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संस्कृत भाषा की संस्कृति को बचाना है जरूरी, दूर होते जा रहे हैं लोग: प्रति कुलपति KSDSU - मसौढ़ी

बिहार के पटना के मसौढ़ी (Masaurhi) में जननायक कर्पूरी ठाकुर संस्कृत विश्वविद्यालय का सोमवार को उद्घाटन किया गया. इस दौरान संस्कृत (Importance Of Sanskrit Language ) को आज की पीढ़ी तक पहुंचाने को लेकर और इसके महत्व पर चर्चा की गई. पढ़ें पूरी खबर..

patna me JKTSU ka udghatan
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Published : Nov 22, 2021, 7:47 PM IST

पटना: मसौढ़ी के नक्सल प्रभावित इलाका भगवान के खरौना गांव में जननायक कर्पूरी ठाकुर संस्कृत विश्वविद्यालय (Jannayak Karpoori Thakur Sanskrit University) का सोमवार को विधिवत उद्घाटन किया गया. कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा (Kameshwar Singh Darbhanga Sanskrit University) के प्रति कुलपति डॉ सिद्धार्थ शंकर (Dr. Siddharth Shankar) ने विधिवत दीप प्रज्वलित कर विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया. इस मौके पर कई संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर सहित कई संस्कृत शिक्षक मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें- संस्कृत की उपेक्षा पर बीजेपी ने उठाया सवाल, कहा- बिहार में खुले अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

मसौढ़ी के घोर नक्सल प्रभावित इलाका भगवानगंज के खरौना गांव (Kharona Village) में जननायक कर्पूरी ठाकुर संस्कृत महाविद्यालय (JKTSU) का विधिवत उद्घाटन किया गया. आज के दौर में लोग संस्कृत से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में संस्कृत के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने को लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं. केएसडीएसयू (KSDSU) के प्रति कुलपति डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें आकृति और ध्वनि का आपस में संबंध होता है.

मसौढ़ी के खरौना गांव में जेकेटीएसयू का उद्घाटन

"जब आपको यह अनुभव होता है कि एक खास ध्वनि एक खास आकृति के साथ जुड़ी हुई है तो यही ध्वनि उस आकृति के लिए नाम बन जाते हैं. आज भाषा मनुष्य के जीवन में काम चलाऊ साधन के रूप में उपयोग में आती है. भाषा के महत्व को आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में गौण समझ लिया गया है. संस्कृत पुरातन काल से विचार व व्यवहार की भाषा रही है. ज्ञान विज्ञान तक पहुंचने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान अनिवार्य है."- डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह, प्रति कुलपति, केएसडीएसयू

उद्घाटन समारोह में डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संस्कृत मनुष्य के व्यक्तिगत पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों को परिभाषित करती है. संस्कृत भाषा हमारे समाज के सभी के मुख पर है.यह प्राचीन देव भाषा है, लेकिन आज हम इससे दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में संस्कृत की संस्कृति को बचाए रखने के लिए हम सब को आगे आने की जरूरत है.

बता दें कि आज के आधुनिक युग में नए युवा पीढ़ी को इस भाषा के बारे में जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा संस्कृत ही है. इसके बारे में लोगों को जानना बेहद जरूरी है. आज पूरा देश संस्कृत पर रिसर्च कर रहा है और हमारे देश में लोग इसे भूलते जा रहे हैं.

संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है. इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत चली गई है या संस्कृत से प्रभावित हैं. पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आई है. गौरतलब है कि कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालय एवं माध्यमिक संस्कृत के प्रधानाचार्य मौजूद रहे.

नोट- ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

पटना: मसौढ़ी के नक्सल प्रभावित इलाका भगवान के खरौना गांव में जननायक कर्पूरी ठाकुर संस्कृत विश्वविद्यालय (Jannayak Karpoori Thakur Sanskrit University) का सोमवार को विधिवत उद्घाटन किया गया. कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा (Kameshwar Singh Darbhanga Sanskrit University) के प्रति कुलपति डॉ सिद्धार्थ शंकर (Dr. Siddharth Shankar) ने विधिवत दीप प्रज्वलित कर विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया. इस मौके पर कई संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर सहित कई संस्कृत शिक्षक मौजूद रहे.

यह भी पढ़ें- संस्कृत की उपेक्षा पर बीजेपी ने उठाया सवाल, कहा- बिहार में खुले अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय

मसौढ़ी के घोर नक्सल प्रभावित इलाका भगवानगंज के खरौना गांव (Kharona Village) में जननायक कर्पूरी ठाकुर संस्कृत महाविद्यालय (JKTSU) का विधिवत उद्घाटन किया गया. आज के दौर में लोग संस्कृत से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में संस्कृत के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने को लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं. केएसडीएसयू (KSDSU) के प्रति कुलपति डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें आकृति और ध्वनि का आपस में संबंध होता है.

मसौढ़ी के खरौना गांव में जेकेटीएसयू का उद्घाटन

"जब आपको यह अनुभव होता है कि एक खास ध्वनि एक खास आकृति के साथ जुड़ी हुई है तो यही ध्वनि उस आकृति के लिए नाम बन जाते हैं. आज भाषा मनुष्य के जीवन में काम चलाऊ साधन के रूप में उपयोग में आती है. भाषा के महत्व को आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में गौण समझ लिया गया है. संस्कृत पुरातन काल से विचार व व्यवहार की भाषा रही है. ज्ञान विज्ञान तक पहुंचने के लिए संस्कृत भाषा का ज्ञान अनिवार्य है."- डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह, प्रति कुलपति, केएसडीएसयू

उद्घाटन समारोह में डॉ सिद्धार्थ शंकर सिंह ने कहा कि संस्कृत मनुष्य के व्यक्तिगत पारिवारिक एवं सामाजिक संबंधों को परिभाषित करती है. संस्कृत भाषा हमारे समाज के सभी के मुख पर है.यह प्राचीन देव भाषा है, लेकिन आज हम इससे दूर होते जा रहे हैं. ऐसे में संस्कृत की संस्कृति को बचाए रखने के लिए हम सब को आगे आने की जरूरत है.

बता दें कि आज के आधुनिक युग में नए युवा पीढ़ी को इस भाषा के बारे में जानना बेहद जरूरी है, क्योंकि कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा संस्कृत ही है. इसके बारे में लोगों को जानना बेहद जरूरी है. आज पूरा देश संस्कृत पर रिसर्च कर रहा है और हमारे देश में लोग इसे भूलते जा रहे हैं.

संस्कृत कई भारतीय भाषाओं की जननी है. इनकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत चली गई है या संस्कृत से प्रभावित हैं. पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आई है. गौरतलब है कि कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालय एवं माध्यमिक संस्कृत के प्रधानाचार्य मौजूद रहे.

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