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बिहार में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन, कारोबार और रोजगार पर पड़ेगा असर

प्लास्टिक के बढ़ते इस्तेमाल को रोकने के लिए 1 जुलाई से केंद्र सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic Ban In Bihar) और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लगाने जा रही है. इस फैसले की प्रशंसा और विरोध दोनों जारी है. इसका बिहार पर क्या प्रभाव पड़ेगा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

Effect of single use plastic ban in Bihar
Effect of single use plastic ban in Bihar
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Published : Jun 23, 2022, 8:31 PM IST

Updated : Jun 23, 2022, 11:12 PM IST

पटना: आगामी 1 जुलाई ( Single Use Plastic Ban From July 1) से केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लग जाएगा. कहा जा रहा है कि बैन के बाद कई श्रमिकों की नौकरी जाने वाली है. वर्तमान में राज्य में 28 कारखानों के साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार (Impact Of Single Use Plastic Ban ) है. प्लास्टिक के एकल उपयोग से पर्यावरण पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कारखाना मालिकों की क्या योजना है. विस्तार से जानें...

पढ़ें: बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन की समय सीमा बढ़ी, 1 जुलाई से लगेगा प्रतिबंध

प्लास्टिक की इन चीजों के इस्तेमाल पर बैन: बता दें कि 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित होंगे. इनके अलावा थर्माकोल से बने कप प्लेट ग्लास और अन्य कटलरी आइटम भी एक जुलाई से प्रतिबंधित होंगे. प्लास्टिक स्टिक वाले ईअर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां और थर्माकोल की सजावटी सामग्री और कप प्लेट ग्लास काटे चम्मच चाकू, स्ट्रे, मिठाई के डब्बे और निमंत्रण कार्ड के अलावा सिगरेट पैकेट के आसपास लपेटने वाले प्लास्टिक और 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर पर एक जुलाई 2022 से प्रतिबंध लागू होगा. जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य है, उस पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा.

फैसले के खिलाफ व्यवसायी: सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर प्रतिबंध से एक तरफ जहां इस क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों में रोष है, वहीं वह सरकार से अपने लिए अनुदान की मांग कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि इस नियम से हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा जो इसमें लाखों करोड़ों रुपया लग चुका है, उसकी भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?

व्यवसायियों ने मांगी मोहलत: प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार कहते हैं कि अपने देश में ही इस विषय पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट हो रहा है. जब तक कोई बेहतर नतीजे ना निकल जाए सरकार हमें मोहलत दे. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बाद जैसे ही साल डेढ़ साल के अंदर मटेरियल हमारे पास आ जाएगा. हम सरकार का साथ देने के लिए तैयार रहेंगे. आज अगर सरकार बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था की इस इंडस्ट्री को बंद करती है तो हजारों करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

"बिहार में 28 इंडस्ट्री है जबकि पूरे देश में 89000 फैक्ट्रियां हैं. फैक्ट्रियों के बंद होने से बड़ी संख्या में लोग रोड पर आ जाएंगे. हमने अपनी इंडस्ट्री को स्थापित करने के लिए बैंक से लोन लिया हुआ है उसका क्या होगा? हमारा जो पैसा लगा हुआ है वह सरकार हमें दे दे हम इंडस्ट्री को बंद करने के लिए तैयार है."- प्रेम कुमार, अध्यक्ष, प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

बिहार में 200 करोड़ का सालाना कारोबार: बता दें कि पूरे बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का 200 करोड़ का सालाना व्यापार होता है. पूरे बिहार में 28 फैक्ट्रियां हैं जिसमें से चार केवल पटना में ही है. इन फैक्ट्रियों से हर रोज तकरीबन 45 टन प्लास्टिक ग्लास का उत्पादन होता है. सिंगल सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल निर्मित ग्लास चम्मच कांटा प्लेट कटोरी आदि का उपयोग अगली 1 जुलाई से नहीं होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस फील्ड पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक जुड़े हुए हैं, जिनमें 80% के करीब महिलाएं हैं.

पर्यावरण के हित में फैसला: हालांकि अगर तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो प्लास्टिक एक अभिशाप भी बन चुका है. पूरे पटना में प्रतिदिन करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है और अगर पूरे बिहार की बात करें तो सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इन प्लास्टिक के कारण एक तरफ जहां नालियां जाम होती है. वहीं पशु हो या मानव सबकी जान माल की हानि का भी नुकसान बना रहता है.

पर्यावरणविद संजय कुमार कहते हैं 'प्लास्टिक हमारे जीवन में इतना घुल चुका है कि इसे निकालना अब मुश्किल है. अगर हमने अभी कुछ नहीं किया तो आने वाले दिनों में इस धरती पर प्लास्टिक रहेगा और हम यहां से विदा हो जाएंगे. हर साल पूरी दुनिया में 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जमा होता है. अंटार्कटिका में बर्फ में माइक्रो प्लास्टिक मिला है. हवा में, वायुमंडल में माइक्रोप्लास्टिक इस कदर घुल चुका है. हम इंसान और जीव उसे सांस के द्वारा अंदर ले रहे हैं. प्लास्टिक पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक हो चुका है कि इसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. सिंगल यूज प्लास्टिक 1 जुलाई से पूरे देश में बैन होने जा रहा है. सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब यह होता है कि वह एक बार इस्तेमाल होता है और वह अगर धरती पर गिर जाए तो बारिश की बूंद भी धरती में नहीं जा सकती.'

'रिसाइकिल आइटम को कैटगरी से हटाया जाए': सरकार के इस निर्णय के बारे में प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कहते हैं कि हमें आज तक यह पता ही नहीं चला कि सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है? दूध की पॉलिथीन हो या शैंपू सब उसी प्लास्टिक में पैक हो कर आता है. सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में कटलरी आइटम को रखा गया है. वह कहते हैं कि हम लोग जिस ग्लास का निर्माण करते हैं वह हंड्रेड परसेंट रिसाइकिल और इजी यूज करने वाला होता है. हम अपनी इंडस्ट्री में ही इसे 70% तक रिप्रोसेस कर लेते हैं. हमें आपत्ति है कि हमें इस कैटेगरी में रखा गया जबकि रिसाइकिल कैटेगरी में रखा जाना चाहिए था.

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का प्रभाव

1. पूरे बिहार में सालाना दो सौ करोड़ का होता है कारोबार.

2. पूरे राज्य में प्लास्टिक के सामान बनाने की 28 फैक्ट्रियां, जिनमें से चार पटना में.

3. हर रोज करीब 45 टन प्लास्टिक के गिलास का उत्पादन.

4. पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक इस कार्य में संलग्न.

5. इन श्रमिकों में करीब 80 % महिला शामिल.

6. 1 जुलाई के बाद नहीं बन सकेंगे थर्मोकोल से बने ग्लास, चम्मच, कांटा, प्लेट व कटोरी.

7. पूरे पटना में हर रोज करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है.

8. पूरे बिहार में सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचड़ा निकलता है.

पढ़ें: TATA Workers Union High School के बच्चों ने बेकार प्लास्टिक बोतल से बनाया साइंस पार्क

पटना: आगामी 1 जुलाई ( Single Use Plastic Ban From July 1) से केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लग जाएगा. कहा जा रहा है कि बैन के बाद कई श्रमिकों की नौकरी जाने वाली है. वर्तमान में राज्य में 28 कारखानों के साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार (Impact Of Single Use Plastic Ban ) है. प्लास्टिक के एकल उपयोग से पर्यावरण पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और कारखाना मालिकों की क्या योजना है. विस्तार से जानें...

पढ़ें: बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन की समय सीमा बढ़ी, 1 जुलाई से लगेगा प्रतिबंध

प्लास्टिक की इन चीजों के इस्तेमाल पर बैन: बता दें कि 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित होंगे. इनके अलावा थर्माकोल से बने कप प्लेट ग्लास और अन्य कटलरी आइटम भी एक जुलाई से प्रतिबंधित होंगे. प्लास्टिक स्टिक वाले ईअर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां और थर्माकोल की सजावटी सामग्री और कप प्लेट ग्लास काटे चम्मच चाकू, स्ट्रे, मिठाई के डब्बे और निमंत्रण कार्ड के अलावा सिगरेट पैकेट के आसपास लपेटने वाले प्लास्टिक और 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर पर एक जुलाई 2022 से प्रतिबंध लागू होगा. जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य है, उस पर प्रतिबंध लागू नहीं होगा.

फैसले के खिलाफ व्यवसायी: सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर प्रतिबंध से एक तरफ जहां इस क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों में रोष है, वहीं वह सरकार से अपने लिए अनुदान की मांग कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि इस नियम से हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा जो इसमें लाखों करोड़ों रुपया लग चुका है, उसकी भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?

व्यवसायियों ने मांगी मोहलत: प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार कहते हैं कि अपने देश में ही इस विषय पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट हो रहा है. जब तक कोई बेहतर नतीजे ना निकल जाए सरकार हमें मोहलत दे. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बाद जैसे ही साल डेढ़ साल के अंदर मटेरियल हमारे पास आ जाएगा. हम सरकार का साथ देने के लिए तैयार रहेंगे. आज अगर सरकार बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था की इस इंडस्ट्री को बंद करती है तो हजारों करोड़ रुपए का नुकसान होगा.

"बिहार में 28 इंडस्ट्री है जबकि पूरे देश में 89000 फैक्ट्रियां हैं. फैक्ट्रियों के बंद होने से बड़ी संख्या में लोग रोड पर आ जाएंगे. हमने अपनी इंडस्ट्री को स्थापित करने के लिए बैंक से लोन लिया हुआ है उसका क्या होगा? हमारा जो पैसा लगा हुआ है वह सरकार हमें दे दे हम इंडस्ट्री को बंद करने के लिए तैयार है."- प्रेम कुमार, अध्यक्ष, प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

बिहार में 200 करोड़ का सालाना कारोबार: बता दें कि पूरे बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का 200 करोड़ का सालाना व्यापार होता है. पूरे बिहार में 28 फैक्ट्रियां हैं जिसमें से चार केवल पटना में ही है. इन फैक्ट्रियों से हर रोज तकरीबन 45 टन प्लास्टिक ग्लास का उत्पादन होता है. सिंगल सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल निर्मित ग्लास चम्मच कांटा प्लेट कटोरी आदि का उपयोग अगली 1 जुलाई से नहीं होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस फील्ड पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक जुड़े हुए हैं, जिनमें 80% के करीब महिलाएं हैं.

पर्यावरण के हित में फैसला: हालांकि अगर तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो प्लास्टिक एक अभिशाप भी बन चुका है. पूरे पटना में प्रतिदिन करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है और अगर पूरे बिहार की बात करें तो सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इन प्लास्टिक के कारण एक तरफ जहां नालियां जाम होती है. वहीं पशु हो या मानव सबकी जान माल की हानि का भी नुकसान बना रहता है.

पर्यावरणविद संजय कुमार कहते हैं 'प्लास्टिक हमारे जीवन में इतना घुल चुका है कि इसे निकालना अब मुश्किल है. अगर हमने अभी कुछ नहीं किया तो आने वाले दिनों में इस धरती पर प्लास्टिक रहेगा और हम यहां से विदा हो जाएंगे. हर साल पूरी दुनिया में 30 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा जमा होता है. अंटार्कटिका में बर्फ में माइक्रो प्लास्टिक मिला है. हवा में, वायुमंडल में माइक्रोप्लास्टिक इस कदर घुल चुका है. हम इंसान और जीव उसे सांस के द्वारा अंदर ले रहे हैं. प्लास्टिक पर्यावरण के लिए कितना खतरनाक हो चुका है कि इसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता. सिंगल यूज प्लास्टिक 1 जुलाई से पूरे देश में बैन होने जा रहा है. सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब यह होता है कि वह एक बार इस्तेमाल होता है और वह अगर धरती पर गिर जाए तो बारिश की बूंद भी धरती में नहीं जा सकती.'

'रिसाइकिल आइटम को कैटगरी से हटाया जाए': सरकार के इस निर्णय के बारे में प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष कहते हैं कि हमें आज तक यह पता ही नहीं चला कि सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है? दूध की पॉलिथीन हो या शैंपू सब उसी प्लास्टिक में पैक हो कर आता है. सिंगल यूज प्लास्टिक के दायरे में कटलरी आइटम को रखा गया है. वह कहते हैं कि हम लोग जिस ग्लास का निर्माण करते हैं वह हंड्रेड परसेंट रिसाइकिल और इजी यूज करने वाला होता है. हम अपनी इंडस्ट्री में ही इसे 70% तक रिप्रोसेस कर लेते हैं. हमें आपत्ति है कि हमें इस कैटेगरी में रखा गया जबकि रिसाइकिल कैटेगरी में रखा जाना चाहिए था.

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध का प्रभाव

1. पूरे बिहार में सालाना दो सौ करोड़ का होता है कारोबार.

2. पूरे राज्य में प्लास्टिक के सामान बनाने की 28 फैक्ट्रियां, जिनमें से चार पटना में.

3. हर रोज करीब 45 टन प्लास्टिक के गिलास का उत्पादन.

4. पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक इस कार्य में संलग्न.

5. इन श्रमिकों में करीब 80 % महिला शामिल.

6. 1 जुलाई के बाद नहीं बन सकेंगे थर्मोकोल से बने ग्लास, चम्मच, कांटा, प्लेट व कटोरी.

7. पूरे पटना में हर रोज करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है.

8. पूरे बिहार में सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचड़ा निकलता है.

पढ़ें: TATA Workers Union High School के बच्चों ने बेकार प्लास्टिक बोतल से बनाया साइंस पार्क

Last Updated : Jun 23, 2022, 11:12 PM IST
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