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लॉकडाउन में बड़ा सवाल: बिहार में कैसे होगी छात्रों-मजदूरों की घर वापसी?

कोरोना मुक्त क्षेत्रों में गतिविधियों को तय सीमाओं के तहत सामान्य करने की कोशिश की जाएगी. कुछ क्षेत्रों को लॉकडाउन से मुक्त भी किया जा सकता है. लेकिन, वर्तमान हालातों को देखते हुए फिलहाल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में आवाजाही की संभावना नहीं दिख रही है.

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Published : May 1, 2020, 7:39 AM IST

पटना: लॉकडाउन पार्ट-2 की समयावधि 3 मई को समाप्त होने जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर से सभी लोगों के मन में लॉकडाउन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार ने लॉकडाउन के बाद की तैयारी को लेकर कमर कस ली है. लेकिन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के ट्रेन चलाने की मांग के बाद बड़ा सवाल है कि आखिर बिहार में कैसे होगी छात्रों-मजदूरों की घर वापसी?

केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गावा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए योजना बनाई जाए. खबरों की माने तो तीन मई के बाद विभिन्न राज्यों के हालातों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग छूट का दायरा बढ़ाया जाएगा.

विशेष ट्रेन चलाने की मांग
इस बीच, बिहार सरकार ने गुरुवार को केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि बिहार में बसों की सीमित उपलब्धता है और प्रवासी मजदूरों की जितनी संख्या विभिन्न राज्यों में हैं, उससे सड़क मार्ग से उन्हें लाने में महीनों लग सकता है.

पप्पू यादव ने कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने भेजी 30 बसें
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों, श्रद्घालुओं और अन्य लोगों को वापस लाने की अनुमति देने के दूसरे दिन यानी गुरुवार को जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने राजस्थान के कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को वापस लाने के लिए 30 बसें भेजी हैं.

प्रवासी मजदूरों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण देगी सरकार
कोरोना संकट के इस दौर में शिल्पियों को मदद देने के लिए सरकार आगे आई है. सरकार ने शिल्पकारों के बनाई कलाकृतियों और उत्पादों को खरीदने की योजना बनाई है, जिससे उनको बाजार उपलब्ध कराया जा सके. इसके अलावा बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण भी देने की योजना बनाई गई है.

तीन दिनों की पैदल यात्रा कर पटना पहुंचे 21 नेपाली युवक
बंदी में सभी कल-कारखाने बंद हैं. रोजगार छिन जाने के बाद कई मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर रवाना हो गए थे. इसी क्रम में पटना पुलिस ने 21 नेपाली नागरिकों को जक्कनपुर थाना क्षेत्र के बस स्टैंड इलाके से हिरासत में लिया है. बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए सभी नेपाली नागरिक सासाराम के एक कॉस्मेटिक कंपनी में मार्केटिंग का काम किया करते थे. लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गई. जिसके बाद सभी ने पैदल ही नेपाल वापस जाने का निर्णय लिया.

Lockdown: ठेले पर लादकर पिता को पहुंचाया अस्पताल
भागलपुर जिले में एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण एक बेटा अपने पिता को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंचा. बुधवार शाम 4 बजे भागलपुर के लोदीपुर थाना क्षेत्र के गढोतीया के रहने वाले मोहम्मद असलम को करंट लग गया था. जिससे उनका पैर काटना पड़ गया था. उसे इलाज के लिए भागलपुर लाने की आवश्यकता थी. इस दौरान स्थानीय लोग और असलम के परिजनों ने कई बार एंबुलेंस के लिए अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग से संपर्क साधा. लेकिन, एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सका. मजबूरन असलम के परिवार वालों ने पड़ोस से ठेला मांगा और उस पर बिछावन लगाकर जख्मी असलम को लेकर अस्पताल पहुंचे.

लीची: लॉकडाउन में मार्केटिंग की होगी बड़ी चुनौती
बारिश और बेहतर मौसम के कारण मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना जताई जा रही है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर प्रभावी लॉकडाउन ने लीची के कारोबार को ठप कर दिया है. ऐसे में लीची के फलों के बेहतर उत्पादन के बाद इन्हें सकुशल देश के बाजारों में पहुचाने की चुनौती किसानों को परेशान कर रही है. ऐसे में इस बार लीची के मार्केटिंग और बीपरण में सरकार की भूमिका बेहद अहम होगी.

पटना: लॉकडाउन पार्ट-2 की समयावधि 3 मई को समाप्त होने जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर से सभी लोगों के मन में लॉकडाउन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार ने लॉकडाउन के बाद की तैयारी को लेकर कमर कस ली है. लेकिन उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के ट्रेन चलाने की मांग के बाद बड़ा सवाल है कि आखिर बिहार में कैसे होगी छात्रों-मजदूरों की घर वापसी?

केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गावा ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए योजना बनाई जाए. खबरों की माने तो तीन मई के बाद विभिन्न राज्यों के हालातों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग छूट का दायरा बढ़ाया जाएगा.

विशेष ट्रेन चलाने की मांग
इस बीच, बिहार सरकार ने गुरुवार को केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों और छात्रों को लाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने की मांग की है. उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा है कि बिहार में बसों की सीमित उपलब्धता है और प्रवासी मजदूरों की जितनी संख्या विभिन्न राज्यों में हैं, उससे सड़क मार्ग से उन्हें लाने में महीनों लग सकता है.

पप्पू यादव ने कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने भेजी 30 बसें
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों, श्रद्घालुओं और अन्य लोगों को वापस लाने की अनुमति देने के दूसरे दिन यानी गुरुवार को जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने राजस्थान के कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को वापस लाने के लिए 30 बसें भेजी हैं.

प्रवासी मजदूरों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण देगी सरकार
कोरोना संकट के इस दौर में शिल्पियों को मदद देने के लिए सरकार आगे आई है. सरकार ने शिल्पकारों के बनाई कलाकृतियों और उत्पादों को खरीदने की योजना बनाई है, जिससे उनको बाजार उपलब्ध कराया जा सके. इसके अलावा बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण भी देने की योजना बनाई गई है.

तीन दिनों की पैदल यात्रा कर पटना पहुंचे 21 नेपाली युवक
बंदी में सभी कल-कारखाने बंद हैं. रोजगार छिन जाने के बाद कई मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर रवाना हो गए थे. इसी क्रम में पटना पुलिस ने 21 नेपाली नागरिकों को जक्कनपुर थाना क्षेत्र के बस स्टैंड इलाके से हिरासत में लिया है. बताया जा रहा है कि हिरासत में लिए गए सभी नेपाली नागरिक सासाराम के एक कॉस्मेटिक कंपनी में मार्केटिंग का काम किया करते थे. लॉकडाउन में कंपनी बंद हो गई. जिसके बाद सभी ने पैदल ही नेपाल वापस जाने का निर्णय लिया.

Lockdown: ठेले पर लादकर पिता को पहुंचाया अस्पताल
भागलपुर जिले में एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण एक बेटा अपने पिता को ठेले पर लादकर अस्पताल पहुंचा. बुधवार शाम 4 बजे भागलपुर के लोदीपुर थाना क्षेत्र के गढोतीया के रहने वाले मोहम्मद असलम को करंट लग गया था. जिससे उनका पैर काटना पड़ गया था. उसे इलाज के लिए भागलपुर लाने की आवश्यकता थी. इस दौरान स्थानीय लोग और असलम के परिजनों ने कई बार एंबुलेंस के लिए अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग से संपर्क साधा. लेकिन, एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सका. मजबूरन असलम के परिवार वालों ने पड़ोस से ठेला मांगा और उस पर बिछावन लगाकर जख्मी असलम को लेकर अस्पताल पहुंचे.

लीची: लॉकडाउन में मार्केटिंग की होगी बड़ी चुनौती
बारिश और बेहतर मौसम के कारण मुजफ्फरपुर में रिकॉर्ड तोड़ लीची उत्पादन की संभावना जताई जा रही है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को लेकर प्रभावी लॉकडाउन ने लीची के कारोबार को ठप कर दिया है. ऐसे में लीची के फलों के बेहतर उत्पादन के बाद इन्हें सकुशल देश के बाजारों में पहुचाने की चुनौती किसानों को परेशान कर रही है. ऐसे में इस बार लीची के मार्केटिंग और बीपरण में सरकार की भूमिका बेहद अहम होगी.

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