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Patna High Court News: वीरकुंवर सिंह विवि के कर्मियों के सामंजन पर सुनवाई, प्रधान सचिव से मांगा रिकार्ड - Patna High Court

वीरकुंवर सिंह विवि आरा के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के सामंजन मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई (Hearing on Veerkunwar Singh University case )की गई. इस मामले में कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव से सारा रिकार्ड मांगा है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 23, 2023, 9:40 PM IST

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के अंतर्गत विभिन्न काॅलेजों में कार्यरत तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के सामंजन से संबंधित मामले पर सुनवाई हुई. जस्टिस पीबी बैजंत्री की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सभी रिकॉर्ड के साथ अगली सुनवाई में तलब किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए दायर किए गए एलपीए पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

ये भी पढ़ेंः Patna High Court: नियमों का उल्लंघन कर मांस-मछली बेचने पर पाबन्दी लगाने के मामले में सुनवाई, PMC से मांगा पूरा ब्यौरा

विवि ने हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौतीः राज्य सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग एलपीए दायर कर हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है. अपील में एकल पीठ द्वारा वर्ष 1978 से 1982 के बीच कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को नियमित करने संबंधी आदेश को गैरकानूनी और गलत बताते हुए उसे निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. तृतीय एवं चतुर्थ पद वर्ग के पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के अनुसार वर्ष 1978 से 1982 के बीच की अवधि में की गई थी. जिनका सामंजन वर्ष 2011 से 2013 के बीच की अवधि में किया गया.

राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ कर्मियों ने दायर की थी रिटः लगभग पांच वर्षों के बाद वर्ष 2017 में इनसे सेवा नहीं लेने और उन्हें वेतन का भुगतान नहीं करने का आदेश राज्य सरकार द्वारा दिया गया. राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के इसी आदेश के खिलाफ 129 कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति और सामंजन को सही मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कर्मचारियों को उनके पद पर योगदान नहीं कराया और हाई कोर्ट के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दिया. इसी मामले में हाईकोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों को अगली सुनवाई पर तलब किया है. इस मामले पर 3 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाईकोर्ट (Patna High Court ) ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के अंतर्गत विभिन्न काॅलेजों में कार्यरत तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों के सामंजन से संबंधित मामले पर सुनवाई हुई. जस्टिस पीबी बैजंत्री की खंडपीठ ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सभी रिकॉर्ड के साथ अगली सुनवाई में तलब किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए दायर किए गए एलपीए पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.

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विवि ने हाईकोर्ट के आदेश को दी थी चुनौतीः राज्य सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा अलग-अलग एलपीए दायर कर हाईकोर्ट के एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई है. अपील में एकल पीठ द्वारा वर्ष 1978 से 1982 के बीच कार्यरत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को नियमित करने संबंधी आदेश को गैरकानूनी और गलत बताते हुए उसे निरस्त करने का अनुरोध किया गया है. तृतीय एवं चतुर्थ पद वर्ग के पद पर नियुक्त हुए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति नियमों के अनुसार वर्ष 1978 से 1982 के बीच की अवधि में की गई थी. जिनका सामंजन वर्ष 2011 से 2013 के बीच की अवधि में किया गया.

राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ कर्मियों ने दायर की थी रिटः लगभग पांच वर्षों के बाद वर्ष 2017 में इनसे सेवा नहीं लेने और उन्हें वेतन का भुगतान नहीं करने का आदेश राज्य सरकार द्वारा दिया गया. राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के इसी आदेश के खिलाफ 129 कर्मचारियों ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन कर्मचारियों की नियुक्ति और सामंजन को सही मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को उन्हें उनके पद पर बहाल करने का निर्देश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन कर्मचारियों को उनके पद पर योगदान नहीं कराया और हाई कोर्ट के एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दायर कर दिया. इसी मामले में हाईकोर्ट ने इन दोनों अधिकारियों को अगली सुनवाई पर तलब किया है. इस मामले पर 3 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी.

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