पटना: किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाओं (Corona Infection In Pregnant Women) पर होता है. कोरोना महामारी (Corona Case In Bihar) के दौरान भी खतरा प्रेग्नेंट महिलाओं पर ज्यादा है. बीते एक महीने में राजधानी पटना के मेडिकल कॉलेज अस्पताल और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 70 से अधिक कोरोना संक्रमित महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया. इस दौरान सुखद नतीजा यह देखने को मिला कि तीन नवजात बच्चों को छोड़कर सभी बच्चे कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहे. उनमें संक्रमण के लक्षण नहीं मिले. बीते 1 महीने में पीएमसीएच में 10 कोरोना संक्रमित महिलाओं का प्रसव हुआ इसके अलावा पटना एम्स में चार कोरोना संक्रमित महिलाओं का प्रसव हुआ, जबकि IGIMS और NMCH में दो-दो कोरना संक्रमित महिलाओं का प्रसव हुआ.
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पीएमसीएच की गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रियंका शाही (Gynecologist Dr Priyanka Shahi ) ने बताया कि गर्भावस्था एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें महिलाओं का इम्यून सिस्टम कॉम्प्रोमाइज रहता है. कुछ ऐसे फैक्टर होते हैं जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं की इम्युनिटी कम हो जाती है. इस वजह से गर्भवती महिलाओं में जल्दी इन्फेक्शन की चपेट में आने का खतरा होता है. गर्भवती महिला यदि संक्रमित है तो गर्भ में पल रहे बच्चे को संक्रमण का कितना खतरा होता है? इस बात की जानकारी देते हुए डॉ प्रियंका साही ने बताया कि यह संक्रमण से आए बुखार के नेचर पर डिपेंड करता है. बुखार यदि तेज है तो इंफेक्शन प्लासेंटा के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे को हो सकता है. इस वजह से प्रीटर्म बर्थ और स्टिल बर्थ भी हो सकते हैं.
डॉ प्रियंका शाही ने बताया कि कोरोना संक्रमण एक वायरल इंफेक्शन है. गर्भवती महिलाओं का भी अब वैक्सीनेशन चल रहा है. ऐसे में वह गर्भवती महिलाओं को सलाह देंगी कि अपना वैक्सीनेशन कंप्लीट करा लें. उन्होंने कहा कि यदि प्रसव का समय आ गया है और गर्भवती महिलाएं यदि संक्रमित हैं तो ऐसे में बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए अधिक कुछ नहीं किया जा सकता. बच्चे में यदि इन्फेक्शन डिटेक्ट भी होता है तो उन लोगों का ध्यान बच्चे के इंफेक्शन को ठीक करने पर होता है.
डॉ प्रियंका शाही ने बताया कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में यह देखने को मिल रहा है कि इंफेक्शन अधिक दिन तक नहीं रहाता. इसका असर 3 से 4 दिन तक ही दिखाई देता है. ऐसे में यदि प्रसव के समय महिला संक्रमित हैं और जन्म के बाद बच्चे में संक्रमण नहीं है, ऐसे में उन लोगों का प्रयास होता है कि बच्चे का एक्सपोजर मां के साथ कम हो. मां में जब तक संक्रमण के लक्षण मौजूद हैं, अधिक समय तक बच्चे को उनके साथ नहीं रहने दिया जाए. लेकिन इसी समय बच्चे के लिए स्तनपान भी बेहद जरूरी होता है. स्तनपान से नवजात बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ऐसे में जितने समय तक नवजात को महिला स्तनपान कराती हैं, महिला के लिए जरूरी है कि वह अपने चेहरे पर प्रॉपर मास्क पहने, बच्चे को अच्छे से ढंक कर रखें, ताकि बाहरी हवा सीधे बच्चे को ना लगे.
डॉ प्रियंका शाही ने कहा कि संक्रमण का अधिक खतरा गर्भवती महिलाओं पर होता है, इसलिए जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं घर में ही रहे. मेडिकल कंडीशन आने पर चिकित्सक से संपर्क कर सुरक्षित वाहन से अस्पताल पहुंचें और इस दौरान भीड़ से बचकर रहें. प्रसव के बाद भी महिला और बच्चे को कुछ समय के लिए घर में आइसोलेटेड रहना बहुत जरूरी है. नवजात बच्चे जल्दी इंफेक्शन की चपेट में आते हैं, इसलिए बच्चों को बेवजह घर से बाहर ना ले जाएं. बच्चे के कमरे में बाहर से घूम कर आने वाले लोगों का प्रवेश कम करें. जो लोग अभी के समय बाहर घूम रहे हैं वह लोग प्रयास करें कि नवजात से जितना दूरी मेंटेन हो सके करें. नवजात बच्चे के चेहरे के नजदीक ना जाएं. बच्चे को बाहर से आकर बिना हाथ मुंह धोए दुलार ना करें और बार बार बच्चे के स्किन को टच ना करें. बच्चे को दुलारने का मन है तो दूर खड़े होकर ही उसे पुचकारें और दुलार करें.
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