बिहार समेत देशभर में IMA की हड़ताल, इमरजेंसी सेवाओं पर असर नहीं - Private Hospital
मोदी सरकार के खिलाफ एक तरफ जहां किसानों का आंदोलन है तो दूसरी तरफ अब IMA की हड़ताल है. आज देशभर डॉक्टरों की हड़ताल है. यह अलग बात है कि इमरजेंसी सेवा पर असर नहीं पड़ रहा है लेकिन सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचे मरीज और उनके परिजन परेशान दिख रहे हैं.
पटना: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA के आह्वान पर आज डॉक्टरों की हड़ताल है. बिहार समेत देशभर में डॉक्टरों की हड़ताल से मरीज और उनके परिजनों पर असर पड़ रहा है. हालांकि आईएमए की बुलाई हड़ताल के दौरान निजी अस्पतालों में ओपीडी तो बंद है. लेकिन सरकारी अस्पतालों में खुले हैं. निजी अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी स्वास्थ्य सेवाएं ही जारी है.
आईएमए का दावा है कि इस आंदोलन में आईएमए के साथ कई दूसरे संगठन भी शामिल हो रहे हैं.आईएमए ने कहा है कि सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग की ओर से चार समितियों के गठन से सिर्फ मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा. एसोसिएशन ने अधिसूचना वापस लेने और नीति आयोग की ओर से गठित समितियों को रद्द करने की मांग की है.
क्यों हड़ताल पर हैं डॉक्टर्स?
दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही एक अध्यादेश जारी कर आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की भी अनुमति दी है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के आयुर्वेद के डॉक्टरों को सर्जरी की मंजूरी देन के फैसले का विरोध किया है. संगठन ने सरकार के इस फैसले को मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करार दिया है और इस फैसले को वापस लेने की मांग की है. हड़ताल पर जाने का फैसला करने वाले डॉक्टर एलोपैथी से संबद्ध हैं.
सीसीआईएम की सिफारिश पर अध्यादेश
कहा जा रहा है कि सीसीआईएम की सिफारिश पर केन्द्र सरकार ने आयुर्वेद का महत्व बढ़ाने का फैसला करते हुए एक अध्यादेश जारी किया था.जिसमें आयुर्वेद में पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों को 58 प्रकार की सर्जरी सीखने और प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई. सीसीआईएम ने 20 नवंबर 2020 को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था, जिनमें आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हुई 19 छोटी सर्जरी प्रक्रियाएं हैं.
हड़ताल का क्या होगा असर?
आज IMA के कार्य बहिष्कार से कई सरकारी अस्पतालों में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन बात सिर्फ आज की नहीं है. आईएमए के सचिव ने कहा कि अगर मांगों पर विचार नहीं किया गया तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन जारी रहेगा. ऐसे में अगर यह आंदोलन लगातार जारी रहा तो आने वाले दिनों में मरीजों को और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.