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जल जीवन हरियाली अभियान के सकारात्मक परिणाम, ग्राउंड वाटर लेवल में हो रहा सुधार - Earth Day

बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली अभियान अपना असर दिखा रहा है. बिहार सरकार जल जीवन हरियाली पर 25000 करोड़ से अधिक की राशि 3 साल में खर्च होने वाली है. तालाब, पोखर, पाइन, कुआं, चापाकल सब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है.

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Published : Sep 2, 2020, 1:42 PM IST

पटनाः बिहार में इस साल शुरू से ही बारिश अच्छी हो रही है और इस बार 48 प्रतिशत से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है. वहीं कई जिलों में उससे भी अधिक बारिश हुई है. बिहार में मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली अभियान पिछले साल से चल रहा है. इस अभियान पर सरकार 3 साल में 25000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने वाली है और अभी हाल ही में पृथ्वी दिवस के दिन 3 करोड़ से अधिक पेड़ लगाने का दावा किया गया था. वहीं इन सब का असर ग्राउंड वाटर पर पड़ा है.

पिछले साल उत्तर बिहार तक के कई जिलों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई थी और लोगों को पेयजल के संकट का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस साल वाटर लेवल काफी ऊपर आ गया है. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

भू-गर्भ जल स्तर में हो रहा सुधार
बिहार में इस साल भू-गर्भ जल स्तर में लगातार सुधार हो रहा है. जून, जुलाई में राज्य के सभी जिलों में पिछले साल के मुकाबले भू-गर्भ जल स्तर काफी ऊपर आया है. पिछले साल की तुलना में 6 जिले ऐसे हैं, जहां पर 10 फुट से अधिक जल स्तर ऊपर आया है. जो बिहार के लिए एक सुकून देने वाला आंकड़ा है. विशेषज्ञ स्थिति का मुख्य कारण अच्छी बारिश होना बता रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

लोगों को नहीं हुई पेयजल की समस्या
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को मिली ताजा रिपोर्ट में राज्य के सभी जिलों में भू-गर्भ जल स्तर में पिछले साल से काफी सुधार आया है. पीएचइडी विभाग को इस साल किसी भी जिले में चापाकल सूखने अथवा पेयजल संकट की सूचना नहीं आई है. चाहे वह मैदानी इलाका हो या पठारी इलाका सभी जिलों में बेहतर है. गया और नालंदा के कुछ क्षेत्रों में हर साल पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब स्थिति काफी बेहतर है. पिछले साल की अपेक्षा नालंदा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और दरभंगा में 10 फुट से भी अधिक पानी ऊपर आया है.

जिला

पिछले साल

(जलस्तर फुट में)

इस साल

(जलस्तर फुट में)

दरभंगा21.4 11.4
गया44.1 29.4
नवादा35.5 30.0
पटना 34.0 26.3
वैशाली 25.10 17.2
भोजपुर 23.0 18.8
बक्सर 29.2 24.1
औरंगाबाद 28.1 26.6
जहानाबाद 39.3 25.1
मुजफ्फरपुर 26.0 17.3
पूर्णिया 12.2 7.4
बेतिया13.11 12.3
भागलपुर 28.4 23.4
जमुई 35.6 28.7
बेगूसराय 25.2 21.9
सारण23.3 25.4

जल जीवन हरियाली अभियान का दिख रहा असर
बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली अभियान अपना असर दिखा रहा है. बिहार सरकार जल जीवन हरियाली पर 25000 करोड़ से अधिक की राशि 3 साल में खर्च होने वाली है. तालाब, पोखर, पाइन, कुआं, चापाकल सब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. नए जल स्त्रोत को विकसित भी किया जा रहा है. पृथ्वी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने भी पेड़ लगाया था और विभाग की ओर से ढाई लाख करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव के अनुसार साढ़े तीन करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए हैं.

इस साल कहीं भी सूखा का नहीं करना पड़ा सामना
ऐसे इस साल भी पीएचइडी विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी थी. लोगों को पेयजल की समस्या का सामना न करना पड़े. जिसके लिए पुराने चापाकल को उखाड़ कर कई जगह नए चापाकल लगाए गए थे. बड़ी संख्या में ट्यूबवेल की मरम्मत भी की गई थी और टैंकर से पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई थी. लेकिन बिहार के किसी जिले में इस बार पीएचडी विभाग के अनुसार सुखाड़ की स्थिति सामने नहीं आई. कई जिलों में अत्यधिक बारिश से बाढ़ का भी सामना करना पड़ा है.

पटनाः बिहार में इस साल शुरू से ही बारिश अच्छी हो रही है और इस बार 48 प्रतिशत से अधिक बारिश दर्ज की जा चुकी है. वहीं कई जिलों में उससे भी अधिक बारिश हुई है. बिहार में मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली अभियान पिछले साल से चल रहा है. इस अभियान पर सरकार 3 साल में 25000 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने वाली है और अभी हाल ही में पृथ्वी दिवस के दिन 3 करोड़ से अधिक पेड़ लगाने का दावा किया गया था. वहीं इन सब का असर ग्राउंड वाटर पर पड़ा है.

पिछले साल उत्तर बिहार तक के कई जिलों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई थी और लोगों को पेयजल के संकट का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस साल वाटर लेवल काफी ऊपर आ गया है. जिससे लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है.

भू-गर्भ जल स्तर में हो रहा सुधार
बिहार में इस साल भू-गर्भ जल स्तर में लगातार सुधार हो रहा है. जून, जुलाई में राज्य के सभी जिलों में पिछले साल के मुकाबले भू-गर्भ जल स्तर काफी ऊपर आया है. पिछले साल की तुलना में 6 जिले ऐसे हैं, जहां पर 10 फुट से अधिक जल स्तर ऊपर आया है. जो बिहार के लिए एक सुकून देने वाला आंकड़ा है. विशेषज्ञ स्थिति का मुख्य कारण अच्छी बारिश होना बता रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

लोगों को नहीं हुई पेयजल की समस्या
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को मिली ताजा रिपोर्ट में राज्य के सभी जिलों में भू-गर्भ जल स्तर में पिछले साल से काफी सुधार आया है. पीएचइडी विभाग को इस साल किसी भी जिले में चापाकल सूखने अथवा पेयजल संकट की सूचना नहीं आई है. चाहे वह मैदानी इलाका हो या पठारी इलाका सभी जिलों में बेहतर है. गया और नालंदा के कुछ क्षेत्रों में हर साल पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब स्थिति काफी बेहतर है. पिछले साल की अपेक्षा नालंदा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और दरभंगा में 10 फुट से भी अधिक पानी ऊपर आया है.

जिला

पिछले साल

(जलस्तर फुट में)

इस साल

(जलस्तर फुट में)

दरभंगा21.4 11.4
गया44.1 29.4
नवादा35.5 30.0
पटना 34.0 26.3
वैशाली 25.10 17.2
भोजपुर 23.0 18.8
बक्सर 29.2 24.1
औरंगाबाद 28.1 26.6
जहानाबाद 39.3 25.1
मुजफ्फरपुर 26.0 17.3
पूर्णिया 12.2 7.4
बेतिया13.11 12.3
भागलपुर 28.4 23.4
जमुई 35.6 28.7
बेगूसराय 25.2 21.9
सारण23.3 25.4

जल जीवन हरियाली अभियान का दिख रहा असर
बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री का जल जीवन हरियाली अभियान अपना असर दिखा रहा है. बिहार सरकार जल जीवन हरियाली पर 25000 करोड़ से अधिक की राशि 3 साल में खर्च होने वाली है. तालाब, पोखर, पाइन, कुआं, चापाकल सब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है. नए जल स्त्रोत को विकसित भी किया जा रहा है. पृथ्वी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने भी पेड़ लगाया था और विभाग की ओर से ढाई लाख करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव के अनुसार साढ़े तीन करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए हैं.

इस साल कहीं भी सूखा का नहीं करना पड़ा सामना
ऐसे इस साल भी पीएचइडी विभाग ने पूरी तैयारी कर रखी थी. लोगों को पेयजल की समस्या का सामना न करना पड़े. जिसके लिए पुराने चापाकल को उखाड़ कर कई जगह नए चापाकल लगाए गए थे. बड़ी संख्या में ट्यूबवेल की मरम्मत भी की गई थी और टैंकर से पानी पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई थी. लेकिन बिहार के किसी जिले में इस बार पीएचडी विभाग के अनुसार सुखाड़ की स्थिति सामने नहीं आई. कई जिलों में अत्यधिक बारिश से बाढ़ का भी सामना करना पड़ा है.

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