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टापू में बदला पटना का ऐतिहासिक गंगा घाट, मकरसंक्रांति के मौके पर यहां नहीं लगी आस्था की डुबकी - Historic Bhadra Ghat of Patna

मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा की स्थिति देख श्रद्धालुओं का मन काफी चिंतित और दुखी हो गया. राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सुख चुके हैं और पूरी तरह टापू में तब्दील हो चुके हैं.

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गंगा घाट
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Published : Jan 16, 2020, 8:34 AM IST

Updated : Jan 16, 2020, 11:14 AM IST

पटनाः मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है. लेकिन राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सूख चुके हैं. जिसकी वजह से नए साल के आगमन पर भी लोग यहां स्नान नहीं कर सके और न ही पहले की तरह घाट पर दही-चूड़ा का आनंद ले सके.

आस्था की डुबकी लगाने वाले हुए मायूस
हम बात कर रहे हैं पटना सिटी के ऐतिहासिक भद्र घाट की. जहां मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती थी. लेकिन बुधवार को गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वाले लोग बहुत मायूस हो गये. जब लोग वहां पहुंचे तो देखा कि गंगा में पानी ही नहीं है. चारो ओर रेत ही रेत है. मानो जैसे गंगा हमसे रूठ गई हो. चारो ओर गंगा में रेत निकली हुई है, पानी की जगह कीचड़ जमा हुआ है.

जानकारी देते संवाददाता

टापू में तब्दील हुआ ऐतिहासिक भद्र घाट
दरअसल मकरसंक्रांति के मौके पर श्रद्धालु गंगा में स्नान कर दही-चूड़ा और तिल ब्राह्मणों को दान करते थे. उसके बाद दही-चूड़ा और तिल का स्वाद लेते थे. लेकिन बुधवार को मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा की स्तिथि देख श्रद्धालुओं के मन काफी चिंतित और दुखी हो गया. राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सुख चुके हैं और पूरी तरह टापू में तब्दील हो चुके हैं.

ये भी पढ़ेंःमकर संक्रांति के मौके पर मेयर सीता साहू ने निगम पार्षदों के साथ लिया दही-चूड़ा भोज का आनंद

पूरी तरह गंदगी से भर गई है गंगा
जिस गंगा में देश-विदेश से लोग आकर आस्था की डुबकी लगाते थे, आज वो गंगा रुष्ठ हो गई है. इसका कारण इंसान का निजी स्वार्थ है. आज गंगा पूरी तरह गंदगी से भर चुकी है. गंगा का पानी बिल्कुल मैला हो चुका है. अगर समय रहते इंसान नहीं चेता तो वो दिन दूर नही जब इंसानों को भी इसका परिणाम भुगतना होगा.

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पटना का गंगा घाट

ईटीवी भारत की लोगों से अपील
गंगा की निर्मलता में स्नान कर लोग अपने आप को धन्य मानते थे. नव वर्ष का पहला पर्व गंगा में स्नान करके ही मनाया जाता था, ताकि शरीर निरोग और मन चंगा रहेगा. लेकिन इंसानों की चंद गलती के कारण गंगा हमसे इतना रूठ गई है कि आनेवाले समय में गंगा इतिहास बन जाएगी. ईटीवी भारत भी आप सभी से अपील करता है कि गंगा को सुरक्षित और संरक्षित रखें तभी सब का कल्याण है.

पटनाः मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है. लेकिन राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सूख चुके हैं. जिसकी वजह से नए साल के आगमन पर भी लोग यहां स्नान नहीं कर सके और न ही पहले की तरह घाट पर दही-चूड़ा का आनंद ले सके.

आस्था की डुबकी लगाने वाले हुए मायूस
हम बात कर रहे हैं पटना सिटी के ऐतिहासिक भद्र घाट की. जहां मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती थी. लेकिन बुधवार को गंगा में आस्था की डुबकी लगाने वाले लोग बहुत मायूस हो गये. जब लोग वहां पहुंचे तो देखा कि गंगा में पानी ही नहीं है. चारो ओर रेत ही रेत है. मानो जैसे गंगा हमसे रूठ गई हो. चारो ओर गंगा में रेत निकली हुई है, पानी की जगह कीचड़ जमा हुआ है.

जानकारी देते संवाददाता

टापू में तब्दील हुआ ऐतिहासिक भद्र घाट
दरअसल मकरसंक्रांति के मौके पर श्रद्धालु गंगा में स्नान कर दही-चूड़ा और तिल ब्राह्मणों को दान करते थे. उसके बाद दही-चूड़ा और तिल का स्वाद लेते थे. लेकिन बुधवार को मकरसंक्रांति के मौके पर गंगा की स्तिथि देख श्रद्धालुओं के मन काफी चिंतित और दुखी हो गया. राजधानी पटना के अधिकांश गंगा घाट सुख चुके हैं और पूरी तरह टापू में तब्दील हो चुके हैं.

ये भी पढ़ेंःमकर संक्रांति के मौके पर मेयर सीता साहू ने निगम पार्षदों के साथ लिया दही-चूड़ा भोज का आनंद

पूरी तरह गंदगी से भर गई है गंगा
जिस गंगा में देश-विदेश से लोग आकर आस्था की डुबकी लगाते थे, आज वो गंगा रुष्ठ हो गई है. इसका कारण इंसान का निजी स्वार्थ है. आज गंगा पूरी तरह गंदगी से भर चुकी है. गंगा का पानी बिल्कुल मैला हो चुका है. अगर समय रहते इंसान नहीं चेता तो वो दिन दूर नही जब इंसानों को भी इसका परिणाम भुगतना होगा.

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पटना का गंगा घाट

ईटीवी भारत की लोगों से अपील
गंगा की निर्मलता में स्नान कर लोग अपने आप को धन्य मानते थे. नव वर्ष का पहला पर्व गंगा में स्नान करके ही मनाया जाता था, ताकि शरीर निरोग और मन चंगा रहेगा. लेकिन इंसानों की चंद गलती के कारण गंगा हमसे इतना रूठ गई है कि आनेवाले समय में गंगा इतिहास बन जाएगी. ईटीवी भारत भी आप सभी से अपील करता है कि गंगा को सुरक्षित और संरक्षित रखें तभी सब का कल्याण है.

Intro:आज मकरस्क्रान्ति के मौके पर गंगा में स्नान करना शुभ माना जाता है आज वो गंगा में स्नान करना लोगो के लिये प्रश्न चिन्ह लग चुका है क्योंकि राजधानी पटना के अधिकांस गंगा घाट सुख चुकी है और गंगा पूरी तरह टापू में तबदील हो चुकी है।आज के दिन गंगा की निर्मलता में स्नान कर लोग अपने आप को धन्य मानते थे कि नव वर्ष का पहला पर्व गंगा में स्नान कर ही मनाये ताकि शरीर निरोग और मन चंगा रहेगा लेकिन इंसानों के चंद गलती के कारण गंगा हमसे इतना रूठ गई है कि आनेवाले समय मे गंगा आनेबाले पीढियो के लिये इतिहास हो जायेगा। आप सभी से ईटीवी भारत अपील करती है कि गंगा को सुरक्षित और संरक्षित रखे तभी सब का कल्याण है।


Body:स्टोरी:-गंगा की बदहाली।
रिपोर्ट:-पटनासिटी से अरुण कुमार।
दिनांक:-15-01-2020.
एंकर:-जिस गंगा को धरती पर लाने में राजा भागीरथ को कठोर तप करना पड़ा था,आज वो गंगा हमलोगों से कितनी दूर चली गई है।पटना सिटी का यह ऐतिहासिक भद्र घाट जँहा मकरस्क्रान्ति के मौके पर गंगा में स्नान करने बाले श्रद्धालुओ की काफी भीड़ लगती थी लेकिन आज आस्था की डुबकी लगाने बाले लोग बहुत मायूस हो गये जब गंगा स्नान करने पहुँचे तो देखा कि गंगा में पानी ही नही चारो ओर रेत ही रेत मानो गंगा हमसे काफी रूठी हो।वो इतनी दूर चली गई है कि अब गंगा धरती पर आयेगी ही नही।चारो ओर गंगा में रेत निकली है पानी के जगह कीचड़ बरकरार है लोग मायूस हो गये की जिस कलकल गंगा की धारा देखकर आत्मा पवित्र और गंगा में स्नान कर मन तृप्त हो जाता था आज वो गंगा कितनी दूर चली गई है। देखिये ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट-गंगा की बदहाली।


Conclusion:मकरस्क्रान्ति के मौके पर गंगा में स्नान कर श्रद्धालु चूड़ा-दही और तिल ब्राह्मणों को दान कर उसके बाद चूड़ा दही और तिल का स्वाद लेते थे लेकिन आज गंगा स्तिथि देख श्रद्धालुओ के मन काफी चिंतित और दुखी हुई कि जिस गंगा के जल में डुबकी लगाने के लिये लोग देश-विदेश से आकर आस्था की डुबकी लगाते थे आज वो गंगा कितनी रुष्ठ हो गई इसका कारण इंसान का निजी स्वार्थ है आज निजी स्वार्थ को लेकर गंगा पूरी तरह अपवित्र हो चुकी है गंगा की पानी बिल्कुल मैली हो चुकी है। अगर समय रहते इंसान नही चेता तो वो दिन दूर नही जब इंसानों को भी इसका परिणाम भुगतना होगा।इसलिय जिस तरह अपनी माँ को माँ समझते है वैसे ही गंगा को भी माँ समझना होगा तभी गंगा और इंसान दोनों का अस्तित्व बचेगा।
Last Updated : Jan 16, 2020, 11:14 AM IST
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