 में बिहार की जनसंख्या 12 करोड़ आंकी गई. जनसंख्या वृद्धि में बिहार और देश में कई अंतर हैं. देश के जन घनत्व का औसत 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, तो बिहार का राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. जन घनत्व सबसे अधिक पटना जिले में हैं. यहां की जनसंख्या 1882 व्यक्ति प्रति किलोमीटर है. जबकि सबसे कम कैमूर 488 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

बिहार का तुलनात्मक अध्य्यन

  • दक्षिण बिहार कि तुलना में उत्तर बिहार में जनसंख्या का दबाव अधिक है. अधिक जन घनत्व वाले राज्यों में 10 जिले में से 9 उत्तर बिहार के हैं.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का अधिक दबाव है. जहां लोगों की जीविका का मुख्य साधन जमीन है.
  • शहरीकरण में बिहार पिछडा है. देश में 5161 से बढ़कर 7935 शहर हो गए. वहीं, 2001 में बिहार में 130 शहर थे. जो साल 2011 में 199 हो गए.

कैसे होगा समाधान?
बहरहाल, बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुरुष नसबंदी, महिला नसबंदी को लेकर सभी अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. बिहार सामाजिक शोध संस्थान के निदेशक की मानें तो समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है. शिक्षा और सामाजिक रूप से लोगों को जागरूक करना होगा. वहीं, पीएमसीएच के अधीक्षक की मानें तो आज समाज में जनसंख्या एक बड़ी चुनौती बन गई है. जिसके लिए लोगों को खुद में जागरूक होना जरूरी है.

Intro:विश्व जनसंख्या दिवस पर एक रिपोर्ट :-
राष्ट्रीय औसत की तुलना में बिहार में तीन गुनी अधिक जनसंख्या का दबाव
हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक,
पटना में शहरीकरण की दर 43.1 फ़ीसदी बिहार की आबादी 12 करोड़ के पार पहुंची...।..।


Body:देश में सबसे अधिक तेजी से जनसंख्या वृद्धि बिहार में हो रही है साल 2001 से 2011 के बीच देश की जनसंख्या वृद्धि 17.64 की थी तो बिहार में यह 25.07 फ़ीसदी रही जनसंख्या वृद्धि दर का ही नतीजा रहा कि 2011 में बिहार की जनसंख्या 10 करोड़ और 38 लाख हो गई
जनसंख्या के लिहाज से हर एक जिले की आबादी का औसत 27 लाख से अधिक है, जनसंख्या वृद्धि दर के आधार पर 2018 में बिहार की जनसंख्या 12 करोड़ आंकी गई है जनसंख्या वृद्धि में बिहार और देश में कई अंतर हैं देश के जनसंख्या घनत्व का औसत 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, तो बिहार का राष्ट्रीय औसत से 3 गुना अधिक 1106 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक जिले में हैं जहां की जनसंख्या 1882 ब्यक्ति प्रति किलोमीटर है, जबकि सबसे कम कैमुर 488 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है
दक्षिण बिहार कि तुलना मे उतर बिहार में जनसंख्या का अधिक दबाव है,1400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक जनसंख्या घनत्व के राज्य के 10 जिले में से नौ उतर बिहार के है,
ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का अधिक दबाव है, जहां लोगों के जिविका का मुख्य साधन जमीन है,
शहरीकरण मे बिहार पिछडा है, देश में 5161 से बढ़कर 7935 शहर हो गए, तो बिहार में 2001 में 130 शहरों की संख्या बढ़कर 2011 में 199 हुई है।


Conclusion:बहरहाल बिहार में जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है, स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुरुष नसबंदी, महिला नसबंदी कॉपर टी लगाने को लेकर सभी अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं, पुरुष व महिला नसबंदी को लेकर सरकार द्वारा राशि भी दी जा रही है
बिहार सामाजिक शोध संस्थान के निदेशक की मानें तो समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है शिक्षा एवं सामाजिक रूप से लोगों को जागरूक करनी चाहिए वही पीएमसीएच के अधीक्षक की माने तो आज समाज में जनसंख्या एक बड़ी चुनौती बन गई है स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान तो चला रही हैं लेकिन हर किसी को जागरूक होना जरूरी है


नोट:-(विभाग द्वारा प्राप्त आंकडो के आधार पर )

बाईट-डॉ डीएम दिवाकर
निदेशक, अनुग्रह नारायण सामाजिक शोध संस्थान, पटना
बाईट:-प्रोफेसर डॉ राजीव रंजन प्रसाद
अधीक्षक,पीएमसीएच
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