पटना: आदि शक्ति मां दुर्गा के पूजन की शारदीय नवरात्रि (Navratri Start) की शुरुआत आज से शुरू हो गई है. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना (kalash Sthapana In Navratri) या घट स्थापना का महत्व है. इस बार नवरात्रि के दिन चित्रा नक्षत्र रात 9 बजकर 13 मिनट तक और वैधृति योग रात 1 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. इस कारण शारदीय नवरात्रि में घट स्थापना का समय दोपहर 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में ही सर्वश्रेष्ठ रहेगा.
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नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों के पूजन का विधान हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है. पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप का पूजन होता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार माता सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ विध्वंस के लिए आत्मदाह कर दिया था. उन्होंने एक बार पुनः मां शैलपुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लिया था. पर्वतराज की पुत्री होने कारण ही इन्हें शैलपुत्री कहा गया.
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वहीं, राजधानी पटना में भी सुबह से ही सभी शक्तिपीठ देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा रही है. श्रद्धालु लंबी लाइन में लगकर मां के दर्शन का इंतजार कर रहे हैं. शक्तिपीठ बड़ी पटनदेवी मन्दिर के महंथ विजय शंकर गिरी ने माता के आगमन और प्रस्थान के महत्व के बारे में बताया. इसके साथ ही साथ पूजा के विधि-विधान के विषय में जानकारी दी.
'यहां मां भगवती तीनों रूपों में विराजमान हैं. महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में विराजमान हैं. इनके साथ भगवान भैरव भी विराजमान हैं. जहां-जहां शक्तिपीठ है वहां-वहां भैरव भगवान भी विराजमान हैं. इन्हें नगर रक्षिका भी कहा गया है. जिस किसी को भी शुभ काम करना होता है, वह व्यक्ति मां का आशीर्वाद लेने आता है. यह पूरा क्षेत्र मां का है. यहां किसी प्रकार की प्राकृतिक विपदा नहीं आती है.'-विजय शंकर गिरी, महंत, बड़ी पटनदेवी मन्दिर
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना और उसका पूजन किया जाता है. इसके बाद मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. माता शैलपुत्री देवी पार्वती का ही एक रूप हैं, जो नंदी पर सवार, श्वेत वस्त्र धारण करती हैं. उनके एक हाथ में त्रिशुल और एक हाथ में कमल विराजमान रहता है. मां शैलपुत्री को धूप, दीप, फल, फूल, माला, रोली, अक्षत चढ़ाकर पूजन करना चाहिए. मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, इसलिए उनको पूजन में सफेद फूल और मिठाई अर्पित करना चाहिए. इसके बाद मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप कर, पूजन का अंत मां शैलपुत्री की आरती गा कर करना चाहिए.
-ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
-वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
-या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश में सभी तीर्थ, देवी-देवताओं का वास होता है. ये मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं. कलश स्थापना करने से भक्त को पूजा का शुभ मिलता है और घर में सकारात्मक माहौल बना रहता है. इसके साथ ही साथ घर में सुख-शांति बनी रहती है.
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
7 अक्टूबर 2021 | गुरुवार | प्रतिपदा घटस्थापना | मां शैलपुत्री पूजा |
8 अक्टूबर 2021 | शुक्रवार | द्वितीया | मां ब्रह्मचारिणी पूजा |
9 अक्टूबर 2021 | शनिवार | तृतीय, चतुर्थी | मां चंद्रघंटा पूजा, मां कुष्मांडा पूजा |
10 अक्टूबर 2021 | रविवार | पंचमी | मां स्कंदमाता पूजा |
11 अक्टूबर 2021 | सोमवार | षष्ठी | मां कात्यायनी पूजा |
12 अक्टूबर 2021 | मंगलवार | सप्तमी | मां कालरात्रि पूजा |
13 अक्टूबर 2021 | बुधवार | अष्टमी | मां महागौरी दुर्गा पूजा |
14 अक्टूबर 2021 | गुरुवार | महानवमी | मां सिद्धिदात्री पूजा |
15 अक्टूबर 2021 | शुक्रवार | विजयादशमी | विजयदशमी, दशहरा |