पटनाः बिहार चुनावी मोड में है. लोकसभा चुनाव की तैयारी में राजनीतिक दल जुट गए हैं. इसी बीच केंद्रीय गृह गृह मंत्री अमित शाह बिहार द्वारे पर हैं. गृह मंत्री पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंच चुके हैं. लंबे अरसे के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ गृह मंत्री की मुलाकात होगी. इस बीच दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक विमर्श भी हो सकते हैं.
नीतीश कुमार बदलेंगे पाला? नीतीश कुमार सियासी मौसम को देखते हुए पाला बदलने में माहिर हैं. ऐसे में चर्चा है कि अगर इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को नेतृत्व नहीं मिलता है तो क्या वे एनडीए में शामिल हो सकते हैं. अमित शाह का बिहार दौरा को लेकर ईटीवी भारत ने राजनीति विश्लेषक और वरीष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी से खास बातचीत की. बातचीत में उन्होंने आशंका जाहिर की है कि नीतीश कुमार पाला बदल सकते हैं.
महागठबंधन में फंस चुके हैं सीएमः रविवार को पटना में होने वाली बैठक में केंद्र और बिहार के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसे सुलझाया जाना है. बिहार के विकास को लेकर लंबित मांगों पर भी दोनों नेताओं की बातचीत होगी. 1 घंटे तक हाईटी पर दोनों नेता साथ होंगे. वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच चर्चा हो सकती है. प्रवीण बागी बताते हैं कि नीतीश कुमार महागठबंधन में बुरी तरह फंस चुके हैं. एक और जहां उन्होंने 2025 में तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने का वायदा कर दिया है तो दूसरी तरफ संयोजक बनाए जाने को लेकर भी मामला अधर में लटका है.
नीतीश कुमार के पास विकल्प कमजोरः वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कठिन दौर से गुजर रहे हैं. एक ओर जहां महागठबंधन के अंदर उनके लिए विकल्प न के बराबर है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से भी खुलेआम ऑफर नहीं है. राज्यों के चुनाव में भाजपा मजबूत होकर उभरी है. ऐसे में नीतीश कुमार के समक्ष पार्टी बढ़ाने की चुनौती है. लोकसभा चुनाव के दौरान इनके कई एमपी पाला बदलने की तैयारी कर चुके हैं.
स्लीपिंग पार्टनर जैसी होगी भूमिकाः प्रवीण बागी बताते हैं कि गृह मंत्री अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच राजनीतिक चर्चा भी हो सकती है. नीतीश कुमार राजनीतिक जमीन तलाशने की दिशा में बात आगे बढ़ सकते हैं. अगर एनडीए में नीतीश कुमार रहेंगे भी तो उनकी स्थिति स्लीपिंग पार्टनर जैसी होगी. प्रवीण बताते हैं कि दोनों मंझे हुए राजनेता हैं. किस परिस्थिति में कैसे डील करना है, इसका अनुभव दोनों को है. नीतीश कुमार बार-बार पाला बदलते रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में सामने वाले को कैसे फेस करना है, उनको इसमें महारथ हासिल है. अकेले में बात हो तो हो सकता है दोनों शिकवे गिले को दूर करेंगे.
चुनाव तक जदयू में फूट संभवः नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि वे इंडिया गठबंधन की बैठक में जाएंगे. हालांकि वे इससे खुश नहीं है. इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की संभावना नहीं दिख रही है. कांग्रेस इतनी आसानी से किसी को नेतृत्व देने वाली नहीं है. एनडीए भी घोषित कर चुका है कि नीतीश कुमार के रास्ते बंद हैं. अगर जदयू में फूट होता है तो आधे एनडीए के साथ चले जाएंगे. नीतीश कुमार चाहे या नहीं, लोकसभा चुनाव आते-आते जदयू में टूट निश्चित है.
"दोनों राजनेता के बीच लंबे समय बाद बातचीत होगी. ऐसे में बिहार के विकास के साथ साथ राजनीतिक बातचीत भी हो सकती है. हो सकता है नीतीश कुमार एनडीए में अपनी जमीन तलाशेंगे, लेकिन नीतीश कुमार के लिए एनडीए में दरबाजा बंद है. इंडिया गठबंधन से भी काफी खुश नहीं दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव आते आते पार्टी को बचाना मुश्किल हो जाएगा." -प्रवीण बागी, वरिष्ठ पत्रकार
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